हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड के बाद भारतीयों का धार्मिक रुझान मजबूत हुआ है जिसके परिणामस्वरूप धार्मिक पर्यटन की ओर तेजी आई है.
पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 8.5 करोड़ पर्यटक वाराणसी (काशी) आए, लगभग 4.5 करोड़ लोग प्रयागराज आए और 1.5 करोड़ से अधिक लोग अयोध्या राम मंदिर के अभिषेक समारोह के बाद से दर्शन कर चुके हैं. कई विशेषज्ञों का मानना है कि वाराणसी जल्दी ही गोवा, आगरा और शिमला से आगे निकल जाएगा.
ये भी पढ़ें- भारत में बंद हो जाएगा Whatsapp!,जानिए क्या है कारण
उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग की उप निदेशक प्रीति श्रीवास्तव ने एएनआई से कहा, "कोविड काल के दौरान जब मंदिर बंद थे, हमारे प्रधान मंत्री ने सोचा कि चलो मंदिरों को एक ऐसा स्थान बनाएं जहां हर कोई जाना चाहे, इसलिए हम काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने का विचार लेकर आए. इसने राज्य का पर्यटन परिदृश्य पूरी तरह से बदल दिया है और वर्ष 2023 में हमारे पास 10 करोड़ से अधिक पर्यटक थे. उत्तर प्रदेश सरकार प्रयागराज, काशी और अयोध्या के नये स्वर्ण त्रिभुज को धार्मिक पर्यटन के स्वर्ण त्रिभुज के रूप में प्रचारित कर रही है."
प्रीति ने कहा, "अब हर कोई लाभान्वित हो रहा है, यहां तक कि एक छोटा धोबी भी, उसे भी व्यवसाय मिल रहा है क्योंकि वह होटलों के कपड़े धो रहा है, सब्जी बेचने वाला, रिक्शा चालक, फूल विक्रेता और स्थानीय प्रसाद की दुकानें हर कोई लाभान्वित हो रहा है. अब नया स्वर्णिम त्रिकोण में आने वाले समय में अयोध्या, प्रयागराज और वाराणसी शामिल हैं.''
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं के परिवर्तनकारी प्रभाव ने वाराणसी के पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित कर दिया है, जिससे पर्यटकों की संख्या और संबद्ध आर्थिक गतिविधियों में पर्याप्त वृद्धि हुई है. पर्यटन में वृद्धि ने न केवल स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा दिया है बल्कि राज्य के लिए पर्याप्त राजस्व भी उत्पन्न किया है.
पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2022 के दौरान भारत में 1,439 मिलियन लोगों ने धार्मिक पर्यटन में भाग लिया, यह 2021 में 677 मिलियन से दोगुने से भी अधिक है.
2022 में, वाराणसी में 82 मिलियन पर्यटक आए, जो 2019 में आगंतुकों की संख्या से लगभग चार गुना है. यह संख्या 2022 में सभी आगमन का लगभग 26% थी, जबकि 2019 में यह 4 प्रतिशत से भी कम थी, वाराणसी में पर्यटकों की संख्या आगरा से अधिक हो गई है, और इसने इसे उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक देखा जाने वाला शहर बना दिया है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 103वें एपिसोड में अपने संबोधन में यह भी बताया कि ''अब हर साल 10 करोड़ से ज्यादा पर्यटक काशी पहुंच रहे हैं. अयोध्या, मथुरा, उज्जैन जैसे तीर्थस्थलों पर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. इससे लाखों गरीबों को रोजगार मिल रहा है.''
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, धार्मिक पर्यटन क्षेत्र से 2028 तक 59 अरब रुपये का राजस्व उत्पन्न होने और 2030 तक 140 मिलियन अस्थायी और स्थायी नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है.
केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत थीम आधारित पर्यटक सर्किट के विकास के लिए 5294 करोड़ रुपये का परिव्यय आवंटित किया गया है. इस परियोजना के तहत कुल 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है जो भारत के विभिन्न राज्यों में लोकप्रिय धार्मिक स्थलों को कवर करती है. इनमें बौद्ध सर्किट, रामायण सर्किट और कृष्ण सर्किट शामिल हैं.
पर्यटन मंत्रालय ने पूरे भारत में तीर्थ स्थलों की पहचान और विकास करके धार्मिक पर्यटन अनुभव को बेहतर बनाने के लिए तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान (प्रसाद) योजना भी शुरू की है.
ये भी पढ़ें- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कर्नाटक में की मुसलमानों के लिए OBC कोटा की आलोचना