'दुनिया में लौह युग की शुरुआत तमिल की धरती से हुई', CM MK स्टालिन ने क्या बताया इसका टाइम?

    स्टालिन ने ये बात कीझाडी में एक नए ओपन-एयर संग्रहालय और गंगईकोंडा चोलपुरम में संग्रहालय के शिलान्यास समारोह के दौरान कही.

    'दुनिया में लौह युग की शुरुआत तमिल की धरती से हुई', CM MK स्टालिन ने क्या बताया इसका टाइम?
    शिलान्यास समारोह के दौरान बोलते हुए सीएम एमके स्टालिन | Photo- M.K. STALIN के यूट्यूब अकाउंट से.

    चेन्नई (तमिलनाडु) : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को कहा कि दुनिया में लौह युग की शुरुआत तमिल भूमि से हुई.

    "तमिल भूमि से ही लौह युग की शुरुआत हुई. न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए...5,300 साल पहले तमिल भूमि में लोहा पिघलने की तकनीक शुरू की गई थी. हाल ही में हुई खुदाई से मिले साक्ष्यों के आधार पर इसकी पुष्टि हुई और यह भी पाया गया कि तमिल भूमि में लोहे की शुरुआत 4000 साल ईसा पूर्व हुई थी."

    स्टालिन ने ये बात कीझाडी में एक नए ओपन-एयर संग्रहालय और गंगईकोंडा चोलपुरम में संग्रहालय के शिलान्यास समारोह के दौरान कही.

    यह भी पढ़ें : Viral खबर : 'काम करता हूं, भीख नहीं मांगता...', झकझोर देगा 500 रुपये लौटाते हुए बच्चे का ये जवाब

    राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने क्या कहा?

    मुख्यमंत्री ने बाद में एक्स पर कहा कि "बहुत गर्व और बेजोड़ संतुष्टि" के साथ उन्होंने दुनिया के सामने घोषणा की है कि "लौह युग की शुरुआत तमिल भूमि पर हुई!".

    मुख्यमंत्री ने कहा, "विश्व प्रसिद्ध संस्थानों के परिणामों के आधार पर, तमिलनाडु में लोहे का इस्तेमाल ईसा पूर्व चौथी सहस्राब्दी की शुरुआत से होता आ रहा है, जिससे यह स्थापित होता है कि दक्षिण भारत में लोहे का इस्तेमाल 5,300 साल पहले से ही प्रमुखता से हो रहा था."

    स्टालिन ने कहा कि तमिल प्राचीन साहित्य में जो लिखा गया था, वह अब वैज्ञानिक रूप से सिद्ध इतिहास बन रहा है, जिसका श्रेय DMK के 'द्रविड़ मॉडल ऑफ़ गवर्नमेंट' के प्रयासों को जाता है. उन्होंने कहा, "हमारे प्राचीन साहित्य में जो लिखा गया था, वह अब वैज्ञानिक रूप से सिद्ध इतिहास बन रहा है, जिसका श्रेय हमारी #द्रविड़ मॉडल सरकार के प्रयासों को जाता है. भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास अब तमिलनाडु को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता. वास्तव में, इसकी शुरुआत यहीं से होनी चाहिए!"

    ओपन एयर संग्रहालय में किया जाएगा प्रदर्शन

    4.48 एकड़ में फैला और 17.10 करोड़ रुपये की लागत वाला एक नया ओपन-एयर संग्रहालय, संगम युग की समृद्ध पुरातात्विक खोजों को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है, जिसमें प्रभावशाली ईंट निर्माण, रिंग कुएं और कार्यशालाएं शामिल हैं.

    स्थानीय निर्माण विधियों का इस्तेमाल करके डिज़ाइन किया गया यह संग्रहालय प्राचीन तमिलों की संस्कृति और जीवन शैली को दर्शाएगा, जिसमें वैगई और कीझाडी, कृषि, जल प्रबंधन, पोशाक, आभूषण, समुद्री वाणिज्य और बहुत कुछ प्रदर्शित किया जाएगा.

    पहुंच को बढ़ाने के लिए, कीझाडी के लिए एक नई वेबसाइट लॉन्च की जाएगी, जो संग्रहालय में व्यक्तिगत रूप से आने में असमर्थ लोगों के लिए एक वर्चुअल विजिट की पेशकश करेगी.

    गंगईकोंडा चोलपुरम में संग्रहालय राजा राजेंद्र चोलन I के शासनकाल के दौरान चोलों की समुद्री यात्रा क्षमताओं, समुद्री वाणिज्य और जहाज निर्माण कौशल को उजागर करेगा, जिन्होंने 1012 और 1044 ईस्वी के बीच राजधानी की स्थापना की थी.

    पुरातात्विक अन्वेषणों ने ईंट निर्माण, छत की टाइलें, लोहे और तांबे की कलाकृतियाँ और चीनी मिट्टी की टाइलों सहित उल्लेखनीय कलाकृतियों को उजागर किया है.

    यह भी पढे़ं : अभिषेक शर्मा ने T20I में सबसे अधिक छक्के जड़े— रोहित, सूर्य कुमार यादव जैसे दिग्गजों में शामिल

    भारत