नई दिल्लीः दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर आबकारी नीति मामले में मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को अनुमति दिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में कथित संलिप्तता के लिए केजरीवाल को "पहले ही दंडित" कर दिया है, उन्होंने कहा कि वह अब दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं हैं.
'दिल्ली के लोगों को इसकी उम्मीद थी'
मनोज तिवारी ने कहा, "दिल्ली के लोगों को इसकी उम्मीद थी. यह बिल्कुल भी चौंकाने वाला नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एक तरह से अरविंद केजरीवाल को दंडित कर दिया है. वह अब दिल्ली के सीएम नहीं हैं. उन्हें शराब घोटाले के लिए दंडित किया जाएगा."
यह बयान दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना द्वारा आबकारी नीति मामले में आप प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अनुमति दिए जाने के बाद आया है. 5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगी थी. यह घटनाक्रम दिल्ली सरकार की आबकारी नीति की महीनों से चल रही जांच के बाद हुआ है, जो विवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों के केंद्र में रही है.
इससे पहले दिन में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली के शराब घोटाले का 'सरगना' होने का आरोप लगाया. सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल को आबकारी नीति मामले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए 'दंडित' किया जाएगा. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एएनआई से कहा, "यह स्पष्ट है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के 'सरगना' हैं और उन्होंने दिल्ली को लूटा है. हम पहले दिन से ही यह कह रहे हैं कि एक बार जमानत पर बाहर आने के बाद यह आपकी बेगुनाही का सबूत नहीं है. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, अरविंद केजरीवाल इस मामले में दोषी हैं और उन्हें दंडित किया जाएगा."
दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया
इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ईडी को केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया. याचिका में दिल्ली आबकारी शराब नीति मामले में आरोपपत्रों पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. मामले की सुनवाई 5 फरवरी को न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ द्वारा की जाएगी.
ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को जानबूझकर खामियों के साथ बनाया गया था ताकि आप नेताओं को लाभ मिल सके और कार्टेल गठन को बढ़ावा मिल सके. ईडी ने आप नेताओं पर शराब कारोबारियों से छूट, लाइसेंस शुल्क माफी और कोविड-19 महामारी के दौरान राहत सहित तरजीही उपचार के बदले में रिश्वत लेने का आरोप लगाया है. ईडी ने आगे आरोप लगाया कि इस घोटाले में निजी संस्थाओं को 12 प्रतिशत मार्जिन के साथ थोक शराब वितरण अधिकार दिए गए, जिसके बदले में 6 प्रतिशत की रिश्वत दी गई. इसके अलावा, आप नेताओं पर 2022 की शुरुआत में पंजाब और गोवा में चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया.
ये भी पढ़ेंः 'हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ने ही नहीं, बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है', कुवैत में प्रवासी भारतीयों से बोले PM मोदी