नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर बुधवार को सख्त फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी होने भर से घर तोड़ना आधार नहीं बन सकता, सजा देना सरकार नहीं कोर्ट का काम है. इसे आज झारखंड और उपचुनाव को लेकर देशभर में हो रहे मतदान के मद्देनजर कोर्ट की बड़ी टिप्पणी माना जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उन याचिकाओं को लेकर किया है, जिनमें अपराध के आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा "बुलडोजर कार्रवाई" के खिलाफ निर्देश देने की मांग की गई थी.
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जस्टिस गवई ने कह- निर्देश ना मानने पर होगी अवमानना की कार्रवाई
जस्टिस वी आर (भूषण रामकृष्ण) गवई ने अपने फैसले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, "किसी भी निर्देश का उल्लंघन करने पर अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी. अधिकारियों को सूचित किया जाना चाहिए कि यदि विध्वंस उल्लंघन में पाया जाता है, तो उन्हें ध्वस्त संपत्ति की बहाली के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा."
"अधिकारियों को नुकसान की भरपाई करने के अलावा, उन्हें निजी लागत को लकेर जिम्मेदार ठहराया जाएगा."
जस्टिस गवई ने अपने फैसले में पढ़ाया संविधान का पाठ
जस्टिस गवई ने संविदधान का पाठ पढ़ाते हुए कहा, "संवैधानिक और आपराधिक न्यायशास्त्र इसकी अनुमति नहीं देता. हमें अनुच्छेद 142 के तहत कुछ निर्देश पारित करना आवश्यक लगता है."
"रात में महिलाओं, बच्चों को सड़क पर घसीटते हुए देखना सुखद नहीं नजर आता. ये निर्देश तब लागू नहीं होंगे जब सार्वजनिक भूमि पर कोई अवैध निर्माण हो, साथ ही न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण आदेश भी हो. जब किसी विशेष निर्माण या संरचना को अचानक गिराना तय किया जाता है, और बाकी समान संपत्तियों को नहीं छुआ जाता है, तो अनुमान लगाया जा सकता है... वास्तविक उद्देश्य कानूनी संरचना को लेकर नहीं, बल्कि बिना जांच-पड़ताल के दंडित करने की कार्रवाई होती है."
गवई ने आर्टिकल 19 में निवास को मौलिक अधिकार बताया
ऐसे मामलों में, कार्यपालिका (प्रशासन) कानून को अपने हाथ में लेने और कानून के शासन के सिद्धांतों को दरकिनार करने की दोषी होगी. अनुच्छेद 19 में आश्रय (निवास) के अधिकार को मौलिक अधिकार माना गया है."
"कार्यपालिका किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकती, अगर वह केवल आरोप के आधार पर किसी के घर को ध्वस्त कर देती है, तो यह कानून के शासन के मूल सिद्धांत पर हमला होगा. कार्यपालिका जज बनकर किसी आरोपी की संपत्ति को ध्वस्त करने का फैसला नहीं कर सकती."
"जो सरकारी अधिकारी कानून को अपने हाथ में लेते हैं और इस तरह के अत्याचारी तरीके से काम करते हैं, उन्हें जवाबदेही के दायरे में लाया जाना चाहिए."
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