वॉशिंगटन/नई दिल्ली: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के बाद अब एक और अहम घटनाक्रम सामने आया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के खिलाफ सीमित सैन्य कार्रवाई की योजना बना सकता है. चार वरिष्ठ राजनयिकों के हवाले से रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दर्जनभर वैश्विक नेताओं से इस मुद्दे पर सीधी बातचीत की है.
सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली स्थित करीब 100 विदेशी मिशनों के प्रतिनिधियों को भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा विशेष ब्रीफिंग में बुलाया गया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क्स से संबंधों का सबूत साझा किया और संभावित कदमों के बारे में जानकारी दी.
भारत का रुख: कड़ा जवाब तय
न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व नेताओं से टेलीफोन पर बातचीत केवल समर्थन हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि यह बताने के लिए की कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए तैयार है.
रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ने यह संदेश दिया कि "भारत वह सजा देगा जिसकी पाकिस्तान कल्पना भी नहीं कर सकता." भारतीय अधिकारियों ने विदेशी राजनयिकों को पाक समर्थित आतंकवाद के पिछले रिकार्ड, खुफिया सूचनाएं और कुछ संदिग्ध हमलावरों के चेहरे पहचानने वाले डेटा भी साझा किए हैं. हालांकि, भारत ने अभी सार्वजनिक रूप से कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं किया है.
पाकिस्तान और वैश्विक प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने भारत के आरोपों को खारिज करते हुए किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया है. वहीं, वैश्विक स्तर पर संयम बरतने की अपीलें भी सुनाई दे रही हैं. ईरान और सऊदी अरब ने दोनों देशों के बीच बातचीत की पेशकश की है, जबकि संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी तनाव कम करने का आग्रह किया है.
इसके बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस बार वैश्विक दबाव के बावजूद अपने रुख पर अडिग रह सकता है, खासतौर पर तब जब अमेरिका समेत कई बड़े देश भारत के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, भारत हालिया वर्षों में अपनी आर्थिक और कूटनीतिक ताकत में आई बढ़ोतरी के बाद अधिक आत्मविश्वासी दिखाई दे रहा है.
क्या अमेरिका भारत का समर्थन करेगा?
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका के मौजूदा रुख को देखते हुए सीधे तौर पर युद्ध में शामिल होने की संभावना कम है, लेकिन भारत को राजनीतिक समर्थन अवश्य मिल रहा है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डेनियल मार्की के अनुसार, अमेरिका ने 2019 के पुलवामा हमले के बाद भी भारत को समर्थन दिया था, और इस बार भी समान रणनीति अपनाई जा सकती है, यानी कार्रवाई के लिए भारत को कूटनीतिक समर्थन देना, लेकिन नियंत्रण से बाहर स्थिति आने पर संयम का आग्रह करना.
रणनीतिक जोखिम और संभावनाएं
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न देश हैं, ऐसे में किसी भी सैन्य टकराव का जोखिम व्यापक हो सकता है. हालांकि, भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने भरोसा जताया कि दोनों देशों के बीच प्रतिशोध सीमित दायरे में रहेगा. मेनन का मानना है कि दुश्मनी के बावजूद दोनों देश पूर्ण युद्ध की स्थिति से बचने की कोशिश करेंगे.
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