मंगल ग्रह पर पानी है या नहीं, वैज्ञानिकों ने रहस्य से उठाया पर्दा, जानिए क्या कहती है नई स्टडी

    वैज्ञानिकों को लगा कि शायद ये धारियां मंगल पर पानी के बहाव का सबूत हैं और अगर पानी है, तो क्या जीवन भी हो सकता है? विज्ञान की दुनिया इन्हीं सवालों के इर्द-गिर्द घूमती रही. जब तक हाल ही में प्रकाशित एक स्टडी ने इस पूरी धारणा को चुनौती नहीं दी.

    Scientists have unveiled the mystery of whether there is water on Mars or not
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    Mars Planet: कल्पना कीजिए: एक सूखा, बंजर, लाल रंग का ग्रह लेकिन उसकी ढलानों पर गर्मियों में काली-काली धारियां बनती हैं और सर्दियों में गायब हो जाती हैं. सुनने में यह किसी रहस्य से कम नहीं लगता. सालों तक वैज्ञानिकों को लगा कि शायद ये धारियां मंगल पर पानी के बहाव का सबूत हैं और अगर पानी है, तो क्या जीवन भी हो सकता है? विज्ञान की दुनिया इन्हीं सवालों के इर्द-गिर्द घूमती रही. जब तक हाल ही में प्रकाशित एक स्टडी ने इस पूरी धारणा को चुनौती नहीं दी.

    रहस्यमयी धारियां जिनसे बंधी थीं बड़ी उम्मीदें

    इन काली धारियों को वैज्ञानिकों ने Recurring Slope Lineae (RSL) नाम दिया था. इनकी खासियत है कि ये सिर्फ गर्मियों में बनती थीं. वहीं ये सर्दियों में गायब हो जाती थीं. ये धारियां ढलानों पर नीचे की तरफ फैलती हुई नजर आती थीं. इस पैटर्न को देखकर वैज्ञानिकों को यकीन हुआ कि शायद ये ब्राइनी पानी (खारे तरल) या पिघलती बर्फ से जुड़ी कोई प्रक्रिया है. अगर सच में ऐसा होता, तो इसका मतलब था कि मंगल ग्रह पर पानी सक्रिय रूप से मौजूद है, और यहीं से जीवन की संभावना को लेकर चर्चाओं का सिलसिला शुरू हुआ.

    नई रिसर्च में क्या निकला?

    स्विट्ज़रलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्न के वैलेंटिन बिकल और अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के एडोमस वलांटिनास ने मिलकर इस रहस्य की गहराई से जांच की.
    उन्होंने करीब 5 लाख RSL की मैपिंग और उनका तुलनात्मक विश्लेषण किया. डेटा में पाया गया कि इनमें से किसी भी धारि‍यों में पानी का कोई संकेत नहीं था. इनकी टीम ने यह भी साफ किया कि ये धारियां डस्ट डेविल्स, चट्टानों के गिरने, या CO₂ फ्रॉस्ट के पिघलने से नहीं बनतीं. न ही थर्मल साइकलिंग (दिन-रात के तापमान में बदलाव) इनका कारण है.

    तो फिर कैसे बनती हैं ये धारियां?

    रिसर्च ने तीन खास कारण बताए, जो इस 'सूखी प्रक्रिया' के सिद्धांत को मजबूत करते हैं. ये धारियां उन जगहों के पास ज्यादा मिलीं जहां हाल में उल्कापिंड गिरा था. वहां की सतह पर हवा की गति औसतन तेज पाई गई और उन इलाकों में सर्दियों के दौरान अधिक धूल का जमाव भी देखा गया. मुख्य शोधकर्ता एडोमस वलांटिनास के मुताबिक, “हमारी स्टडी ने इन काली धारियों की बारीकी से जांच की और किसी भी रूप में इनमें पानी के संकेत नहीं पाए. ये सूखी और धूल-आधारित प्रक्रियाओं का नतीजा हैं.” मंगल ग्रह पर पानी को लेकर आई इस नई स्टडी का सीधा अर्थ है कि मंगल आज भी सूखा है. वहां पानी का बहाव नहीं होता. 

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