आज के समय में बच्चों की परवरिश और उनके संस्कार माता-पिता के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन गई है. अक्सर देखा जाता है कि कुछ बच्चे माता-पिता की बात नहीं मानते, खुद की मनमानी करते हैं और बड़े होकर भी अपने परिवार से दूरी बना लेते हैं. ऐसे बच्चों का भविष्य अक्सर संघर्षों से भरा होता है और वे जीवन में सच्चा सुख नहीं पा पाते.
हाल ही में स्वामी प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में इसी विषय पर विस्तार से बात की. उन्होंने बिगड़ैल बच्चों के लक्षण और उनके जीवन में आने वाले परिणामों के बारे में महत्वपूर्ण बातें साझा कीं. आइए जानते हैं उनके मुख्य संदेश क्या हैं.
लव मैरिज में पैरेंट्स की रज़ामंदी जरूरी
स्वामी प्रेमानंद महाराज का कहना है कि अगर कोई युवक-युवती प्रेम विवाह करना चाहते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन माता-पिता की रज़ामंदी और आशीर्वाद लेना बहुत जरूरी है. अपने जीवन के बड़े फैसलों में माता-पिता को शामिल करना हर बच्चे का कर्तव्य होना चाहिए.
माता-पिता का सम्मान है सबसे बड़ा धर्म
महाराज जी ने कहा कि जिस मां ने आपको जन्म दिया, जिसने आपको पाल-पोसकर बड़ा किया, उनके अधिकार कभी न छीनें. अगर आपको अपनी बात कहनी है तो विनम्र होकर कहें, उनके चरणों में झुककर अपनी भावनाएं साझा करें. ऐसा करने से माता-पिता आपकी बात को बेहतर तरीके से समझेंगे.
मनमानी करने वाले बच्चे जीवन में पाते हैं दुख
आजकल के कई बच्चे यह सोचते हैं कि वे जो कर रहे हैं वही सही है. वे माता-पिता की सलाह को अनदेखा कर देते हैं. महाराज जी ने स्पष्ट कहा कि ऐसे बच्चे जीवन में सच्चा सुख कभी नहीं पा सकते. मनमानी करने वाले बच्चों को आगे चलकर पछताना पड़ता है.
डरें नहीं, बात जरूर करें
कई बार बच्चे यह सोचकर अपने माता-पिता से बात करने से डरते हैं कि शायद वे समझेंगे नहीं या नाराज हो जाएंगे. लेकिन यह डर गलत है. अगर बच्चे दिल से और ईमानदारी से अपनी बात कहते हैं तो माता-पिता जरूर सुनते हैं. रिश्तों में मजबूती तभी आती है जब दिल से बात की जाए.
संस्कार ही बनाते हैं जीवन को सफल
स्वामी प्रेमानंद महाराज का संदेश यही है कि बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार देना जरूरी है. बच्चों को सिखाना चाहिए कि माता-पिता का सम्मान करना, उनके अनुभव को महत्व देना और उनके साथ खुले दिल से बात करना, जीवन की सबसे बड़ी सीख है. यही आदतें आगे चलकर जीवन को सुखी बनाती हैं.
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना और सत्संग आधारित विचारों पर आधारित है. किसी भी व्यक्तिगत या पारिवारिक निर्णय के लिए विशेषज्ञ या अपने परिवार के बड़ों से सलाह जरूर लें.
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