'भारत ने उसे पीछे छोड़ दिया जिसने हमें गुलाम बनाया था', भारत 24 पर बोले पंजाब के राज्यपाल गुलाब चन्द कटारिया

    भारत 24 के 'Viksit Bharat 2047' कार्यक्रम में रविवार को कई दिगग्ज पहुंचे. इस खास कार्यक्रम में खास मेहमान राजनीतिज्ञ और पंजाब के राज्यपाल 'गुलाब चन्द कटारिया' आए. उन्होंने इस दौरान विकसीत भारत पर बात की.

    India has left behind those who enslaved us said Punjab Governor Gulab Chand Kataria on Bharat 24
    Viksit Bharat 2047/Photo- Bharat 24

    नई दिल्ली: भारत 24 के 'Viksit Bharat 2047' कार्यक्रम में रविवार को कई दिगग्ज पहुंचे. इस खास कार्यक्रम में खास मेहमान राजनीतिज्ञ और पंजाब के राज्यपाल 'गुलाब चन्द कटारिया' आए. उन्होंने इस दौरान विकसीत भारत पर बात की.

    गुलाब चन्द कटारिया ने कहा, "मैं बहुत ज्यादा विद्वान नहीं हूं और 2047 तक क्या होगा, तो जैसा भारत का आदमी होगा वैसा होगा देश बनता है. देश किसी मट्टी और सीमेंट से नहीं बनता है, देश बनता है तो व्यक्ति से बनता है. और इसलिए मेरी ऐसी मान्यता है कि अगर आप बनाना चाहते हो तो भारत के व्यक्ति को समर्पित जीवन जीने का भाव पैदा करो. मैं जैसा मानता हूं कि अपना देश हजार वर्षों की संघर्ष के बाद भी बीज को बचाकर आप और मुझ तक लाकर दे दिया यह भारत की करामात मानता हूं. दुनिया का कोई देश नहीं होगा जिसने हजार वर्षों तक संघर्ष करके अपनी महान संस्कृति को और अपने आदर्शों को बचा के रख लिया."

    हमने हमारे अतीत से हमारे बच्चों को नही जोड़ा

    उन्होंने कहा, "हमारा दुर्भाग्य है कि हमने हमारे अतीत से हमारे बच्चों को जोड़ने का प्रयास नहीं किया और केवल हम उनसे उम्मीद करते हैं ऐसा होना चाहिए. जब तक उसके सामने कोई मॉडल ही नहीं होगा, किसी व्यक्ति का निर्माण उसके सामने का मॉडल कैसा है, उसके मित्र कैसे हैं, वो जिस शिक्षण संस्था में पढ़ता है वहां उसका वातावरण कैसा है, जिस गली मोहल्ले में रह है वहां का वातावरण कैसा है, यह सारे मिलकर व्यक्ति के निर्माण का काम करते हैं. अब हम बिना बात के उसको दोष देते हैं कि ऐसा हो गया. जैसा आपने किया वैसा हो गया, जैसा करना चाहते हो वैसा अपने आप को बनाओ ताकि वह मॉडल देख कर के आगे बढ़े. मैं सोचता हूं 2047 का भारत कैसा होगा. थोड़ा बहुत अनुभव तो आपको पिछले 10-12 सालों में हुआ ही है, अगर व्यक्ति समर्पित भाव से काम करे तो कोई अदृश्य शक्ति उसकी मदद करती है. मन ठीक हो, सोच सही हो, देश से प्रेम हो, देश के एक एक व्यक्ति को पुरुष नहीं मान कर भगवान का स्वरूप मान कर के अगर उसकी सेवा करने का प्रयास करें तो निश्चित रूप से उपलब्धिया आती है."

    भारत आज दुनिया को अन्न भेजकर जिंदा रखता है

    कटारिया ने कहा, "आज की तारीख में दुनिया में पर्यावरण एक बहुत बड़ी समस्या बनकर के सामने आया है. मुझे अच्छी तरह से याद है उस समय मैं प्राइमरी स्कूल का अध्यापक था जब 65 का युद्ध हुआ था. लाल बहादुर शास्त्री सा छोटा सा कद का देश का प्रधानमंत्री और जब जीती हुई भाग को लौटाने के लिए अमेरिका ने दबाव बनाया कि वापस करो, तब इस छोटे से आदमी ने कहा मेरी सेना ने जिस कुर्बानी से जीता है उसको मैं नहीं लौटाऊंगा. उन्होंने कहा नहीं देखो सोच लो तुम्हारी देश की जनता को मेरा गेहूँ जिंदा रखता है अगर मैंने यह बंद कर दिया ना तो सारा हिंदुस्तान भूखे मर जाएगा. लेकिन उस व्यक्ति का देश प्रेम इतना था कि उन्होने कहा- इसका भी मुकाबला करेंगे, लेकिन जीता हुआ भाग वापस नहीं देंगे. गेहूं बंद हुआ, आदमी ने जय जवान के साथ जय किसान का नारा देकर देश की तरुणाई को देश में अन्न पैदा करो इस बात के लिए प्रेरित किया और आपने देखा उसका चमत्कार, अकेले पंजाब ने जिस तरह से कृषि क्रांति की और उसके कारण से भारत अपनी आवश्यकता की पूर्ति नहीं करता है, आज दुनिया को अपना अन्न भेजकर जिंदा रखता है. मैंने देखा सोमवार के दिन छोटे-छोटे बच्चे भी टिफिन लेकर नहीं आए तो मैंने स्वाभाविक पूछा कि तुम क्यों नहीं लाए. उसने कहा कि अपने देश में ऐसा कह रहे कि अन्न की कमी है इसलिए अन्न बचाओ, इसका मतलब यह है कि मुर्दे में भी जान फूकी जा सकती है, अगर तुम्हारे में ताकत हो तो."

    हमको सुरक्षित भारत हमारे पुरखों ने दिया है

    उन्होंने आगे कहा, "हमको सुरक्षित भारत अगर किसी ने दिया तो हमारे पुरखों ने दिया था. उत्तर में हिमालय हमारी सीमाएं तय करता है, दक्षिण में समुद्र हमारी सीमाएं तय करता है. पर हमने इसको संभाले नहीं रखा उसके कारण से वह फोड़ा इस समय तक कष्ट दे रहा है. आज भी आपको विभिन्न क्षेत्रों में और विशेष करके मैं पंजाब का गवर्नर हूं मेरे बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट पर जिस तरह से ड्रोन से नशीले पदार्थ और हथियार आते हैं वह देश के सामने एक चुनौती है. सरकार को धन्यवाद कि उन्होंने हमको एंटी ड्रोन दिए हैं. हम कई ड्रोन को गिराने में समर्थ हो रहे हैं लेकिन उसके बाद भी हम यह नहीं कह सकते कि हमने इस पर पूर्ण विजय प्राप्त कर ली है."

    भारत आर्थिक दृष्टि से ठीक दिशा की ओर बढ़ रहा है

    कटारिया ने कहा, "मैं सोचता हूं कि उभरती हुई अर्थव्यवस्था आपको और मुझे यह विश्वास दिला रही है कि भारत आर्थिक दृष्टि से काफी ठीक दिशा की ओर बढ़ रहा है. 13 में जब हम विश्व की अर्थव्यवस्था में 11वें स्थान पर पर आते थे और पिछले साल हम पांचवे नंबर पर पहुंच गए और उन्हें भी पीछे धकेला जिसने हमको 200 साल गुलाम बना रखा. इसी साल के अंत तक लगेगा कि हम चौथा पायदान छू लेंगे और 2047 तक हमारा लक्ष्य है कि हम दुनिया के नंबर एक का देश बना सके. कभी यह विश्व गुरु था इसको फिर उस दिशा में ले जाएं. हम विश्व गुरु तलवार के बूते पर नहीं थे. हमने जबरदस्ती जाकर के किसी को विश्व गुरु का तोहफा देने का लेने का प्रयास नहीं किया. हमने अपने आदर्श सिद्धांतों के आधार पर 'वसुधैव कुटुम्बकम' की बात कही है."

    सारी दुनिया में भारत के हर बच्चे का सीना तन गया

    उन्होंने कहा, "आपने देखा होगा किस तरह से ईश्वर ने इस अंतरिक्ष में भारत का गौरव बढ़ाया. जब चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक उतरा तो सारी दुनिया में भारत के हर बच्चे का सीना तन गया. देश के प्रधानमंत्री कहां थे, कहां से उतरने के बाद सीधे उन वैज्ञानिकों के पास गए धन्यवाद दिया. पहले असफल हो गए थे तब भी गए थे कोई चिंता नहीं असफलता में सफलता निहित होती है और वो वास्तव में करके दिखाया. तो आज की तारीख में हम दुनिया में इस दृष्टि से भी एक प्रमुखता की ओर बढ़ रहे हैं. यह 2047 का रास्ता दिखा रहा है."

    हमारे पास जितने हथियार थे सब बाहर से लाते थे

    पंजाब के राज्यपाल ने कहा, "आर्मी की दृष्टि से हमारे पास जितने हथियार थे सब बाहर से लाते थे, आज की तारीख में हम अपने अधिक्तर हथियार बनाने लगे हैं और दुनिया के लोग हमारे हथियार को खरीद रहे हैं. इसका मतलब हमारे देश के लोगों में टैलेंट की कमी नहीं है, केवल टैलेंट को दिशा देने की जरूरत है. जब कोविड आया था हम सब लोग घरों में बंद हो गए. ऐसा लगा कि शायद अब वापस सड़क के दर्शन नहीं कर पाएंगे. लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार के कदम उठाए उस समय जरूर आलोचना हुई होगी, लेकिन उसके कारण से लोगों में बीमारी को फैलने से रोक दिया. और आपने देखा जब वैज्ञानिक प्रयोगशाला में प्रधानमंत्री स्वयं अपने वैज्ञानिकों के पीठ पर खड़े होकर कहा और हिंदुस्तान पहली बार आजादी के बाद यह दो वैक्सीन बना सका इसका मतलब क्षमता है. क्षमता में कोई कमी नहीं है, क्षमता का उपयोग करने वाला व्यक्ति चाहिए तब जाकर के हम कर सकते हैं."

     

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