देश में जंगल, पेड़ 25.17% बढ़े- सबसे आगे छत्तीसगढ़, UP दूसरे नंबर पर, जानें कितना होना चाहिए वन क्षेत्र

    2021 के आकलन की तुलना में देश के वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किलोमीटर और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि शामिल है.

    देश में जंगल, पेड़ 25.17% बढ़े- सबसे आगे छत्तीसगढ़, UP दूसरे नंबर पर, जानें कितना होना चाहिए वन क्षेत्र
    भारत में पेड़ों का एक बाग, प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- ANI

    देहरादून (उत्तराखंड) : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को उत्तराखंड के देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में "भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023" जारी की, जिसमें इस बात पर खुशी जताई गई कि देश के कुल वन और वृक्ष कवर हए एरिया में 1,445 वर्ग किलोमीटर की इजाफा हुआ है.

    पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MO एमओईएफसीसी) द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, "देश का वन और वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किलोमीटर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है, जिसमें 7,15,343 वर्ग किलोमीटर (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किलोमीटर (3.41%) वृक्ष आवरण है."

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    छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा, यूपी दूसरे नंबर पर

    2021 के आकलन की तुलना में देश के वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किलोमीटर और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि शामिल है.

    वन और वृक्ष क्षेत्र में सबजे वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष 4 राज्य छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश (559 वर्ग किमी), ओडिशा (559 वर्ग किमी) और राजस्थान (394 वर्ग किमी) हैं. वन क्षेत्र में अधिकतम वृद्धि दर्शाने वाले शीर्ष तीन राज्य मिजोरम (242 वर्ग किमी) हैं, उसके बाद गुजरात (180 वर्ग किमी) और ओडिशा (152 वर्ग किमी) हैं.

    क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे अधिक वन और वृक्ष क्षेत्र वाले शीर्ष तीन राज्य मध्य प्रदेश (85,724 वर्ग किमी) हैं, उसके बाद अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग किमी) और महाराष्ट्र (65,383 वर्ग किमी) हैं.

    देश में इतना क्षेत्र का है राष्ट्रीय स्टैंडर्ड

    1988 की राष्ट्रीय वन नीति कहती है कि पारिस्थितिकी स्थिरता बनाए रखने के लिए भौगोलिक क्षेत्र का कम से कम 33 प्रतिशत भाग वन के अंतर्गत होना चाहिए.

    क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे अधिक वन क्षेत्र वाले शीर्ष तीन राज्य मध्य प्रदेश (77,073 वर्ग किमी) हैं, उसके बाद अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग किमी) और छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग किमी) हैं.

    कुल भौगोलिक क्षेत्र के संबंध में वन क्षेत्र के प्रतिशत के संदर्भ में, लक्षद्वीप (91.33 प्रतिशत) में सबसे अधिक वन क्षेत्र है, उसके बाद मिजोरम (85.34 प्रतिशत) और अंडमान और निकोबार द्वीप (81.62 प्रतिशत) हैं.

    वर्तमान आकलन से यह भी पता चलता है कि 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन क्षेत्र में है. इनमें से आठ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अर्थात् मिजोरम, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर में वन क्षेत्र 75 प्रतिशत से अधिक है.

    देश में मैंग्रोव कवर कुल 4,992 किमी है

    इस बीच, देश में कुल मैंग्रोव कवर 4,992 वर्ग किमी है. भारत के वनों और वनों के बाहर पेड़ों का कुल बढ़ता हुआ स्टॉक 6430 मिलियन क्यूबिक मीटर अनुमानित है, जिसमें से 4479 मिलियन क्यूबिक मीटर वनों के अंदर और 1951 मिलियन क्यूबिक मीटर वन क्षेत्र के बाहर है. पिछले आकलन की तुलना में कुल बढ़ते स्टॉक में 262 मिलियन क्यूबिक मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें वन के अंदर 91 मिलियन क्यूबिक मीटर और वन क्षेत्र के बाहर 171 मिलियन क्यूबिक मीटर की वृद्धि शामिल है. देश के लिए बांस वाले क्षेत्र का विस्तार 1,54,670 वर्ग किमी अनुमानित किया गया है. 2021 में किए गए पिछले आकलन की तुलना में बांस क्षेत्र में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है.

    वन से इतर पेड़ों से तैयार होती है इतनी लकड़ी 

    वन के बाहर के पेड़ों से लकड़ी का कुल वार्षिक संभावित उत्पादन 91.51 मिलियन घन मीटर अनुमानित किया गया है.

    वर्तमान आकलन में, देश के वन में कुल कार्बन स्टॉक 7,285.5 मिलियन टन होने का अनुमान है. पिछले आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 81.5 मिलियन टन की वृद्धि हुई है.

    कार्बन पृथक्करण से संबंधित एनडीसी के तहत लक्ष्य की प्राप्ति की स्थिति के बारे में, वर्तमान आकलन से पता चलता है कि भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO2 समतुल्य तक पहुंच गया है; जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में, भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुँच चुका है, जबकि 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन का लक्ष्य रखा गया है, विज्ञप्ति में कहा गया है.

    इस कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह और मंत्रालय की सचिव लीना नंदन ने भाग लिया.

    कार्यक्रम में बड़े संस्थानों के अफसरों ने लिया हिस्सा

    इस कार्यक्रम में भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE), भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (IGNFA), वन अनुसंधान संस्थान (FRI), केंद्रीय राज्य वन सेवा अकादमी (CASFOS), भारतीय सुदूर संवेदन संगठन (IRO), भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI) और भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) सहित संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ MoEFCC के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

    भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा एक द्विवार्षिक प्रकाशन है और 1987 से प्रकाशित हो रहा है. 2023 की रिपोर्ट इस श्रृंखला का 18वां संस्करण है. यह देश के वन और वृक्ष संसाधनों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करता है.
    यह रिपोर्ट FSI की दो प्रमुख गतिविधियों पर आधारित है: वन आवरण मानचित्रण (FCM) और राष्ट्रीय वन सूची (NFI).

    गंगा नदी डॉल्फिन टैगिंग का किया आयोजन 

    इससे पहले, केंद्रीय मंत्री यादव ने एक्स पर एक "ऐतिहासिक" मील का पत्थर साझा किया, जहां बुधवार को MoEFCC ने असम में पहली बार गंगा नदी डॉल्फिन टैगिंग का आयोजन किया.

    भूपेंद्र यादव ने एक्स पर लिखा, "असम में गंगा नदी डॉल्फिन की पहली टैगिंग की खबर साझा करते हुए खुशी हो रही है - यह प्रजाति और भारत के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है! यह MoEFCC और राष्ट्रीय CAMPA द्वारा वित्त पोषित परियोजना, जिसका नेतृत्व भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा असम वन विभाग और आरण्यक के सहयोग से किया जा रहा है, हमारे राष्ट्रीय जलीय पशु के संरक्षण की हमारी समझ को गहरा करेगी."

    यह प्रोजेक्ट डॉल्फिन की अहम प्रगति को दिखाता है

    MoEFCC द्वारा एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, इस पहल को भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा असम वन विभाग और आरण्यक के सहयोग से राष्ट्रीय CAMPA प्राधिकरण से वित्त पोषण के साथ लागू किया गया था.

    यह न केवल भारत में, बल्कि इस प्रजाति के लिए भी पहली टैगिंग है. यह मील का पत्थर प्रोजेक्ट डॉल्फिन की एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है.

    डॉल्फ़िन की सैटेलाइट टैगिंग करने का निर्णय लेने के बाद एक स्वस्थ नर नदी डॉल्फ़िन को टैग किया गया और उसे काफी पशु चिकित्सा देखभाल में रखते हुए छोड़ दिया गया.

    विज्ञप्ति में कहा गया है कि टैगिंग कवायद से उनके मौसमी और प्रवासी पैटर्न, सीमा, उसके आने-जाने और आवास के इस्तेमाल को समझने में मदद मिलेगी, विशेष रूप से बंटी हुई या हलचल वाले नदी में.

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