नई दिल्लीः केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि सेवा, समर्पण और सद्भावना भारतीय संस्कृति के आंतरिक मूल्य हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि सेवा की भावना से बड़ा कोई धर्म नहीं है. राजनाथ सिंह सेवा भारती द्वारा आयोजित 'सेवा सम्मान' कार्यक्रम में बोल रहे थे.
सेवा भारती के योगदान की सराहना कर रहे थे राजनाथ सिंह
सेवा भारती के योगदान की सराहना करते हुए सिंह ने कहा कि संगठन कई वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, महिला सशक्तीकरण, गरीबी उन्मूलन और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से काम कर रहा है. उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि सेवा भारती की नींव दूसरों की सेवा और कल्याण के लिए जीवन समर्पित करने में निहित है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, "सेवा, समर्पण और सद्भावना ऐसे मूल्य हैं जो हमारी भारतीय संस्कृति और पहचान को परिभाषित करते हैं. हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि सेवा ही सर्वोच्च धर्म है और सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता. अगर कोई धर्म सबसे अधिक दिखाई देता है, तो वह सेवा है. हमारे महान नेताओं ने हमें सिखाया है कि मानव जीवन का उद्देश्य दूसरों के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करना है. यही सेवा भारती संगठन का सार है, जो वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, महिला सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभावशाली कार्य कर रहा है."
बालासाहेब देवरस ने की थी सेवा भारती की स्थापना
उन्होंने कहा, "सेवा भारती की स्थापना बालासाहेब देवरस ने की थी और भैयाजी जोशी जैसे लोगों ने संगठन को मजबूत करने के लिए अथक प्रयास किया है. जो लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के चरित्र को समझते हैं, वे जानते हैं कि इसका उद्देश्य केवल राष्ट्र निर्माण ही नहीं बल्कि चरित्र निर्माण भी है. हम अपने अंदर जो बदलाव देखते हैं, जिस तरह से हम संवाद करते हैं और जिस भाषा का इस्तेमाल करते हैं, वह आरएसएस द्वारा दिए गए मूल्यों का परिणाम है. मेरा मानना है कि सेवा राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण तत्व है. आज का कार्यक्रम आत्मचिंतन का अवसर प्रदान करता है. हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि हम अपने जीवन में सेवा की भावना को कैसे अपना सकते हैं."
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