पश्चिम एशिया में चल रहा ईरान-इजरायल संघर्ष अब सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रहा—यह अब पूरे क्षेत्र को निगलने की तैयारी में है. हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि अमेरिका ने खुलकर मैदान में उतरने के संकेत दे दिए हैं. वहीं, इजरायल और ईरान के बीच मिसाइलों की भाषा और सीधी धमकियों का आदान-प्रदान अब निर्णायक युद्ध की आहट बन चुका है.
"अमेरिका कभी भी जंग में कूद सकता है"
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का मानना है कि अमेरिका अब ज्यादा देर तटस्थ नहीं रह पाएगा. उन्होंने संकेत दिए हैं कि अमेरिकी समर्थन अब केवल कूटनीति या रिफ्यूलिंग तक सीमित नहीं, बल्कि सैन्य कार्रवाई तक बढ़ सकता है. दूसरी ओर, ईरानी सेना ने इजरायल के हाइफा शहर को खाली करने की चेतावनी देकर जंग के और उग्र होने का संकेत दे दिया है.
ट्रंप ने G7 बैठक छोड़ी, वॉशिंगटन लौटते ही बुलाई इमरजेंसी मीटिंग
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो वर्तमान समय में फिर से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा निर्णयों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं, कनाडा में चल रही G7 बैठक को बीच में छोड़कर वॉशिंगटन लौट आए. उन्होंने सिचुएशन रूम में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की आपात बैठक बुलाई और दावा किया कि "ईरान का आसमान अब अमेरिका के नियंत्रण में है."
यही वह सिचुएशन रूम है, जहां से ओबामा प्रशासन ने ओसामा बिन लादेन को मारने का ऐतिहासिक ऑपरेशन लाइव देखा था. अब वही कमरा एक और बड़ी कार्रवाई की योजना का केंद्र बन रहा है.
अमेरिका की तैयारी—एरियल टैंकर, जंगी जहाज़ और बंकर बस्टिंग बम
CNN की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका ने 30 से अधिक एरियल रिफ्यूलिंग टैंकर मिडिल ईस्ट भेजे हैं, ताकि इजरायली फाइटर जेट्स ईरान के भीतर लंबी दूरी की स्ट्राइक कर सकें. इसके अलावा, USS Nimitz कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को भी फारस की खाड़ी में तैनात किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक, अगर हालात और बिगड़े तो अमेरिका-इजरायल मिलकर ईरान के परमाणु ठिकानों पर GBU-57 जैसे बंकर बस्टिंग बमों से हमला कर सकते हैं.
"शहर खाली कर दो, हम आ रहे हैं"
इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने स्पष्ट कहा है कि तेहरान में "प्रमुख ठिकानों" पर हमला तय है. दूसरी ओर, ईरान के सैन्य प्रमुख मेजर जनरल मुसावी ने चेतावनी दी है कि तेल अवीव और हाइफा जैसे "कब्जे वाले" इलाकों को तुरंत खाली किया जाए.
क्या यह युद्ध मिडिल ईस्ट से आगे जाएगा?
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