नई दिल्ली: भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र के 'The JC Show' का लाखों-करोड़ों दर्शकों को इंतजार रहता है. इस बार The JC Show अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर है, जिसमें रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प ने जीत हासिल की है. इस बार इस शो का नाम है- Will Trump Modi Reshape The World Order. आइए जानते हैं इस शो में Man of Prediction कहे जाने वाले डॉ. जगदीश चंद्र का विश्लेषण.
सवाल- आज की हमारी शो की हेडलाइन है Will Trump Modi Reshape The World Order इसके मायने क्या हैं?
इस सवाल के जवाब में डॉ जगदीश चंद्र ने कहा, "नरेंद्र मोदी और ट्रम्प इस ग्रह के दो सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं. वे निश्चित रूप से वर्ल्ड ऑर्डर को नया आकार देने जा रहे हैं. जियोपोलिटिकल ऑर्डर आज संसार के सामने में सबसे बड़ी चुनौती या ट्रंप के सामने सबसे बड़ी चुनौती है तीसरे विश्व युद्ध को रोकना, जिसमें अमेरिका एक सबसे बड़ी पार्टी है. यूक्रेन के नाते और इधर इजराइल के नाते अमेरिका की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और नरेंद्र मोदी पहले कह चुके हैं कि सलूशन जो है वह टेबल पर है, डायलॉग डिप्लोमेसी से है, वॉर से नहीं है. आज मोहन भागवत ने भी तीसरे युद्ध की विश्व युद्ध की संभावना जताई है और कहा है कि संसार भारत की ओर आशा की निगाहों से देख रहा है. ट्रम्प ने यह कहा है कि मैं अगर राष्ट्रपति होता और ठीक ढंग से स्थितियां होती तो मैं रूस को यूक्रेन पर हमला ही नहीं करने देता. उसने यह कहा है कि मैं अपने लोगों को मरने नहीं दूंगा ना यूक्रेनियन को मरने दूंगा ना रशियन को मरने दूंगा."
सवाल- दोनों की पुरानी दोस्ती देखते हुए और अब जब ट्रंप की वापसी हुई है तो भारत उत्साहित नजर आ रहा है, आपको क्या लगता है कि इस दोस्ती के संभावित फायदे क्या हो सकते है?
इस सवाल के जवाब में डॉ चंद्र ने कहा, "संभावित फायदों से पहली बात तो यह है कि नरेंद्र मोदी ऐसे ब्रांड कि लोग उछलते हैं उनको सुनते ही. ट्रंप के बनते ही एक नारा आया कि मोदी का दोस्त यूएस का बॉस तो लोग गांव में उछलने लग गए कसबा में उछलने लग गए ट्रंप का नाम भारत के गांव गांव पहुंचा. लोगों ने कहा मोदी का दोस्त आ गया, मोदी का दोस्त आ गया. तो पहली बार ऐसा हुआ कि अमेरिकन प्रेसिडेंट का जो इलेक्शन है वो पूरे संसार में गांव गांव तक पहुंचा. उसके तुरंत बाद में मोदी जी ने उनको फोन लगाया, और मैंने सुना है कि ट्रंप ने जो तीन पहले कॉल रिसीव किए उसमें एक नरेंद्र मोदी का था. लंबी बातचीत हुई और फिर उन्होंने वही दोहराया कि जिसे कहते हैं कि आप शानदार व्यक्ति हैं, भारत शानदार देश है हमें मिलकर काम करना है. सारी दुनिया आपको प्यार करती है. इससे पहले जो वहां हुआ था टेक्सास में वो आप देख चुके, अहमदाबाद में जो हुआ वो देख चुके हैं. तो जो माहौल है चारों तरफ देश में और एड जॉइनिंग कंट्रीज में वो यह है कि जो नरेंद्र मोदी का दोस्त है वह अमेरिका का राष्ट्रपति बन गया है. तो इससे अच्छी खुशी बात लोगों के लिए क्या हो सकती है."
सवाल- इसके विपरीत कुछ राजनैतिक पर्यवेक्षकों का यह मानना है कि ट्रंप के आने की खुशी में अभी जश्न मनाना जल्दबाजी होगी, क्या आप भी ऐसा सोचते हैं?
भारत 24 के सीईओ डॉ चंद्र ने कहा, "मैं यह मानता हूं. ट्रंप बेसिकली बिजनेसमैन हैं, एक डील मैन हैं, एक ट्रांजेक्शन मैन हैं. वह हर काम में सबसे पहले अमेरिका का फायदा सोचता है. जहां अमेरिका का फायदा है मैं वहां जाऊंगा, अगर चीन के साथ जाने में फायदा है तो वहां चला जाएगा. भारत के साथ फायदा है तो भारत के साथ चला जाएगा. आने वाले दिनों में देखना होगा कि जो पर्सनल रिलेशनशिप है वह कहां तक इंपैक्ट कर पा रही है. हमें होप फुल होना चाहिए. बाकी यह बात तो जरूर कि ट्रंप की अपनी सीमा है और उसी के तहत नरेंद्र मोदी डिप्लोमेसी के मास्टर हैं."
सवाल- टैरिफ पर ट्रम्प के विचार और भारत पर इसका क्या प्रभाव होगा?
डॉ चंद्र ने कहा, "ट्रम्प कहते हैं कि My First Love is tariff. वो कहते हैं कि डिक्शनरी पढ़ता हूं मुझे सबसे अच्छा शब्द लगता है टैरिफ. टैरिफ के बारे में वो कहते हैं कि भारत कठिन है, ब्राज़िल उससे ज्यादा कठिन है और चीन सबसे ज्यादा कठिन है. इन तीनों को मुझे हैंडल करना है. पहले उन्होंने क्या हैंडल किया था पिछले कार्यकाल में? इंडियन गुड्स वहां पर जो टेक्सटाइल पर 25% टैक्स लगा दिया, अलमुनियम पर 10% पर टैक्स लगा दिया. इंडिया ने काउंटर कारवाई किया. झगड़ा हुआ, झगड़ा चलता रहा, बाइडेन उनके हस्तक्षेप से मामला सुलझा लेकिन वो स्थिति वापस आने वाली है. वो टैरिफ करने वाले हैं. चीन पर 60% करेंगे तो 10% तो आप पर भी लगाएंगे, तो यह इंडियन बिजनेस के लिए चुनौती है. यह एक अन्य चिंता का विषय है. पहला इमीग्रेशन हो गया, दूसरा वीजा और तीसरा टैरिफ हो गया."
सवाल- आगे चलकर ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट और नरेंद्र मोदी की इंडिया फर्स्ट पॉलिसीज के कारण क्या आपको लगता है कि दोनों देशों के बीच में कोई टकराव या मतभेद हो सकता है ?
डॉ चंद्र ने कहा, "डिफरेंस ऑफ ओपिनियन तो होगा लेकिन वो बिजनेस पॉइंट्स पर होगा. एक आदमी ने आज लिखा है है कि भारत को आगे बढ़ के अपनी पॉलिसी को स्ट्रंग करना चाहिए. यहां अवैध इमीग्रेशन को हम खुद आगे बढ़कर रोकें. नरेंद्र मोदी अवैध इमीग्रेशन पर तो कुछ नहीं कह पाएंगे, लेकिन दूसरे विषयों पर जो है वो जरूर बात करेंगे. खासकर टैरिफ का मामला है, वीजा का मामला आ सकता है तो वीजा और टैरिफ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर नरेंद्र मोदी बात करेंगे."
सवाल- ट्रंप की जो अप्रत्याशित जीत है इसके पीछे क्या कुछ कारण रहे होंगे?
इस सवाल के जवाब में डॉ चंद्र ने कहा, "पहला कारण तो नो एंट्री. अमेरिका, अमेरिकियों के लिए आरक्षित है. नो इमीग्रेशन हो चाहे डिपोर्टेशन हो और चाहे कुछ भी हो अमेरिका में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं आना चाहिए. अमेरिका लुट गया, अमेरिका को उसकी समृद्धि को वापस लाना है, जो उन्होंने नारा दिया था वो अमेरिकन को पसंद आया. दूसरा कारण ये हुआ कि वहां पर मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण हो गया. क्योंकि गाजा के मुद्दे पर मुस्लिम लोग बाइडेन सरकार के खिलाफ थे जो एक बड़ा कारण है. तीसरा यूक्रेन युद्ध से लोग नाराज थे, पैसा वेस्ट हो रहा है. चौथा ये कि पुराने राष्ट्रपति का ढीला-ढाला प्रशासन, विरोधी लहर, महंगाई और सौ रीजन बन जाते हैं."
सवाल- आखिर क्या बेसिक फर्क है नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच, पुतिन और ट्रंप के बीच?
डॉ चंद्र ने कहा, "जहाँ तक मानसिक स्थिरता की बात है, वचनबद्धता की बात है, जहाँ तक कूटनीति की समझ की बात है, संवाद की बात है, नैतिकता की बात है नरेंद्र मोदी सर्वश्रेष्ठ हैं. दोस्त की मदद करनी है तो करनी है, जिसे Man of word कहते हैं. इसके बाद पुतिन का आता है. पुतिन समझदार व्यक्ति हैं, अगर वो इतने समझदार नहीं होते तो वो वार डिक्लेयर नहीं करते. बात है ट्रंप की तो मैंने कहा ना ट्रंप स्टेबल माइंड नहीं है. मोदी दोस्ती निभाते हैं, पुतिन भी दोस्ती निभाते हैं लेकिन आप ट्रंप से आशा नहीं कर सकते. यह केवल कागज पेन का आदमी और गुणा भाग का आदमी है. इनमें जो मानवीय भावनाएँ, लिहाज जिसे कहते हैं वो वो एलिमेंट मुझे लगता है ट्रंप में मिसिंग है."
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सवाल- मैंने सुना है कि ट्रंप के बाद अमेरिका के कुछ कारोबारी और उद्योगपति अपना बिजनेस कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन कंट्रीज में शिफ्ट करने की सोच रहे हैं, क्या आपने भी ऐसा सुना है?
डॉ चंद्र ने कहा, "ज्यादा लोग तलाश कर रहे कि कनाडा जाएं, ऑस्ट्रेलिया जाएं या कहां जाएं? कुछ लोगों ने इटरव्यू में कहा है कि यह अच्छा विकल्प नहीं है, और कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि अब लोकतंत्र खतरे में है. ट्रंप का स्टाइल थोड़ा तानाशाह जैसा भी है, तो लोगों में चिंता है. वहां संभ्रांत लोग हैं और उनको सरकार से मंत्रियों से इन सब से कोई काम नहीं होता है. उनके लिए कनाडा में शिफ्ट होना ऐसा है जैसे यहां से मुंबई शिफ्ट हो जाएं. ऐसी चर्चा चली है कि ट्रंप के आने के बाद कुछ लोगों पर नेगेटिव इंपैक्ट हुआ है. जो शांति से रहना चाहते हैं वो कहते हैं कि झगड़ो से दूर रहो. यहां पर रोज ट्रंप का कोई नया आदेश आएगा, तो हम दूसरी अपना घर बसाते हैं."
सवाल- 78 साल की उम्र में ट्रंप की वापसी क्या नरेंद्र मोदी को उनके चौथे कार्यकाल के लिए प्रेरित करेगी?
डॉ चंद्र का जवाब, "नरेंद्र मोदी तो By Born प्रधानमंत्री हैं. मोदी चाहेंगे तो राष्ट्रपति भी बन जाएंगे. नरेंद्र मोदी Top of the Nation रहने वाले हैं. 2029 में वे 78 साल के होने वाले हैं. 78 की उम्र में लोग ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के कयास लगा रहे हैं, वहीं लोगों की इच्छा है कि 2029 में भी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन जाएं."
सवाल- भारत और कनाडा के तनाव पूर्ण संबंधों की पृष्ठभूमि में ट्रंप की कनाडा नीति क्या होगी?
डॉ चंद्र ने कहा, "अमेरिका उनको मजबूर करेगा कि जो खालिस्तानी आतंकवादी वहां बैठे हुए हैं उन्हें सरकार का समर्थन है, वो नहीं मिले, उनपर एक्शन हो. हैरानी की बात ये कि अब ट्रंप के जीतने के 48 घंटे के अंदर ही एक जो निर्जर का मर्डर हुआ था, खालिस्तानी टेररिस्ट का लीडर था, उसने अपना उत्तराधिकारी जिसको बनाया था उसका नाम है अर्श डाला, उसको मर्डर के केस में कल कनाडा पुलिस ने अरेस्ट किया है. तो कनाडा खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर रहा है."
सवाल- डोनाल्ड ट्रंप की जीत वाले दिन सुबह 7 नवंबर को अखबारों में कई रोमांचक हेडलाइंस देखने को मिली, आपको सबसे बेस्ट कौन सी लगी?
इस सवाल के जवाब में डॉ चंद्र ने कहा, "हेडलाइंस तो कई थी लेकिन मुझे, The Times of India की बेस्ट लगी वो थी Don is America's Most Wanted ये अच्छी हेडलाइन की पराकाष्ठा है, इससे अच्छी हेडलाइन नहीं हो सकती. पत्रकारिता में दो तरह के लोग होते है, एक पहले हेडलाइन बनाते हैं, फिर स्टोरी लिखते है. दूसरे वो जो पहले स्टोरी लिखते है, फिर हेडलाइन बनाते हैं. मैं पहले ग्रुप में शामिल हूं, जो पहले हेडलाइन बनाते हैं, फिर स्टोरी लिखते है. दूसरा हेडलाइन Economic Times का था कि DON 2: An offer which Americans couldn't refuse."