इस्लामाबाद: एक ओर पाकिस्तान भारत के साथ तनावों और सीमावर्ती चुनौतियों से जूझ रहा है, तो दूसरी ओर उसके भीतर ही एक गंभीर खतरा तेजी से आकार ले रहा है- तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP). यह आतंकी संगठन न केवल देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दे रहा है, बल्कि अब एक स्वतंत्र इस्लामी राष्ट्र की मांग कर रहा है. सवाल यह है कि TTP आखिर पाकिस्तान में कैसा इस्लामी शासन चाहता है और क्या यह मांग पाकिस्तान की अखंडता पर एक और प्रहार है?
TTP की नई मांग: एक अलग इस्लामी राष्ट्र
TTP अब केवल आतंकी हमलों तक सीमित नहीं रह गया है. अफगान तालिबान के पुनरुत्थान के बाद इस संगठन की गतिविधियाँ और विचारधारा पहले से अधिक आक्रामक हो गई हैं. अब यह संगठन पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और उससे सटे सीमावर्ती क्षेत्रों को मिलाकर एक स्वतंत्र "शरिया-आधारित इस्लामी राज्य" की मांग कर रहा है.
हाल ही में, रिपोर्ट्स के मुताबिक, TTP के हमलों में 10 से अधिक पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों की जान गई. सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है कि यह संगठन अब केवल छिपकर हमले करने वाला गुट नहीं, बल्कि राजनीतिक लक्ष्य रखने वाला उग्र संगठन बन चुका है.
TTP: एक आतंक से उपजा आंदोलन
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की नींव 2007 में बेतुल्लाह मेहसूद ने रखी थी. उसने पाकिस्तान में सक्रिय करीब 13 अलग-अलग जिहादी संगठनों को एक मंच पर लाकर इस संगठन का गठन किया. इसका मुख्य उद्देश्य था पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ जिहाद छेड़ना और इस्लामी शासन की स्थापना.
इस्लामी शासन बनाम लोकतंत्र
पाकिस्तान खुद को एक इस्लामी गणराज्य कहता है, लेकिन वहां की राजनीतिक व्यवस्था लोकतांत्रिक है. संसद, संविधान और जनमत के आधार पर सरकार चलती है. TTP इस व्यवस्था को "गैर-इस्लामी" मानता है.
TTP के विचार में सच्चा इस्लामी शासन वह होता है जहां शासन कुरान और हदीस के आधार पर चले, बिना किसी संसद, संविधान या मानव-निर्मित कानूनों के. यह वही ढांचा है जिसे अफगान तालिबान काबुल में लागू कर चुका है. TTP अब इसी मॉडल को पाकिस्तान के भीतर लागू करना चाहता है, चाहे इसके लिए उसे एक नया देश ही क्यों न बनाना पड़े.
पाकिस्तान के लिए डबल फ्रंट चुनौती
भारत के साथ बार-बार बढ़ते तनावों के बीच पाकिस्तान अब घरेलू मोर्चे पर भी अस्थिरता का सामना कर रहा है. एक ओर अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच उसे अपनी सीमाएं बचानी हैं, वहीं दूसरी ओर एक उग्र और सशस्त्र संगठन उसके ही भूभाग में अलगाव की मांग कर रहा है.
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