Putin Visit In India: रूस और भारत के बीच सैन्य सहयोग में एक नई दिशा देखने को मिल सकती है, क्योंकि रूस ने भारत को अपने सबसे आधुनिक टैंक, टी-14 अर्माटा को भारतीय जमीं पर बनाने का प्रस्ताव दिया है. रूस की यह पहल खासतौर पर भारत की सुरक्षा जरूरतों और भविष्य के युद्धक परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए की गई है. यह प्रस्ताव रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा से पहले आया है, और इस पर चर्चा तेज हो गई है.
टी-14 अर्माटा को दुनिया के सबसे ताकतवर और तकनीकी रूप से उन्नत टैंकों में से एक माना जाता है. इस टैंक में कई विशेषताएँ हैं जो इसे भारतीय सेना के लिए एक आदर्श विकल्प बना सकती हैं. टी-14 टैंक का डिज़ाइन पूरी तरह से डिजिटल है, और इसमें कोई भी सैनिक टैंक के बुर्ज में नहीं बैठता. इसके बजाय, टैंक के अंदर तीन सैनिक सुरक्षित रहते हैं, जो एक आर्मर्ड कैप्सूल में स्थित होते हैं. टैंक के संचालन के लिए आधुनिक एआई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह अत्यधिक सुरक्षित और प्रभावी बनता है.
रूस का प्रस्ताव और भारत की जरूरतें
भारत के पास वर्तमान में टी-72 और टी-90 जैसे पुराने टैंक हैं, जो अब समय के साथ तकनीकी दृष्टि से पिछड़ते जा रहे हैं. इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान द्वारा अपनी सैन्य ताकत बढ़ाए जाने के कारण भारत को नई पीढ़ी के टैंकों की आवश्यकता महसूस हो रही है. रूस का प्रस्ताव भारत के लिए इस संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है. खासकर जब भारत को अपने फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV) प्रोजेक्ट के लिए एक उन्नत टैंक की जरूरत है.
टी-14 का विशेष डिज़ाइन और इसके लाभ
टी-14 अर्माटा का डिज़ाइन खासतौर पर युद्ध के उन्नत रूपों के लिए तैयार किया गया है. यह टैंक 55 टन वजनी है और इसे पूरी तरह से स्वचालित और उच्च सुरक्षा वाले सिस्टम से लैस किया गया है. इस टैंक की 125 मिमी की गन से न केवल आम गोले दागे जा सकते हैं, बल्कि लेजर गाइडेड मिसाइल भी लॉन्च की जा सकती है. इसकी खासियत यह है कि यह माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी ऑपरेट कर सकता है, जिससे यह लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे ठंडे क्षेत्रों में भी बेहद प्रभावी साबित हो सकता है. इसके अलावा, रूस ने इस टैंक के निर्माण में कई तकनीकी बदलाव किए हैं, जिनमें से एक है इसका बिना सैनिक के बुर्ज वाला डिज़ाइन. इससे न केवल सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि यह दुश्मन के हमले से बचने के लिए भी सक्षम होता है.
भारत और रूस के बीच यह साझेदारी कितनी प्रभावी हो सकती है?
भारत और रूस के बीच पहले भी कई सैन्य समझौते हुए हैं, और दोनों देशों के बीच परंपरागत सैन्य सहयोग लंबे समय से चल रहा है. हालांकि, रूस की ओर से यह नया प्रस्ताव भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है, क्योंकि भारत की रक्षा नीति के तहत उच्च-तकनीकी और अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों की आवश्यकता है. इसके बावजूद, भारत को इस प्रस्ताव पर विचार करते वक्त पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों और राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी पहले चेतावनी दी थी कि भारत यदि रूस से तेल खरीदता है तो उस पर 125% का टैरिफ लगाया जा सकता है. ऐसे में भारत को अपनी रणनीति में संतुलन बनाना होगा, ताकि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को भी प्राथमिकता दे सके और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी बनाए रख सके.
यह भी पढ़ें: वादियों के बीच सिर्फ 100 रुपये में मिल रहा घर, लेकिन इन शर्तों को करना होगा पूरा