निर्मला सीतारमण ने मझोले इनकम वाले देशों के लिए विश्व बैंक से किफ़ायती लोन की मांग की

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक इंडेक्स और देश की तुलना करने में विश्व बैंक के डेटा-संचालित, साक्ष्य-आधारित नजरिया अपनाने की जरूरत पर जोर दिया.

    निर्मला सीतारमण ने मझोले इनकम वाले देशों के लिए विश्व बैंक से किफ़ायती लोन की मांग की
    24 अक्टूबर को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी स्थित विश्व बैंक में अपनी बात रखतीं भारतीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण | Photo- ANI

    नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आईएमएफ (IMF) के साथ अपनी सालाना बैठक के दौरान विश्व बैंक से और अधिक किफ़ायती और सस्ते लोन की मांग की है.

    मंत्री शुक्रवार को वाशिंगटन, डी.सी. में विश्व बैंक की 2024 की वार्षिक बैठकों में "भविष्य के लिए तैयार विश्व बैंक समूह" पर विकास समिति के पूर्ण सत्र में बोलते हुए ये बातें कही.

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    मध्यम आय वाले देशों के लिए किफायती उधार मॉडल बनाया जाए : सीतारमण

    वित्त मंत्रालय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "केंद्रीय वित्त मंत्री ने व्यापक भागीदारी को बढ़ावा देने, मध्यम आय वाले देशों को अधिक उधार लेने के लिए प्रोत्साहित करने और विकास प्रभाव को गहरा करने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण मॉडल के साथ एक अधिक किफ़ायती @WorldBank की मांग की."

    मंत्री ने वैश्विक इंडेक्स और देश की तुलना करने में विश्व बैंक द्वारा डेटा-संचालित, साक्ष्य-आधारित नजरिया अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

    उन्होंने भारत की इस स्थिति की पुष्टि की कि विश्वव्यापी गवर्नेंस इंडिकेटर और नए प्रस्तावित बी-रेडी इंडेक्स जैसे ऑब्जेक्टिव डेटा पर आधारित होने चाहिए.

    वित्त मंत्रालय ने कहा, "वित्त मंत्री @nsitharaman ने भारत के इस रुख को दोहराया कि @WorldBank को वैश्विक इंडेक्स और देश की तुलना जैसे कि विश्वव्यापी गवर्नेंस इंडिकेटर और नए बी-रेडी सूचकांक तैयार करते समय पूरी तरह से साक्ष्य-आधारित और डेटा-संचालित नजरिया अपनाना चाहिए."

    सीतारमण ने कंपटिशन वाला मूल्य तय करने का सुझाव दिया

    सीतारमण ने विश्व बैंक से अपने ऋण मॉडल को और अधिक किफायती बनाने और मध्यम आय वाले देशों से व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण की अपील की. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस तरह का नजरिया इन देशों को विश्व बैंक के साथ अधिक जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे अंततः बैंक के कार्यक्रमों के विकास प्रभाव में वृद्धि होगी.

    बहुपक्षीय विकास बैंकों के इतिहास पर विचार करते हुए, सीतारमण ने 1944 के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में इन संस्थानों की नींव को आकार देने में ग्लोबल साउथ की अहम भूमिका का जिक्र किया. उन्होंने समावेशी, वैश्विक विकास ढांचे की स्थापना के लिए विश्व बैंक की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अलग-अलग नजरिए को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया.

    अपनी सिफारिशों के हिस्से के रूप में, सीतारमण ने विश्व बैंक को डिजिटल समावेशन और सतत ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में ग्लोबल साउथ के परिवर्तनकारी अनुभवों से इनोवेशन्स के दो-तरफ़ा आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने सुझाव दिया कि ये योगदान समान चुनौतियों का सामना कर रहे बाकी देशों के लिए मूल्यवान आंतरिक नजरिया और समाधान प्रदान कर सकते हैं.

    वित्त मंत्री सीतारमण ने विश्व बैंक के हाल के प्रयासों को सराहा

    वित्त मंत्री ने अपनी बैलेंस शीट को अनुकूल बनाने के लिए विश्व बैंक के हाल के प्रयासों की सराहना की, जिससे वह अपनी वित्तीय क्षमता बढ़ाने में सक्षम हो सके.

    हालांकि, उन्होंने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने बढ़ती वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और बढ़ती विकासात्मक जरूरतों के साथ, नए और रियायती दोनों तरह के वित्तपोषण की तत्काल जरूरत है. उन्होंने तर्क दिया कि ऐसे संसाधन, कई विकासशील देशों द्वारा वर्तमान में सामना की जा रही आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने में मदद करेंगे.

    सीतारमण ने एक "भविष्य के लिए तैयार" विश्व बैंक की भी उम्मीद जताई जो प्रमुख वैश्विक प्राथमिकताओं को ध्यान देने वाला, विभिन्न क्षेत्रों को सशक्त बनाने और साझेदारी को बढ़ावा देने में सक्षम हो.

    उन्होंने विश्व बैंक से 2030 और उसके बाद के लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने व वैश्विक प्रगति में तेजी लाने में मदद के लिए अपनी नीतियों को अलाइन करने की अपील की.

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