हाथरस भगदड़ मामला- घटना की विशेषज्ञ समिति से जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

    हाथरस भगदड़ मामला- घटना की विशेषज्ञ समिति से जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका
    हाथरस में मंगलवार को 'सत्संग' (धार्मिक आयोजन) में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के शवों के साथ रोते-बिलखते हुए उनके परिजन | Photo- ANI

    नई दिल्ली : हाथरस भगदड़ की घटना की जांच के लिए शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने के निर्देश देने की मांग करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. इस घटना में 2 जुलाई को 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. मौत की अब तक 120 से ज्यादा हो गई है.

    इसमें समिति से बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर ऐसी घटनाओं से बचने के लिए दिशा-निर्देश और सुरक्षा उपाय सुझाने व तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की गई.

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    लापरवाही के लिए लोगों और अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

    वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में उत्तर प्रदेश राज्य को हाथरस भगदड़ की घटना में शीर्ष अदालत के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और लापरवाह आचरण के लिए व्यक्तियों, अधिकारियों और अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने की भी मांग की गई.

    इसमें शीर्ष अदालत से सभी राज्य सरकारों को किसी भी धार्मिक आयोजन या अन्य आयोजनों में लोगों की सुरक्षा के लिए भगदड़ या अन्य घटनाओं को रोकने के लिए निर्देश और दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है, जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं.

    भोले बाबा उर्फ नारायण साकर हरि के 'सत्संग' में बची भगदड़

    उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा उर्फ ​​नारायण साकर हरि द्वारा आयोजित 'सत्संग' में भगदड़ मचने से महिलाओं और बच्चों समेत 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक, इस कार्यक्रम में 2 लाख से ज़्यादा श्रद्धालु जुटे थे, जबकि सिर्फ़ 80,000 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई थी.

    अपनी याचिका में अधिवक्ता ने अतीत में हुई ऐसी कई भगदड़ जैसी घटनाओं का हवाला दिया, जिसमें 1954 में कुंभ मेले में हुई भगदड़ शामिल है, जिसमें लगभग 800 लोगों के मारे गए थे, 2007 में मक्का मस्जिद में हुई भगदड़ में 16 लोगों के मारे गए थे, 2022 में माता वैष्णो देवी मंदिर में हुई मौतें, 2014 में पटना के गांधी मैदान में दशहरा समारोह के दौरान हुई मौतें और इडुक्की के पुलमेडु में लगभग 104 सबरीमाला श्रद्धालुओं की मौत शामिल है.

    याचिका में बताया जिम्मेदारी में चूक, लापरवाही

    याचिका में कहा गया है, "ऐसी घटनाएं प्रथमदृष्टया सरकारी अधिकारियों द्वारा जनता के प्रति जिम्मेदारी में चूक, लापरवाही और कर्तव्यहीनता की गंभीर स्थिति को दर्शाती हैं. पिछले एक दशक में हमारे देश में कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुप्रबंधन, कर्तव्य में चूक और लापरवाह रखरखाव गतिविधियों के कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है, जिन्हें टाला जा सकता था, लेकिन इस तरह की मनमानी और अधूरी कार्रवाइयों के कारण इस तरह के काम हुए हैं."

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