झालावाड़: सुबह-सुबह बच्चों की किताबें खुलीं, पाठ शुरू हुए, और किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कुछ ही मिनटों में चीख-पुकार मच जाएगी. राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में शुक्रवार की सुबह ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया, जिसने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया.
सरकारी स्कूल की पुरानी इमारत की एक कक्षा में बच्चे पढ़ाई कर रहे थे. घड़ी में करीब साढ़े आठ बजे का वक्त था. तभी अचानक तेज आवाज के साथ छत भरभराकर गिर पड़ी. पढ़ते-पढ़ते मासूम बच्चे मलबे में दब गए. देखते ही देखते चीखें गूंजने लगीं, और स्कूल का शांत माहौल अफरातफरी में बदल गया.
वज्रपात की तरह गिरी छत, गांव में मच गया कोहराम
हादसे की खबर गांव में आग की तरह फैली. जिनके बच्चे स्कूल में थे, वे बदहवास दौड़ पड़े. माताएं बिलखती हुई स्कूल पहुंचीं, किसी का कलेजा कांप गया, किसी के होठों से आह भी नहीं निकली. मलबे के नीचे दबे बच्चों को निकालने की जद्दोजहद शुरू हुई. कुछ ग्रामीणों ने फावड़े उठाए, तो कुछ ने अपने नाखूनों से मिट्टी कुरेदनी शुरू की.
मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम ने जेसीबी की मदद से मलबा हटाने का काम शुरू किया. अब तक चार बच्चों की मौत की खबर सामने आ चुकी है, लेकिन प्रशासन ने इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं की है.
भारी बारिश के बाद जर्जर दीवारें बनीं काल
जानकारी के मुताबिक स्कूल की ये इमारत काफी पुरानी थी. बीते दिनों झालावाड़ और आसपास के इलाकों में जमकर बारिश हुई थी. स्कूल की दीवारों में सीलन आ गई थी. किसी ने ध्यान नहीं दिया कि ये कमजोर दीवारें कब हादसे को न्योता दे देंगी. आज वही लापरवाही बच्चों की जान पर भारी पड़ी.
अस्पतालों में अफरा-तफरी, मां-बाप बेहाल
घायलों को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है. जो बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं, उन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया है. वहीं जिन घरों के बच्चे अब तक नहीं लौटे, उनके माता-पिता टूट चुके हैं. अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल है. डॉक्टरों और स्टाफ को अलर्ट पर रखा गया है.
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