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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के मुताबिक, किसी एक खास साल में केंद्र सरकार के वित्तीय ब्योरे को संघीय बजट कहते हैं.


राजकोषीय घाटा का एक लक्ष्य हासिल करना होता है. यह लक्ष्य राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत तय किया जाता है.


राजकोषीय घाटा नॉमिनल जीडीपी के फीसदी में तय होता है. राजकोषीय घाटा का जो लेवल तय होता है, सरकार उस साल वहीं तक कर्ज लेती है.


बगैर राजस्व का अंदाजा लगाए सरकार यह तय नहीं कर पाएगी कि उसे किस योजना में कितना खर्च करना है.


जट बनाने की प्रक्रिया संसद में इसे पेश करने से छह महीने पहले शुरू हो जाती है. यह काफी-लंबी चौड़ी प्रक्रिया होती है.

