अजमेर में 32 साल पुराने सेक्स स्कैंडल पर आज आ सकता है फैसला- नग्न तस्वीरें फैलने पर 6 लड़कियों ने दी थी जान

    1992 में 100 से ज्यादा कॉलेज की लड़कियों के साथ गैंगरेप हुआ था और उनकी न्यूड फोटो से सनसनी फैल गई थी. एक ने सुसाइड कर लिया था. एक आरोपी के फरार होने पर भगोड़ा घोषित किया गया है.

    अजमेर में 32 साल पुराने सेक्स स्कैंडल पर आज आ सकता है फैसला- नग्न तस्वीरें फैलने पर 6 लड़कियों ने दी थी जान
    इस स्कैंडल पर बनी एक फिल्म का पोस्टर, प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- Social media

    अजमेर/नई दिल्ली : राजस्थान के अजमेर में 32 साल पुराने सेक्स स्कैंडल और ब्लैकमेल करने के मामले पर अदालत आज अपना फैसला सुना सकती है. इस मामले में नग्न तस्वीरें सामने आने पर 6 छात्राओं ने आत्महत्या कर ली थी.  

    1992 में 100 से ज्यादा कॉलेज की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार और उनकी न्यूड फोटो सामने आने पर सनसनी फैल गई थी. इसमें कुल 18 आरोपी थे, जिनमें से 9 को सजा सुनाई जा चुकी है. एक ने सुसाइड कर लिया था. एक शख्स ने लड़के के साथ कुकर्म के आरोप थे उस पर अलग सी कोर्ट ने कार्यवाही की है. एक आरोपी के फरार होने से उसे कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया है.

    बाकी 6 आरोपियों पर सुनवाई इसी साल जुलाई में पूरी हुई है. इससे पहले 8 अगस्त को अजमेर के पॉक्सो कोर्ट-2 में फैसला सुनाया जाना था. 6 में से 1 आरोपी तबीयत खराब होने से वह पेश नहीं हो पाया इसलिए फैसला टल गया था. आज यानि, 20 अगस्त को, फैसला आ सकता है. 

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    1992 में 100 से ज्यादा लड़कियों से रेप, ऐसे शुरू हुआ कारनामा

    1992 में इस पूरे मामले का मास्टरामाइंड उस समय के अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, यूथ कांग्रेस का ज्वाइंट सेक्रेटरी नफीस चिश्ती और यूथ कांग्रेस का उपाध्यक्ष अनवर चिश्ती समेत आरोपियों ने एक बिजनेसमैन के बेटे से दोस्ती की. उसके साथ कुकर्म किया और तस्वीरें खींच लीं. उसे ब्लैकमेल किया और उसकी गर्लफ्रेंड को पोल्ट्री फॉर्म लाकर रेप किया. उस समय के रील कैमरे से उसकी नग्न तस्वीरें खींची.

    इसके बाद लड़की को उसकी सहेलियों को उनके पास लाने के लिए ब्लैकमेल किया. और यह सिलसिला ऐसा चला कि एक-एक कर करके अनगिनत लड़िकों से बलात्कार किया गया और उन सभी नग्न तस्वीरें खींची गईं. ब्लैकमेलिंग का यह काम अलग-अलग ठिकानों पर बुलाकर लड़कियों के साथ रेप किया गया.

    लड़कियों की ये तस्वीरें कई लोगों तक पहुंची, 6 ने आत्महत्या कर ली

    इस कांड में शामिल आरोपियों ने इन तस्वीरों को बनाने के लिए लैब भेजा था. इन नंगी तस्वीरों देख लैब कर्मियों की भी नीयत खराब हो गई थी और वे पैसा कमाने के लिए इन नग्न तस्वीरों को बाजार में पहुंचाया. मेन प्रिंट कुछ लोगों के पास ही थे, इनकी फोटो कॉपी शहर में फैलने लगी. जो भी ये फोटो पाया उसने लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. लिहाजा, कॉलेज की 6 लड़कियों ने आत्महत्या कर ली.

    लड़कियां परेशान होकर थाने पहुंचीं, आए बड़े-बड़े लोगों के नाम

    इन तस्वीरों से परेशान होकर कुछ लड़कियां पुलिस थाने पहुंचीं और कई अमीरजादों के नाम एफआईआर दर्ज कराए. इसमें अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती समेत लोगों के नाम थे. उस समय की भैंरोसिंह शेखावत सरकार मामले को CID-CB सौंप दिया.

    12 आरोपियों के खिलाफ पहली चार्जशीट फाइल हुई

    पुलिस ने मामले में सबसे पहले 12 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की. इनमें कैलाश सोनी, हरीश तोलानी, फारुख चिश्ती, इशरत अली, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, परवेज अंसारी, नसीम उर्फ टारजन, पुरुषोत्तम उर्फ बबली, महेश लुधानी, अनवर चिश्ती, शम्सू उर्फ माराडोना और जहूर चिश्ती को गिरफ्तार किया और इनके खिलाफ DJ कोर्ट अजमेर में 30 नवंबर 1992 को आरोप पत्र दायर किया.

    पुलिस की गलती से मामला 32 साल तक खिंचा

    मामले में पुलिस के अलग-अलग चार्जशीट दायर करने से इन पर अलग-अलग सुनवाई के कारण 32 साल लग गए.

    पहला आरोपत्र 8 आरोपियों के खिलाफ, फिर 4 अलग-अलग चार्जशीट 4 आरोपियों के खिलाफ थीं. इसके बाद 6 बाकी आरोपियों के खिलाफ 4 और चार्जशीट दायर की. पुलिस की इस गड़बड़ी के कारण मामला 32 साल बाद तक चला और अभी तक इसमें इंसाफ नहीं हो पाया है.

    पुलिस ने ये सारी चार्जशीट CRPC की धारा 173 तहत पेश की थी. लिहाजा हर केस में हर बार नए आरोपी की गिरफ्तारी के बाद नई चार्जशीट पेश करनी होती थी. पहले से चल रहे ट्रायल को रोक-रोक कर दोबारा ट्रायल शुरू किया गया. इसके चलते पीड़िताओं और गवाहों बार-बार बयान देने के लिए आना पड़ा और लंबी खिंचती चली गई

    7 आरोपी फरार रहे, 21 साल तक सजा से बचते रहे

    2003 में मामले के 7 आरोपी नफीस चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट), अनवर चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेटरी), इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज और नसीम उर्फ टारजन फरार रहे थे. सातों ने पुलिस की सुस्ती का पूरा फायदा उठाया. आरोपियों को सही से पता चल गया था कि हर एक आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस नई चार्जशीट पेश करेगी और कोर्ट में अलग से सुनवाई होगी. इसके चलते नफीस चिश्ती, अनवर चिश्ती, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन और नसीम उर्फ टारजन ने लंबे वक्त बाद पुलिस के सामने सरेंडर किया.

    एक आरोपी को इलाहाबाद और एक दिल्ली से हुआ गिरफ्तार

    2003 में नफीस चिश्ती और नसीम उर्फ टारजन को इलाहाबाद और दिल्ली के धौला कुआं एरिया से पकड़ा गया था. 2004 में दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई, फिर ट्रायल शुरू किया गया.

    2005 तक मामले में 52 गवाहों के बयान दर्ज हो गए थे, लेकिन तभी एक और आरोपी इकबाल भाटी को मुंबई से अरेस्ट किया गया और नफीस चिश्ती और नसीम के खिलाफ सुनवाई को रोक दिया गया.

    इकबाल भाटी की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में फिर एक चार्जशीट दाखिल की गई. अब नफीस चिश्ती, नसीम और इकबाल भाटी के खिलाफ नए सिरे से ट्रायल शुरू हुआ. फिर से उन गवाहों को अदालत में बुलाया गया, जिनके बयान पहले दर्ज हो चुके थे. इस बार कोर्ट में 20 गवाहों के बयान दर्ज किए गए.

    2012 में आरोपी सीलम चिश्चती को पकड़ा गया

    2012 में आरोपी सलीम चिश्ती को पुलिस ने गिरफ्तार किया. जमीर हुसैन को अग्रिम जमानत मिली, जिसके बाद वह विदेश से वापस आया था. 2001 में उसने अमेरिका की नागरिकता हासिल कर ली और एक बार फिर ट्रायल रोका गया.

    सलीम चिश्ती और जमीर हुसैन के खिलाफ नये सिरे से आरोप पत्र दाखिल किया गया. इसके बाद नफीस चिश्ती, नसीम, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती और जमीर हुसैन के खिलाफ ट्रायल शुरू हुआ. गवाह फिर से कोर्ट में बुलाए गए. इस बार 69 गवाहों के बयान दर्ज किए गए.

    इसी बीच 2018 में एक और आरोपी सोहैल गनी को पुलिस ने गिरफ्तार किया. एक बार फिर ट्रायल रोका गया. मामले फिर से नई चार्जशीट पेश हुई और फिर से ट्रायल शुरू किया गया.

    फिलहाल अब जाकर, 104 गवाहों के बयानों के बाद 2024 के जुलाई में इस अंतिम सुनवाई पूरी हुई है. अब उम्मीद है कि मामले में फैसला जल्दी आ जाएगा.

    कुल 18 आरोपियों पर कोर्ट सुनाएगी अपना फैसला

    सहायक निदेशक अभियोजन वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि कुल 18 आरोपी हरीश दोलानी (कलर लैब का मैनेजर), फारुख चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट), नफीस चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट), अनवर चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेट्री), पुरुषोत्तम उर्फ बबली (लैब डेवलपर), इकबाल भाटी, कैलाश सोनी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज, इशरत अली, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, परवेज अंसारी, नसीम उर्फ टारजन, महेश लोदानी (कलर लैब का मालिक), शम्सू उर्फ माराडोना (ड्राइवर), जऊर चिश्ती (लोकल पॉलिटिशियन) के खिलाफ जांच कर सुनवाई पुरी हुई है. जहूर चिश्ती पर लड़के के साथ कुकर्म का आरोप था, जिसकी अलग सुनवाई हुई. इस पर निचली अदालत में मामला चला था.

    10 साल की सजा के बाद 4 आरोपियों को छोड़ दिया गया

    मामले में आरोपी ईशरत अली, अनवर चिश्ती, मोइजुल्हा उर्फ पूतन इलाहाबाद, शमसू उर्फ मरदाना ने 10 साल की सजा काटी और सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में इन्हें बरी कर दिया. 2001 में हाईकोर्ट ने चार आरोपी महेश लुधानी, परवेज, हरीश, कैलाश सोनी को बरी किया था. इन चारों को 1998 में सेशन कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

    6 आरोपी जिनके खिलाफ आज आ सकता है फैसला

    राठौड़ के मुताबिक, लंबित 6 आरोपियों नफीज चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहिल गणी, सैयद जमीर हुसैन के खिलाफ कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. आज फैसला आ सकता है. इन 6 आरोपियों पर 23 जून 2001 को आरोप पत्र दायर किया गया था. सभी फरार थे. 2002 में इन पर सुनवाई शुरू हुई थी.

    जमानत पर बाहर आए आरोपी ने कर लिया सुसाइड

    एक आरोपी पुरुषोत्तम उर्फ बबली जमानत पर बाहर आया और सुसाइड कर लिया था. एक आरोपी अल्मास महाराज अब भी फरार है. उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जाी किया गया है.

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