Iran and Israel Conflict: क्या होता है 'अनकंडीशनल सरेंडर', ईरान को बार-बार धमका रहे ट्रंप

    Iran and Israel Conflict: मध्य-पूर्व में जंग की आग भड़क चुकी है. इजरायल और ईरान के बीच चल रहे खूनी संघर्ष में अब अमेरिका ने भी खुलकर एंट्री कर ली है. अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को सीधी चेतावनी दे डाली है.

    Iran and Israel Conflict What is unconditional surrender trump warns khamnei
    Image Source: Social Media

    Iran and Israel Conflict: मध्य-पूर्व में जंग की आग भड़क चुकी है. इजरायल और ईरान के बीच चल रहे खूनी संघर्ष में अब अमेरिका ने भी खुलकर एंट्री कर ली है. अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को सीधी चेतावनी दे डाली है. अब बिना शर्त आत्मसमर्पण करो, वरना अंजाम बेहद खतरनाक होगा. ट्रंप का दावा है कि अमेरिका ईरानी आसमान में पूरी तरह से हावी हो चुका है और अगला कदम किसी भी समय उठाया जा सकता है.

    ‘अभी नहीं मारेंगे, लेकिन वक्त कम है’

    अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर ट्रंप ने साफ लहजे में लिखा, ‘हमें पता है खामेनेई कहां छिपे हैं. वह आसान निशाना हैं, लेकिन हम अभी उन्हें नहीं मार रहे. हमारी चेतावनी आखिरी है. नागरिकों और सैनिकों पर हमले अब बर्दाश्त नहीं होंगे. आत्मसमर्पण करो, बिना किसी शर्त के.’ ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिकी वायुसेना अब ईरानी हवाई क्षेत्र पर पूरी तरह नियंत्रण में है. एफ-16, एफ-22 और एफ-35 जैसे घातक फाइटर जेट्स को तैनात कर दिया गया है, जिससे अमेरिका ने खुद को "ईरानी आसमान का मालिक" बता दिया है.

    क्या होता है 'बिना शर्त आत्मसमर्पण'?

    'Unconditional Surrender' यानी बिना शर्त आत्मसमर्पण का मतलब है कि हारने वाले देश को किसी भी प्रकार की शर्त रखने का अधिकार नहीं होता. उसे विजेता की हर बात माननी पड़ती है. चाहे सेना को खत्म करना हो, राजनीतिक बदलाव स्वीकार करना हो या देश के प्रमुख को हटाना हो. द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने जर्मनी, जापान और इटली से सिर्फ यही शर्त रखी थी. जापान ने इस दबाव में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमलों के बाद आत्मसमर्पण किया था. इसी तरह 2003 में सद्दाम हुसैन और 2011 में मुअम्मार गद्दाफी के मामलों में भी अमेरिका ने बिना शर्त समर्पण की नीति अपनाई थी.

    क्या खामेनेई का भी होगा सद्दाम या गद्दाफी जैसा अंजाम?

    इतिहास को देखते हुए ट्रंप का इशारा साफ है.  या तो खामेनेई झुक जाएं, या फिर अंजाम वही हो जो सद्दाम और गद्दाफी का हुआ था. अगर ईरान ने अमेरिका की बात नहीं मानी तो तीन बड़े कदम उठाए जा सकते हैं. टारगेटेड अटैक: खामेनेई, IRGC नेताओं और परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया जा सकता है.  रिजीम चेंज: सरकार बदलने के लिए बगावत को समर्थन दिया जा सकता है. पूर्ण सैन्य हमले: इराक और अफगानिस्तान की तर्ज पर बड़े पैमाने पर जमीनी हमला हो सकता है.

    इजरायल-ईरान जंग: अब तक क्या हुआ?

    13 जून से इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर जबरदस्त हमले शुरू किए. कई वैज्ञानिक और ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) के सीनियर अधिकारी मारे गए. इसके जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर मिसाइलें दागीं. अब तक ईरान में 224 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है और 1,257 लोग घायल हुए हैं. इजरायल में अब तक 24 लोगों की मौत हुई है. ईरान का आरोप है कि इजरायल का हमला अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है, और वह आत्मरक्षा के अधिकार के तहत जवाबी कार्रवाई कर रहा है.

    क्या ईरान झुकेगा?

    ईरान अब तक बिल्कुल भी पीछे हटता नहीं दिख रहा. तेहरान में जीवन सामान्य है, स्कूल, दफ्तर और बाजार खुले हैं. एक स्थानीय व्यापारी ने बताया, ‘हम अमेरिका और इजरायल से डरते नहीं, हमें अपनी एयर डिफेंस पर पूरा भरोसा है.’ हालात धीरे-धीरे एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध की ओर बढ़ते दिख रहे हैं. अब सवाल यह है कि क्या खामेनेई ट्रंप की चेतावनी को गंभीरता से लेंगे? या फिर यह संघर्ष भी इतिहास में एक और लंबे युद्ध के रूप में दर्ज होगा?
     

    यह भी पढ़ें: जहां बैठकर बना लादेन और बगदादी को मारने का प्लान, उस 'सिचुएशन रूम' में बैठेंगे ट्रंप, अब किसकी बारी?