अमेरिका साथ मिला तो उछलने लगा यूक्रेन, रूस के इस इलाके को हथियाने की कर रहा हिमाकत, क्या ट्रंप ने दिया आदेश?

    करीब तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन संघर्ष अब एक ऐसे मोड़ पर आ पहुंचा है, जहां दोनों पक्षों का रुख पहले से कहीं ज़्यादा सख्त और हमलावर हो गया है. हाल ही में अमेरिका से प्राप्त नई सैन्य सहायता ने यूक्रेन की रणनीति को पूरी तरह बदल दिया है.

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    करीब तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन संघर्ष अब एक ऐसे मोड़ पर आ पहुंचा है, जहां दोनों पक्षों का रुख पहले से कहीं ज़्यादा सख्त और हमलावर हो गया है. हाल ही में अमेरिका से प्राप्त नई सैन्य सहायता ने यूक्रेन की रणनीति को पूरी तरह बदल दिया है. अब यूक्रेनी सेना न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा कर रही है, बल्कि रूसी इलाके में भी जवाबी कार्रवाई के संकेत दे चुकी है.

    यूक्रेन का रुख बदला, सेना प्रमुख का बड़ा बयान

    यूक्रेन की सेना के प्रमुख जनरल ओलेक्ज़ेंडर सर्स्की ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अब सिर्फ बचाव ही नहीं, बल्कि हमला भी किया जाएगा. उनका कहना है कि यह समय है जब रूस के बॉर्डर से सटे क्षेत्रों जैसे बेलगोरोद और कुर्स्क में सैन्य दबाव बनाया जाए, ताकि रूस को उसी के अंदाज में जवाब मिले. उन्होंने बताया कि यूक्रेनी सैनिक इस वक्त रूस के कुर्स्क क्षेत्र के ग्लुश्कोवो जिले में तकरीबन 90 वर्ग किलोमीटर के इलाके पर नियंत्रण बनाए हुए हैं. यह बयान इस बात का संकेत है कि यूक्रेनी रणनीति अब एकतरफा रक्षात्मक नहीं, बल्कि दोहरी दिशा में बढ़ रही है.

    रूस के दावे, यूक्रेन का जवाब

    दूसरी ओर रूस ने दावा किया है कि उसने डिनिप्रो क्षेत्र के डाचने गांव को अपने कब्जे में ले लिया है. हालांकि, यूक्रेन की ओर से इस पर भी जवाबी प्रतिक्रिया आई है. यूक्रेनी जनरल का कहना है कि उनकी सेना अभी भी नोवोपावलीव्का, स्लोबोझान्शिना और पोक्रोव्स्क जैसे अहम मोर्चों पर डटी हुई है और रूसी घुसपैठ को सफल नहीं होने दे रही.

    अमेरिकी मदद से बदला यूक्रेनी हौसला

    अमेरिका द्वारा दी गई नई सैन्य सहायता से यूक्रेन को नया जोश और रणनीतिक बल मिला है. इसका असर साफ तौर पर सैन्य रवैये में देखा जा सकता है. अब यूक्रेनी सेना केवल जवाब नहीं दे रही, बल्कि युद्ध के मैदान को रूस के आंतरिक इलाकों तक खींचने की योजना बना रही है.

    अब सवाल यह नहीं कि कब हमला होगा, सवाल यह है कि कितना गहरा होगा

    यूक्रेन के नए सैन्य संकेत साफ करते हैं कि यह युद्ध अब एक नई दिशा में बढ़ रहा है. आने वाले समय में रूस को शायद अपने ही क्षेत्र में वो दबाव झेलना पड़े, जो अब तक यूक्रेन महसूस कर रहा था. यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि क्या यूक्रेन की यह आक्रामक रणनीति युद्ध की दिशा को बदल पाने में सफल होती है या नहीं.

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