कीव /लंदन: यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को तीन वर्ष हो चुके हैं, लेकिन अब यह संघर्ष केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहा. यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) ने एक चौंकाने वाला दावा किया है कि रूस की खुफिया एजेंसी यूक्रेनी नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों, को अनजाने में आत्मघाती हमलों के लिए इस्तेमाल कर रही है.
यह रिपोर्ट ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ में प्रकाशित हुई है, जिसमें SBU के हवाले से कहा गया है कि रूस इस ‘मानव बम’ रणनीति के जरिए युद्ध का चेहरा बदलने की कोशिश कर रहा है.
क्या है आरोप?
SBU के मुताबिक, रूस टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए यूक्रेन के गरीब या कमज़ोर तबके के युवाओं से संपर्क कर रहा है. उन्हें पैसे का लालच देकर ऐसी वस्तुएं ले जाने को कहा जाता है, जिनमें विस्फोटक होते हैं — लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती.
कुछ मामलों में ये नागरिक वास्तव में विस्फोट के समय मारे गए, जबकि वे समझते थे कि वे केवल एक पैकेज पहुंचा रहे हैं.
रणनीति का उद्देश्य क्या है?
यूक्रेन का दावा है कि यह रणनीति रूस की "लो-कोस्ट हाई-इंपैक्ट" युद्ध नीति का हिस्सा है:
SBU प्रवक्ता आर्टेम डेख्तियारेंको के अनुसार, यह गतिविधि 2023 की शुरुआत में शुरू हुई, जिसमें पहले सार्वजनिक भवनों, डाकघरों, और भर्ती केंद्रों को नुकसान पहुंचाने के प्रयास शामिल थे.
कैसे की जा रही है भर्ती?
SBU का कहना है कि कई मौकों पर भर्ती किए गए लोगों को बाद में गिरफ्तार किया गया, लेकिन उन्हें इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि वे किसी सैन्य साजिश का हिस्सा बन रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चिंता
इस तरह के दावों ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों को भी चिंता में डाल दिया है. यदि यह आरोप सत्य सिद्ध होते हैं, तो यह न केवल युद्ध के मानवीय आयामों को भयावह बनाता है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि:
हालांकि रूस की तरफ से इस दावे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इससे पहले भी रूस पर साइबर हमलों, प्रॉक्सी मिलिशिया और मनोवैज्ञानिक युद्ध (Information Warfare) का आरोप लगता रहा है.
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