चीन ने LAC से सटे 6 एयरबेसों को किया अपग्रेड, इन हथियारों को किया तैनात, भारत की बढ़ेगी टेंशन!

    भारत-चीन सीमा पर एक बार फिर हलचल तेज़ है. इस बार मामला सिर्फ सैनिकों की तैनाती का नहीं, बल्कि आसमान में ताकत दिखाने का है. चीन ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक अपनी वायु शक्ति को नया रूप देना शुरू कर दिया है.

    China upgraded 6 airbases adjacent to LAC deployed these weapons Indias tension will increase
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    बीजिंग/नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा पर एक बार फिर हलचल तेज़ है. इस बार मामला सिर्फ सैनिकों की तैनाती का नहीं, बल्कि आसमान में ताकत दिखाने का है. चीन ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक अपनी वायु शक्ति को नया रूप देना शुरू कर दिया है. पीएलए एयरफोर्स ने छह अहम एयरबेस को अपग्रेड कर नई पीढ़ी के फाइटर जेट, ड्रोन और हेलिकॉप्टरों से लैस कर दिया है.

    ये कदम सिर्फ एक साधारण सैन्य गतिविधि नहीं, बल्कि सीमा पार दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं. जाहिर है, भारत भी चुप बैठने वालों में से नहीं है. भारत ने भी राफेल, एस-400 और आकाश मिसाइल जैसी घातक क्षमताओं के साथ जवाब देने की तैयारी कर ली है.

    चीन ने किन बेसों को बनाया और मजबूत?

    NDTV की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने जिन एयरबेसों को अपग्रेड किया है, वे हैं:

    टिंगरी

    लहुंजे

    बुरांग

    युटियन

    यारकंट

    इन बेसों की सैटेलाइट इमेज से साफ होता है कि नई एप्रन स्पेस, इंजन टेस्ट पैड और सपोर्ट स्ट्रक्चर बनाए गए हैं. यहां तक कि कुछ तस्वीरों में ड्रोन ऑपरेशन की झलक भी मिली है.

    रिपोर्ट के मुताबिक, यारकंट और युटियन का निर्माण क्रमश: 2016 और 2019 में शुरू हुआ था, जबकि बाकी बेसों में 2021 से तेज़ गतिविधियां देखी जा रही हैं. अब ये पूरी तरह से आधुनिक तकनीक से लैस हैं.

    LAC से कितने पास हैं ये एयरबेस?

    चीन के ये एयरबेस LAC से मात्र 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर हैं. यानी अगर कभी हालात बिगड़ते हैं, तो पीएलए एयरफोर्स को एक बटन दबाते ही अपने हथियारबंद जेट और ड्रोन अग्रिम मोर्चे पर भेजने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.

    ये एयरफील्ड अरुणाचल, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख में भारत के अहम सैन्य ठिकानों को सीधे टारगेट करने में सक्षम हैं.

    तिब्बत में उड़ान की चुनौती: चीन की मजबूरी

    चीन के एयरबेस तिब्बत के हाई-एल्टिट्यूड क्षेत्र में हैं, जहां कम ऑक्सीजन और कम एयर डेंसिटी की वजह से लड़ाकू विमानों को पूरी क्षमता से उड़ान भरने में दिक्कत होती है.

    इसका मतलब है- कम फ्यूल, कम पेलोड और सीमित ऑपरेशनल रेंज.
    इसके उलट भारत के ज्यादातर एयरबेस मैदानी इलाकों में हैं, जिससे यहां से उड़ने वाले फाइटर जेट्स पूरी ताकत और हथियारों के साथ मिशन पर जा सकते हैं.

    राफेल, एस-400 और ड्रोन से जवाबी तैयारी

    भारतीय वायुसेना को चीन की इन गतिविधियों की पूरी जानकारी है. IAF के एक अधिकारी ने NDTV को बताया- "हम हर कदम पर नजर रखे हुए हैं और तैयार हैं. हमारे पास जवाब देने के पूरे संसाधन हैं."

    • राफेल स्क्वाड्रन को लद्दाख और नॉर्थ ईस्ट में तैनात किया जा चुका है.
    • S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती से दुश्मन की मिसाइल और एयर स्ट्राइक्स को पहले ही ब्लॉक किया जा सकता है.
    • भारत ने भी अपने UAV (ड्रोन) और निगरानी तंत्र को मजबूत किया है.

    क्या आने वाला है एक नया ‘एयर स्टैंडऑफ’?

    भारत-चीन के बीच लद्दाख में लंबे समय से जमीनी तनातनी चल रही है. लेकिन अब यह संघर्ष हवा में वर्चस्व की लड़ाई की ओर बढ़ रहा है.

    इसका मतलब है – आने वाले महीनों में दोनों देशों की वायु सेनाएं एक-दूसरे के क़रीब और अधिक सक्रिय होंगी. इससे किसी भी गलतफहमी या आकस्मिक संघर्ष की आशंका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

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