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द्रौपदी पांच पांडवों की पत्नी थी लेकिन वह अपने पांचों पतियों से एक समान प्रेम नहीं करती थी. वह अर्जुन से सबसे ज्यादा प्यार करती थी. लेकिन दूसरी ओर, अर्जुन द्रौपदी को अपना प्यार नहीं दे सके क्योंकि वह कृष्ण की बहन सुभद्रा से सबसे ज्यादा प्यार करते थे.


एक प्रचलित कथा के मुताबिक, पांडवों के निर्वासन के 12वें वर्ष के दौरान द्रौपदी ने एक पेड़ पर पके हुए जामुनों का गुच्छा लटकते देखा. द्रौपदी ने तुरंत ही इसे तोड़ लिया.


उसी समय भगवान श्रीकृष्ण वहां पहुंचे और बताया कि इसी फल से एक साधु अपने 12 साल का उपवास तोड़ने वाले थे. लेकिन द्रौपदी ने फल को तोड़ लिया, अब पांडव साधु के प्रकोप का शिकार होंगे. यह सुनकर पांडवों ने इससे छुटकारा पाने के लिए श्रीकृष्ण से गुहार लगाई.


भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इसके लिए द्रौपदी को पेड़ के नीचे जाकर केवल सच वचन बोलने होंगे. भगवान कृष्ण ने फल को पेड़ के नीचे रख दिया और कहा कि द्रौपदी को अपने सारे राज खोलने होंगे. ऐसा करते ही फल ऊपर पेड़ पर वापस लग जाएगा और पांडव साधु के प्रकोप से बच जाएंगे.


कृष्ण के कहे मुताबिक, द्रौपदी पेड़ के नीचे जाकर बोलीं- मेरे पांच पति मेरी पांच ज्ञानेन्द्रियों (आंख, कान, नाक, मुंह और शरीर) की तरह हैं. मैं शिक्षित होने के बावजूद बिना सोच-विचारकर किए गए अपने कार्यों के लिए पछता रही हूं. लेकिन द्रौपदी के यह सब बोलने के बाद भी फल ऊपर नहीं गया.


तब द्रौपदी ने अपने पतियों की तरफ देखते हुए कहा- मैं आप पांचों से प्यार करती हूं लेकिन मैं किसी 6वें पुरुष से भी प्यार करती हूं. मैं कर्ण से प्यार करती हूं. जाति की वजह से उससे विवाह नहीं करने का मुझे अब पछतावा होता है.

