IT फर्मों में 14 घंटे काम का विरोध, कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा- अभी इस पर और होगी चर्चा

    आईटी फर्मों ने राज्य सरकार के समक्ष कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है कि काम के घंटों 14 घंटे या 12 घंटे और 2 घंटे का ओवरटाइम किया जा सके.

    IT फर्मों में 14 घंटे काम का विरोध, कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा- अभी इस पर और होगी चर्चा
    कर्नाटक सरकार के आईटी मंत्री प्रियांक खरगे मीडिया से बात करते हुए | Photo- ANI

    बेंगलुरु (कर्नाटक) : कर्नाटक की आईटी-बीटी मंत्री प्रियंका खरगे ने सोमवार को कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि आईटी फर्मों ने कर्मचारियों के काम के घंटे 12 घंटे से बढ़ाकर 14 घंटे करने के संबंध में क्या प्रस्ताव दिया है. उन्होंने इस पर अभी और चर्चा होने की बात कही है. वहीं इससे जुड़े संघ ने इसे कर्मचारियों के मूल अधिकारों पर हमला बताया है.

    मंत्री ने कहा कि श्रम विभाग द्वारा एक मसौदा विधेयक लाया गया है और इसे मंजूरी मिलने से पहले इस पर और चर्चा होगी.

    प्रियंका खरगे ने कहा, "मुझे नहीं पता कि आईटीईएस (सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवा कंपनियों) ने क्या प्रस्ताव दिया है, लेकिन श्रम विभाग द्वारा एक विधेयक लाया गया था. हम इस पर विचार करेंगे. विधेयक के बारे में एक गलत धारणा है. हम इस पर चर्चा करेंगे और हमें इस बारे में मीडिया को जानकारी देने में खुशी होगी." 

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    'कर्मचारियों के मूल अधिकारों पर हमला'

    उनकी यह प्रतिक्रिया कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (केआईटीयू) द्वारा कर्नाटक सरकार के आईटी फर्मों को अपने कर्मचारियों के काम के घंटे 12 घंटे से बढ़ाकर 14 घंटे करने की अनुमति देने के कथित कदम पर आपत्ति जताए जाने के बाद आई है. उन्होंने कहा कि 14 घंटे का कार्य दिवस 'कर्मचारी के मूल अधिकारों पर हमला' है.

    ऐसी खबरें आई हैं कि आईटी फर्मों ने राज्य सरकार के समक्ष कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है ताकि काम के घंटों को कानूनी रूप से बढ़ाकर 14 घंटे या 12 घंटे और 2 घंटे का ओवरटाइम किया जा सके.

    निजी कंपनियों में लोकल युवाओं को आरक्षण का मसौदा रोका गया

    हाल ही में, कर्नाटक सरकार को एक मसौदा विधेयक को रोकना पड़ा, जिसमें निजी कंपनियों में लोकल उम्मीदवारों के लिए आरक्षण अनिवार्य किया गया था. इस विधेयक में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए प्रबंधन पदों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधन पदों में 70 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य किया गया था. इस विधेयक को निवेशकों और व्यापार निकायों की ओर से व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा. जैसे-जैसे विधेयक पर आलोचना बढ़ती गई, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घोषणा की कि विधेयक को रोक दिया गया है और इस पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा.

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