नई दिल्ली: 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद, भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए एक शक्तिशाली और रणनीतिक जवाब दिया. इस जवाब का नाम था – ऑपरेशन सिंदूर. यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि पाकिस्तान को एक साफ और निर्णायक संदेश था कि अब भारत आतंकवाद पर केवल शब्दों से नहीं, कार्रवाई से जवाब देगा.
ऑपरेशन सिंदूर के तहत, भारत ने 9 और 10 मई की दरमियानी रात को पाकिस्तान के चार प्रमुख एयरबेस पर एक के बाद एक हमले किए. इस रणनीति में सबसे अहम था नूर खान एयरबेस पर सर्जिकल एयरस्ट्राइक, जो कि पाकिस्तान के लिए एक न्यूरल सैन्य केंद्र माना जाता है.
नूर खान एयरबेस पर सीधा हमला
नूर खान एयरबेस, जिसे पहले PAF चकलाला एयरबेस के नाम से जाना जाता था, रावलपिंडी के उच्च सुरक्षा जोन में स्थित है. यह एयरबेस न केवल पाकिस्तान की वायु सेना का सामरिक केंद्र है, बल्कि यह देश की एयर मोबिलिटी कमांड का हब है, जहां से लॉजिस्टिक्स और महत्वपूर्ण एयर मूवमेंट संचालित किए जाते हैं.
यहां साब एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, C-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, और IL-78 मिड-एयर रिफ्यूलिंग टैंकर तैनात होते हैं – यानी पाकिस्तान की हवाई क्षमता का ‘स्पाइन’.
भारत ने जब इस बेस को निशाना बनाया, तो पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत दिया गया कि उसके सबसे सुरक्षित ठिकाने भी अब भारत की पहुंच से बाहर नहीं हैं.
डोभाल और वायुसेना प्रमुख ने बनाया मास्टरप्लान
9 मई की शाम को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक हुई, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर को अंतिम मंजूरी दी गई. बैठक में शामिल थे:
अजीत डोभाल ने वायुसेना प्रमुख को पूरा समर्थन देते हुए साफ किया – “अब शब्द नहीं, जवाब चाहिए. और वो जवाब ऐसा हो, जो हमेशा याद रखा जाए.”
वायुसेना ने इस मिशन के लिए अपने सबसे अनुभवी और दक्ष फाइटर पायलटों को चुना. उन्हें पूरी तरह गुप्त और सटीक तरीके से टारगेट हिट करने का आदेश दिया गया.
फाल्कनों ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी
रात करीब 1:45 बजे, भारतीय वायुसेना के सुखोई-30MKI और राफेल जेट्स ने LOC पार करते हुए अपनी उड़ान भरी. उनके साथ इलैक्ट्रॉनिक वारफेयर सपोर्ट में DRDO द्वारा विकसित जामिंग सिस्टम भी सक्रिय किए गए, ताकि पाकिस्तानी रडार उन्हें न पकड़ सकें.
नूर खान एयरबेस पर हमला महज 4 मिनट 38 सेकंड में पूरा किया गया. टारगेट्स को पहले से निर्धारित स्मार्ट लेजर गाइडेड बमों (LGB) से निशाना बनाया गया. सभी पायलट मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर भारत की सीमा में सुरक्षित लौट आए.
सैटेलाइट इमेज ने किया हमलों की पुष्टि
हमले के बाद, भारतीय सेना ने हाई-रेजोल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी जारी की, जिसमें साफ देखा गया कि नूर खान बेस के कई हेंगर और रनवे सेक्शन क्षतिग्रस्त हुए हैं.
इसके अलावा, सोशल मीडिया और नागरिकों द्वारा पोस्ट किए गए वीडियोज और तस्वीरों से भी हमलों की पुष्टि हुई. कराची, बहावलपुर और रहीम यार खान जैसे इलाकों में रात भर धमाकों की आवाजें गूंजती रहीं.
अमेरिका की शरण में भागा पाकिस्तान
भारतीय हमले के बाद पाकिस्तानी सैन्य तंत्र हिल गया. नूर खान जैसे हाई-सिक्योरिटी बेस पर हमला होना उनके लिए अप्रत्याशित था. अगले ही दिन सुबह, पाक सेना ने 11 सैन्यकर्मियों की मौत की पुष्टि की. इस नुकसान के बाद, पाकिस्तान ने आपातकालीन राजनयिक चैनलों के ज़रिए अमेरिका और चीन से संपर्क साधा.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने तुरंत पाकिस्तान के सेना प्रमुख से बात की और फिर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से संपर्क किया. इसके बाद, डीजीएमओ स्तर पर बातचीत हुई और सीमा पर तत्काल युद्धविराम की सहमति बनी.
ये भी पढ़ें- पाकिस्तानी सेना के समर्थन में लश्कर के आतंकियों ने निकाली रैली, कराची में भारत के खिलाफ उगले जहर