'जो धर्म 1400 साल पुराना है वह 1500 साल पुराने गांव पर क्लेम कर रहा है', ऐसा क्यों बोले स्वामी दीपांकर

    भारत 24 के 'Viksit Bharat 2047' कार्यक्रम में रविवार को कई दिगग्ज पहुंचे. इस खास कार्यक्रम में खास मेहमान समाज सुधारक और सनातनी संत स्वामी दीपांकर आए. उन्होंने इस दौरान सनातन धर्म और बांगलादेशी हिंदूओं पर बात की.

    The religion which is 1400 years old is claiming a 1500 years old village why did Swami Dipankar say this
    Viksit Bharat 2047/Photo- Bharat 24

    नई दिल्ली: भारत 24 के 'Viksit Bharat 2047' कार्यक्रम में रविवार को कई दिगग्ज पहुंचे. इस खास कार्यक्रम में खास मेहमान समाज सुधारक और सनातनी संत स्वामी दीपांकर आए. उन्होंने इस दौरान सनातन धर्म और बांगलादेशी हिंदूओं पर बात की.

    सवाल- इस वक्त तो संगम नगरी का अद्भुत नजारा है. करोड़ों की संख्या में त्रिवेणी तट पर लोग पहुंच रहे, आस्था के डुबकी लगा रहे हैं. आप व्यवस्थाओं से कितने संतुष्ट है और जो मनोरम तस्वीरें सामने आ रही है उसको लेकर के आपके मन का भाव क्या है?

    स्वामी दीपांकर का जवाब- "यह आजाद भारत के बाद प्रयाग को तीर्थराज कहा जाता है, तीर्थों का राजा. वहां पर महाकुंभ का होना और उस महाकुंभ में 6-7 करोड़ लोगों का पहुंचना और आस्था की डुबकी लगाना इस बात को पुख्ता कर रहा है, प्रमाणित कर रहा है कि यह बदला हुआ सनातन है, सचेत है, सजग है, वह वक्त कुछ अलग था यह वक्त कुछ अलग है. तो इस अलग वक्त में सनातन का अपना एक अलग स्वरूप है या यह कहूं कि यह सनातन का अमृत काल है या यह कहूं कि यह वो सनातन है जो सुप्रीम कोर्ट में खड़ा होता है. संविधान के साथ तीर्थों पर खड़ा होता है."

    सवाल- उसी महाकुंभ को लेकर के जब यह दावे होने लगते हैं कि यह तो वक्फ की जमीन पर हो रहा है, जब लोगों की भावनाएं एक तरीके से आहत करने की कोशिश होती है यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है?

    स्वामी दीपांकर का जवाब- "मैं समझता हूं कि यह आजाद भारत का सबसे बड़ा ब्लंडर है कि आप किसी की जमीन को कह देते हैं कि यह वक्फ की है. आप सोचिए कि कोई भी थोड़ा सा भी विवेक रखता होगा तो वह व्यक्ति तय करेगा जो नहर के लेफ्ट-राइट जमीन होती है वह सरकार की होती है, वह जमीन वफ की नहीं होती. अब सोचिए आपने वक्फ का जिक्र किया तो जिक्र संभल का भी होगा. अब संभल का जिक्र कैसे होगा मैं सभी जितने विद्वान श्रोता बैठे हैं उनसे भी कहूंगा कि वक्फ की संभल में जमीन कही गई सात वर्ग किलोमीटर, आप सोचिए कि समूचा संभल बसा हुआ है 5 वर्ग किलोमीटर पर. अब संभल की जमीन 5 वर्ग किलोमीटर है और संभल को 7 वर्ग किलोमीटर वक्फ ने दान कर दिया इससे बड़ा कोई ब्लंडर होगा. देने वाला कौन है अब्दुल सनत, अब्दुल सनत कौन है खोज में नहीं आ रहा. डीएम से लेकर के उसको जिले के सारे ऑफिसर ढूंढ रहे हैं. सोचिए कि चाट पापड़ी खरीदने का हिम्मत नहीं है और जमीन दे दिया सात वर्ग किलोमीटर, मतलब मैं हैरत में हूं. अगला रोचक तथ्य सुनिए वहां सरकारी बिल्डिंग बनी 1905 में और 1929 में उसी अब्दुल सनत ने वो सरकारी जमीन दे दिया वक्फ को. यह तय मानिए कि यह लोकसभा राज्यसभा उच्च न्यायालय यह सब वक्फ की जमीन पर एयरपोर्ट, वक्फ की जमीन पर संभल, आप सोचिए कि यह आजादी के बाद से अगर जो इसकी जांच होगी तो यह सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा. मैं तय कहता हूं जब कोई एक व्यक्ति नहीं मिल रहा यह क्लेम करने को कि अब्दुल सनत मैं ही हूं तो यह अब्दुल सनत की भूमि हुई कहां से."

    सवाल- एक तरफ सनातन बोर्ड की मांग की जा रही है, कई साधु संतो से हम भी मिलते हैं उनकी तरफ से मांग की गई है कि सनातन बोर्ड होना चाहिए, फिर वक्फ बोर्ड से आपत्ति क्यों?

    स्वामी दीपांकर का जवाब- "सनातन बोर्ड बना नहीं है और रेलवे और डिफेंस के बाद सबसे ज्यादा अगर किसी पर भूमि है तो वह वक्फ पर है. मुझे आज भी याद है जब 2014 में सरकार आ रही थी और पिछली जा रही थी तो नई दिल्ली की कितनी प्राइम प्रॉपर्टी वक्फ को दी गई थी. मैं भूला नहीं हूं आज भी साउथ के कई ऐसे जगह है, ऐसे गांव है जो वक्फ को बने हुआ मुश्किल से 100 साल या 50-60 साल और वह गांव है 1500 साल पुराना और वह गांव वक्फ का हो गया. एक किसान को जब अपनी बेटी की शादी करनी थी तो तहसील में गया जमीन बेचने के लिए तो उसने कहा कि वफ से पहले नोटिस लेकर आइए कि यह आपका जमीन है. तो उन लोगों को मतलब जिस धर्म का आवागमन 1400 साल पुराना है वह 1500 साल पुराने गांव पर क्लेम कर रहा है. 1905 में सरकारी बिल्डिंग बनी 1929 में वो अब्दुल सनत ने वक्फ को दे दी. मतलब इससे बड़ा कोई ब्लंडर होगा."

    सवाल- आपने बांग्लादेश का भी जिक्र किया और हम लगातार देखते कि वहां से कैसी तस्वीर सामने आती हैं. अल्पसंख्यकों को किस तरीके से निशाना बनाया जा रहा है, हिंदू मंदिरों को किस तरीके से टारगेट किया जा रहा है, एक सनातनी होने के नाते क्या आप दुखी होते हैं?

    स्वामी दीपांकर का जवाब- "इन तस्वीरों को देख के दुखी नहीं मैं विचलित होता हूं. और ये आपने बांग्लादेश का जिक्र किया तो सामने युवा बैठा है देश का, यकीन मानिए बांग्लादेश को देख कर के रात में नींद नहीं आती. इतनी बुरी स्थिति होती है कि किसी पति के सामने पत्नी का रेप होना, किसी भाई के सामने बहन का रेप होना, बच्चों को निकाल कर मारना, खुलेआम ऐलान करवाना, मुझे कश्मीर का वह वक्त याद आ गया कि पुरुष यहां से चले जाएं महिलाए यहीं छोड़ दें. तो ऐसी स्थिति अगर बांग्लादेश में है उस के बाद हम यहां पर खड़े होकर के बात करते हैं गंगा यमुना तहजीब की, कथित भाईचारे की. अगर भाईचारा और गंगा यमुना तहजीब है तो देश के मुस्लिम को खड़े होकर स्वर में कहना चाहिए कि जो बांग्लादेश में हो रहा है हम उस पर लानत देते हैं. हिंदुस्तान में हम हिंदुओं के भाई हैं और वहां पर भी जो हिंदुओं के साथ कत्ल गारत हो रहा है उसे तत्काल प्रभाव से बंद करें, वरना हमारे सारे रिश्ते खत्म. तब जाकर बात बनती है तब कोई भाईचारा होता है."

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