80 साल बाद फिर सताने लगा वर्ल्ड वॉर का डर, 55% लोगों का मानना है कि विश्व युद्ध होगा, देखें यह सर्वे

    द्वितीय विश्व युद्ध के 80 साल बाद एक बार फिर वैश्विक अशांति की आहट सुनाई देने लगी है.

    After 80 years the fear of world war started haunting again
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    नई दिल्ली: द्वितीय विश्व युद्ध के 80 साल बाद एक बार फिर वैश्विक अशांति की आहट सुनाई देने लगी है. दुनिया एक बार फिर उस मुहाने पर खड़ी नजर आ रही है, जहां से इतिहास ने कभी युद्ध और विनाश की ओर रुख किया था. यूगोव द्वारा किए गए एक ताजा अंतरराष्ट्रीय सर्वे में सामने आया है कि अमेरिका और यूरोप के नागरिकों में तीसरे विश्व युद्ध का डर तेजी से बढ़ रहा है.

    क्या लौट रही हैं विश्व युद्ध जैसी स्थितियां?

    सर्वे में शामिल 55% लोगों का मानना है कि आने वाले 5 से 10 सालों में तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. यह आशंका केवल भविष्य की कल्पना नहीं, बल्कि रूस-अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव, परमाणु हथियारों की दौड़, और वैश्विक कूटनीति की असफलता के चलते गहराती जा रही है.

    वहीं 76% लोगों का मानना है कि यदि तीसरा विश्व युद्ध हुआ, तो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल तय है, जो इस बार के युद्ध को पहले से कहीं ज्यादा विनाशकारी बना देगा.

    परमाणु हथियार और रूस की सैन्य गतिविधियां चिंता

    रूस की आक्रामक सैन्य गतिविधियां और परमाणु ताकत सर्वे में सबसे बड़े खतरों के रूप में सामने आई हैं. पश्चिमी यूरोप के 82% और अमेरिका के 69% लोगों ने इन्हें वैश्विक शांति के लिए गंभीर चुनौती बताया.

    साथ ही, इस्लामिक आतंकवाद को भी एक बड़ा वैश्विक खतरा माना गया है. नागरिकों का मानना है कि यदि इस पर सख्ती से लगाम नहीं लगाई गई, तो इसके दुष्परिणाम वैश्विक शांति पर पड़ सकते हैं.

    दूसरे विश्व युद्ध की स्मृतियां अब भी जिंदा

    इस सर्वे में यह भी स्पष्ट हुआ कि लोगों के मन में दूसरे विश्व युद्ध की यादें आज भी गहरी छाप छोड़ चुकी हैं. 90% लोग मानते हैं कि इस विषय को स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां इसकी भयावहता को समझ सकें.

    • फ्रांस (72%), जर्मनी (70%), और ब्रिटेन (66%) में बड़ी संख्या में लोग इस युद्ध के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं.
    • वहीं स्पेन में सिर्फ 40% लोग इस इतिहास से भली-भांति वाकिफ हैं.
    • 52% लोगों को लगता है कि नाजी शासन जैसी बर्बरता आज भी संभव है, और 60% लोगों को यह खतरा अमेरिका या अन्य यूरोपीय देशों में भी महसूस होता है.

    नाटो, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ पर उम्मीदें कायम

    ऐसे हालात में लोग उम्मीद की किरण इन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में देख रहे हैं:

    • 66% लोगों ने नाटो को वैश्विक शांति बनाए रखने वाला सबसे अहम स्तंभ बताया.
    • 60% ने संयुक्त राष्ट्र, और
    • 56% ने यूरोपीय संघ को शांति बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाने वाला माना.

    हालांकि कुछ देशों में इन संस्थाओं की प्रभावशीलता को लेकर संदेह भी सामने आया है. उदाहरण के तौर पर, जर्मनी में 47% लोग मानते हैं कि पूर्ववर्ती सरकारें नाजी अतीत को लेकर जरूरत से ज्यादा सतर्क रहीं, जबकि वर्तमान में चल रही सरकारें नए संकटों से निपटने में कमजोर साबित हो रही हैं.

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