नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलवार (9 जुलाई) को इंटरनेशनल ऑर्गन ट्रांस्प्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है. मामले में एक महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. क्राइम ब्रांच के DCP अमित गोयल ने बताया कि इसका मास्टरमाइंड एक बांग्लादेशी है. यह काम 25-30 लाख रुपये लेकर किया जा रहा था.
डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि हमने एक डोनर्स और रिसीवर को भी गिरफ्तार किया है. रैकेट में शामिल रसेल नाम का एक व्यक्ति मरीजों और डोनर्स की व्यवस्था करता था. यह रैकेट 2019 से चल रहा था.
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फेसबुक-वॉट्सऐप के जरिए आरोपी करते थे संपर्क
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान दिल्ली के पश्चिम विहार की इंदु पवार, पटेल नगर के असलम, कन्हैया नगर की पूजा कश्यप, मालवीय नगर की अंजलि, कविता और रितु व हरियाणा के सोनीपत के नीरज के रूप में की गई है.
सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों का गिरोह फेसबुक पेज और वॉट्सऐप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए बच्चे गोद लेने वाले बिना बच्चे वाले दंपतियों से संपर्क करते थे. साथ ही ये लोग बच्चों को गोद लेने का फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर कई दंपतियों से लाखों ठग चुके हैं.
जांच एजेंसी के मुताबिक, आरोपी ब्लैक मार्केट में सामान की तरह बच्चों का सौदा करते थे. अकेले मार्च में लगभग 10 बच्चे बेचे गए. सर्च ऑपरेशन के दौरान 5.5 लाख कैश, कई दस्तावेज समेत आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए हैं.
देश के कई बड़े अस्पताल आए जांच रडार पर
सीबीआई ने गिरफ्तार सभी 7 आरोपियों के अलावा 10 और लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. आरोप है कि मासूम बच्चों की तस्करी का एक नेटवर्क गोद लेने के साथ-साथ बाकी अवैध कामों में पूरे भारत में बच्चों की खरीद-विक्री करता है. इस घटना के बाद देश के कई बड़े अस्पताल जांच के घेरे में आ गए थे.
3 महीने पहले बच्चों की खरीद-फरोख्त गैंग पकड़ा था
दिल्ली में 3 महीने पहले अप्रैल में बच्चों की खरीद-बिक्री करने वाले एक गैंग को पकड़ा गया था. सीबीआई ने 5 अप्रैल को दिल्ली और हरियाणा में 7 जगहों पर छापे मारे थे. इस दौरान दिल्ली के केशवपुरम स्थित एक घर से तीन नवजातों को बरामद किया गया था.
इनमें दो लड़के थे, जिनमें एक डेढ़ दिन और दूसरा 15 दिन का था. एक बच्ची करीब एक महीने की थी. सीबीआई ने एक अस्पताल के वार्ड बॉय समेत 7 लोगों को भी गिरफ्तार किया था. इनमें 5 महिलाएं शामिल थीं.
आरोपियों का गिरोह बच्चों के असली माता-पिता या सरोगेट मां से उन्हें खरीदते थे. फिर सोशल मीडिया ऐड के जरिए निःसंतान दंपत्तियों को बेच देते थे. एक बच्चे की कीमत 4 से 6 लाख रुपए लगाई जाती थी.
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