Vat Savitri Vrat 2024: सावित्री से प्रसन्न होकर यमराज ने लौटा दिए थे सत्यवान के प्राण, जानें इस व्रत के पीछे की पूरी कहानी

    Vat Savitri Vrat 2024: अपने पति की दीर्घ आयु के लिए रखा जाता है वट सावित्री व्रत, जानें इस व्रत के पीछे की पूरी कहानी, कैसे यमराज ने सावित्री से प्रसन्न होकर सत्यवान के प्राण को वापसी लौटाया था.

    Vat Savitri Vrat 2024: सावित्री से प्रसन्न होकर यमराज ने लौटा दिए थे सत्यवान के प्राण, जानें इस व्रत के पीछे की पूरी कहानी
    Vat Savitri Vrat 2024- Photo: Social Media

    Vat Savitri Vrat 2024:

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि में वट सावित्री का व्रत ( Vat Savitri Vrat 2024)   रखा जाता है. ऐसी कई मान्यताएं है. जिसमें यह कहा गया है कि इस व्रत को सुहागिन महीलाएं अपने पति की दीर्घ आयु के लिए रखा करती है. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा इसलिए कहा जाता है कि बरगद के पेड़  भगवान विष्णू, ब्रह्मा जी और शिवजी का वास होता है. इस दिन इस पेड़ की पूजा करने से सौभाग्य आशिर्वाद की प्राप्ति होती है. आज हम आपको इस व्रत के पीछे की कहानी के बारे में बताने आए हैं.

    Vat Savitri Vrat Story

    इस व्रत के पीछे की कहानी के बारे में अगर आप भी जान ना चाहते हैं, तो इस जानकारी को पूरा पढ़िएगा. आखिर यह व्रत की शुरुआत हुई कैसे थी. चलिए जानते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस व्रत को सति सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापसी के लिए रखा था. जिससे प्रसन्न हो यमराज ने भी उनके पति के प्राण को लौटा दिया थाय

    यहां जाने पूरी कहानी

    राजर्षि अश्वपति की एक ही संतान थीं सावित्री. अब सावित्री ने द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से विवाह किया था. इस दौरान नारद जी ने आके सावित्री को बताया कि सत्यवान की आयु काफी कम है. बावजूद इसके सावित्री ने अपने फैसले को बदला नहीं और सत्वान से शादी कर ली. अपने राजवैभव को छोड़कर सावित्री अपने पति सत्यवान के साथ वन में रहने लगी.

    एक समय आया जब वन में लकड़िया काटने के लिए सत्यवान वन की ओर गए. वन की ओर जाते हुए बेहोश हो गए थे. अचानक बेहोश होने का कारण यमराज उनके प्राण लेने आए थे. लेकिन तीन दिन से सति सावीत्रि उपवास कर रही थी. उसे सब मालूम था की आगे क्या होने वाला है. बिना किसी देरी के उन्होंने यमराज से सत्वान के प्राण ना लेने की प्रार्थना की. लेकिन यम नहीं माने.

    सावित्री ने ऐसे में उनके पीछे जाना शुरु कर दिया. उनके साहस और त्याग को देखकर यमराज जी को काफी प्रसन्नता हुई. जिसके कारण उन्होंने सावित्री से तीन वरदान मांगने को कहा. सावित्री ने सत्वान के माता-पिता के नेत्रों की मांग की. उनका छिना हुआ राज्य वापसी मांगा. अपने लिए 100 पुत्रों की मांग की. यमराज ने प्रसन्नता में उन्हें तथास्तु कहा. इसके बाद यमराज ने भी इस बात को जाना कि सावित्री के पति को साथ ले जाना अब संभव नहीं है. जिस कारण उन्होंने सावित्री को अखंड सौभाग्य का आशिर्वाद दे डाला. इसी के साथ उन्होंने सत्वान को भी वहां छोड़ कर जाना पड़ा.

    यमराज अंतरध्यान हुए और सावित्री अपने पति सत्यवान को लेकर वट वृक्ष के नीचे बैठ गई. इसलिए इस दिन कहा जाता है कि महिलाएं अपने परिवार और जीवनसाथी की दीर्घआयु की कमाना करती हैं. साथ ही वट वृक्ष को भोग अर्पण करती हैं साथ ही धागा भी लपेट कर  वृक्ष की पूजा अर्चना किया करती हैं.

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