बजट 2024-25 : चिदंबरम ने कहा- बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की MSP पर कोई बात नहीं, मजदूरी नहीं बढ़ाई

    पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस नेता ने कहा- बेरोजगारी देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. सीएमआईई के अनुसार, अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत है.

    बजट 2024-25 : चिदंबरम ने कहा- बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की MSP पर कोई बात नहीं, मजदूरी नहीं बढ़ाई
    कांग्रेस नेता दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान | Photo- @INCIndia से.

    नई दिल्ली : कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किए जाने के बाद एक लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बजट लेकर टिप्पणी की और इसे कांग्रेस के घोषणापत्र की नकल बताया है. 

    उन्होंने कहा, "आपने माननीय वित्तमंत्री का बजट भाषण सुना है, जैसा कि मैंने सुना. बजट दस्तावेज लगभग 3 घंटे पहले ही अपलोड किए गए हैं, और दस्तावेजों को पढ़ने और उनका विश्लेषण करने में समय लगेगा. कांग्रेस पार्टी की ओर से, मैं 2024-25 के बजट पर कुछ अवलोकन और टिप्पणियां करूंगा, और यहां मेरे सहयोगी और भी अवलोकन जोड़ेंगे."

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    अच्छा होता वित्तमंत्री कांग्रेस घोषणापत्र से और आइडिया को अपनातीं : चिदंबरम 

    चिदंबरम ने कहा, "मैंने पहले ही ट्वीट किया है कि मुझे खुशी है कि माननीय वित्तमंत्री को 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के घोषणापत्र को पढ़ने का अवसर मिला. उन्होंने रोजगार-लिंक्ड इंसेंटिव (ईएलआई) योजना, अप्रेंटिस शुरू करने वाले को भत्ते के साथ अप्रेंटिसशिप योजना और एंजेल टैक्स को खत्म करने की बात कही है जो कि हमारे प्रस्तावों में निहित आइडिाय को हूबहू अपनाया गया है. मेरी इच्छा है कि उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र से और भी कई विचार अपनाए होते."

    "मैंने बजट पर टिप्पणी करने के लिए एक टेम्प्लेट बनाया था. इस वक्तव्य के पहले हिस्से में, मैंने बजट से हमारी अपेक्षाएं बताई हैं. दूसरे हिस्से में, मैंने बजट में प्रासंगिक बातें नोट की हैं - क्या बजट में इसको लेकर कोई रिएक्शन था और यदि हां, तो क्या था? आप देखेंगे कि कुछ मामलों पर कोई जवाब नहीं था."

    पूरे देश में बेरोजगारी 9.2 प्रतिशत, कोई ठोस पहल नहीं : चिदंबरम

    पी चिदंबरम ने बिंदुवार टिप्पणी करते हुए पहले बिंदु पर कहा, "बेरोजगारी देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. कुछ दर्जन रिक्तियों या कुछ हज़ार पदों के लिए, लाखों उम्मीदवार आवेदन करते हैं और परीक्षा देते हैं या साक्षात्कार देते हैं. सीएमआईई के अनुसार, अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत है."

    "सरकार ने इसको लेकर बहुत कम बात कही है, जिससे गंभीर बेरोजगारी की स्थिति पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा. यह दावा कि वित्त मंत्री द्वारा घोषित योजनाओं से 290 लाख लोगों को लाभ होगा, यह बात बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई है."

    चिंदबरम ने कहा- महंगाई को लेकर कोई कदम की घोषणा नहीं

    अगले पाइंट में बात करते हुए चिदंबरम ने कहा, "महंगाई दूसरी बड़ी चुनौती है. थोक मूल्य सूचकांक महंगाई 3.4 प्रतिशत, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई 5.1 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 9.4 प्रतिशत है."

    उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण (ईएस) में कहा गया है कि विनिर्माण के लिए महंगाई के फैक्टर्स 1.7 प्रतिशत हैं. सरकार के अपनाए गए डिफ्लेटर की कई जानकार अर्थशास्त्रियों ने कड़ी आलोचना की है. जब तक 'डिफ्लेटर' की पहेली हल नहीं हो जाती, तब तक 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर के दावे को निर्विवाद रूप से स्वीकार करना संभव नहीं है.

    इसके अलावा, जीडीपी वृद्धि दर मुद्रास्फीति की बड़ी चुनौती का जवाब नहीं है. आर्थिक सर्वेक्षण ने कुछ ही वाक्यों में महंगाई की समस्या को खारिज कर दिया. वित्तमंत्री ने अपने भाषण के पैरा 3 में दस शब्दों में इसे खारिज कर दिया. हम सरकार के लापरवाह रवैये की निंदा करते हैं. और बजट भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे हमें यह भरोसा हो कि सरकार मुद्रास्फीति के मुद्दे से गंभीरता से निपटेगी.

    शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई कदम नहीं उठाया गया : कांग्रेस नेता

    शिक्षा, विशेष रूप से स्कूली शिक्षा, व्यापक है, लेकिन खराब गुणवत्ता की है. लगभग आधे बच्चे किसी भी भाषा में सरल पाठ पढ़ने या लिखने में असमर्थ हैं और संख्यात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हैं. वे किसी भी कुशल नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं हैं. केंद्र सरकार को इन मूलभूत समस्याओं को दूर करने के लिए राज्यों को प्रेरित करना चाहिए - और उनकी मदद करनी चाहिए. शिक्षा से संबंधित दूसरा मुद्दा NEET और घोटाले से भरी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी है.

    कई राज्यों ने मांग की है कि NEET को खत्म कर दिया जाना चाहिए और राज्यों को मेडिकल शिक्षा में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के अपने तरीके अपनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए.

    कोई जवाब नहीं. मैंने वित्त मंत्री को स्कूली शिक्षा का जिक्र करते नहीं सुना. फिर भी, सरकार NEET पर अड़ी हुई है. दिलचस्प बात यह है कि शिक्षा पर 1,16,417 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले सरकार ने केवल 1,08,878 रुपये खर्च किए.

    कांग्रेस नेता ने कहा- स्वास्थ्य सेवा बढ़ी है लेकिन गुणवत्ता में नहीं

    चौथे बिंदु में पी चिदंबरम ने कहा- स्वास्थ्य सेवा बेहतर है, लेकिन पर्याप्त नहीं है. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा मात्रात्मक रूप से बढ़ रही है, लेकिन गुणवत्ता में नहीं. जेब से किया जाने वाला खर्च अभी भी कुल स्वास्थ्य व्यय का लगभग 47 प्रतिशत है. डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्सा तकनीशियनों और उपचार करने वाले ​​उपकरणों और मशीनों की भारी कमी है. स्वास्थ्य सेवा पर केंद्र सरकार का खर्च जीडीपी के अनुपात में 0.28 प्रतिशत और कुल व्यय के अनुपात में 1.9 प्रतिशत तक गिर गया है. इसको लेकर कोई जवाब नहीं है.

    "मैंने वित्त मंत्री को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में गंभीर कमियों के बारे में बोलते नहीं सुना. इसके अलावा, 88,956 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले सरकार ने केवल 79,221 करोड़ रुपये खर्च किए."

    कहा- मजदूरी नहीं बढ़ाई गई, इसमें इजाफ होना चाहिए

    पांचवें बिंदु में चिदंबरम ने कहा- मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद पिछले 6 वर्षों में मजदूरी स्थिर रही है. 2017-18 और 2022-23 के बीच श्रमिकों की औसत मासिक आय थी: स्व-रोजगार - 12,800 रुपये; आकस्मिक/दैनिक मजदूरी - 7,400 रुपये; और नियमित मजदूरी/मजदूर - 19,750 रुपये. हर तरह के रोजगार के लिए न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन तय की जानी चाहिए.

    जबकि 0-20 प्रतिशत कर ब्रैकेट में कर-भुगतान करने वाले नागरिकों को बिल्कुल भी राहत नहीं दी गई है. गरीब वर्गों को, खासकर उन लोगों को जो कर का भुगतान नहीं करते हैं, मजदूर और आकस्मिक/दैनिक मजदूर हैं. सरकार अपने ही आंकड़ों से अनजान है कि पिछले छह सालों में मजदूरी स्थिर रही है जबकि महंगाई चरम पर है. और ऐसे श्रमिकों को उचित न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जाती.

    किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी पर बात नहीं : चिदंबरम 

    छठे मुद्दे की बात करते हुए उन्होंने कहा- किसान विरोध प्रदर्शन के लिए लामबंद हो रहे हैं. उनकी मांगों में से एक यह है कि कृषि उपज के लिए घोषित एमएसपी को कानूनी गारंटी दी जाए. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में ऐसी गारंटी देने का वादा किया था. इस पर कोई बात नहीं की गई. किसानों की इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है, इंतजार करें.

    सातवें बिंदु में बात करते हुए चिदंबरम ने कहा- बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के कारण, शैक्षिक ऋण लेने वाले कई छात्र ब्याज और/या मूलधन के पुनर्भुगतान में चूक गए हैं. ऐसी मांग है कि सरकार को राहत के एकमुश्त उपाय के रूप में शैक्षिक ऋण के बकाए को माफ कर देना चाहिए. वहीं सरकार ने असामान्य रूप से शिक्षा ऋण देने की बात कही है. लेकिन अवैतनिक शिक्षा ऋण के भारी बोझ का क्या? छात्र और उनके परिवार उम्मीद कर रहे थे कि तीव्र बेरोजगारी की स्थिति को देखते हुए, सरकार मौजूदा उधारकर्ताओं को राहत देगी. वे निराश होंगे.
          
    8वें मुद्दे के तौर पर वह कहते हैं, "कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने मांग की है कि गलत तरीके से बनाई गई और भेदभावपूर्ण अग्निपथ योजना को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए और सशस्त्र बलों में भर्ती के पुराने तरीके फिर से शुरू किए जाने चाहिए. इस पर कोई जवाब नहीं. अग्निपथ योजना को खत्म करने के लिए आंदोलन जारी रहेगा."

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