नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर भारत के लोगों को शुभकामनाएं दीं, जिसे 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाता है.
वहीं कांग्रेस प्रमुख खरगे ने एक वीडियो एक्स पर साझा कर लिखा है कि हम भारत के लोगों को संविधान में व्यक्त प्रत्येक विचार की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए.
पीएम मोदी ने इसकी 75वीं सालगिरह पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं
एक्स पर बात करते हुए, पीएम मोदी ने पोस्ट किया, "भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं. #75YearsOfConstitution"
The 75th year of adoption of the Constitution has begun today. I extend my warmest wishes to all Indians on this historic occasion.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) November 26, 2024
The Constitution of India, painstakingly and carefully drafted by our foremothers and forefathers is the lifeblood of our nation. It guarantees us… pic.twitter.com/KaUOhW5Aty
भारत के लोग संविधान में व्यक्त विचार की रक्षा के लिए एकजुट हों : खरगे
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, "हमारे पूर्वजों द्वारा बड़ी मेहनत और सावधानी से तैयार किया गया भारत का संविधान हमारे राष्ट्र की जीवनरेखा है. यह हमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की गारंटी देता है. यह भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाता है."
"न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व केवल आदर्श या विचार नहीं हैं, वे हम 140 करोड़ भारतीयों के लिए जीवन जीने का तरीका हैं.
उन्होंने कहा, ठआज, हम संविधान सभा और उसके विपुल सदस्यों के जबरदस्त योगदान को याद करते हैं. हम उनकी दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता के हमेशा ऋणी रहेंगे."
नेहरू, अंबडेकर समेत लोगों के योगदान को खरगे ने किया याद
उन्होंने आगे लिखा, "पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, के.एम. मुंशी, सरोजिनी नायडू, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, राजकुमारी अमृत कौर और कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हमारे लिए न केवल पूजनीय राष्ट्रीय प्रतीक हैं, बल्कि वे प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं जो पीढ़ियों के लिए आशा की मशाल बन जाते हैं."
"संविधान सभा का जिक्र उन 15 महिला सदस्यों के योगदान को याद किए बिना पूरा नहीं हो सकता जिन्होंने समावेशी भारत के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण सुझाव दिए. हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि संविधान सभा को आम नागरिकों से अनगिनत सुझाव मिले जो रिकॉर्ड में दर्ज हैं."
खरगे ने कहा, "पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव और बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर के संविधान सभा में दिए गए महत्वपूर्ण भाषण ने संविधान के सिद्धांतों की रक्षा करने में मैग्ना कार्टा का निर्माण किया."
"हम, भारत के देशभक्त नागरिकों के पास अब संविधान के लोकाचार की रक्षा करने का कठिन कार्य है. इसलिए हम भारत के लोगों को संविधान में व्यक्त प्रत्येक विचार की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए. संविधान को अपनाने के 75वें वर्ष में, भारत के अंतर्निहित दर्शन (फिलॉस्फी) की रक्षा के संघर्ष को राष्ट्रीय आंदोलन के युग की तरह ही पुनर्जीवित और प्रज्वलित किया जाना चाहिए. जय संविधान. जय हिंद."
अमित शाह ने संविधान को राष्ट्रीय एकता, अखंडता का मंत्र बताया
गृहमंत्री अमित शाह ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "संविधान दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएं. आज भारत पूरे उत्साह से संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी सहित संविधान के सभी शिल्पियों के योगदान को चिरस्मरणीय बनाने के लिए मोदी जी ने ‘संविधान दिवस’ मनाने की शुरुआत की. भारत जैसे विशाल देश के लोकतंत्र की शक्ति हमारा संविधान ही है, जो हर व्यक्ति के लिए न्याय और समान अधिकार सुनिश्चित कर राष्ट्रीय एकता और अखंडता का मंत्र देता है."
"हमारा विश्वास है कि संविधान सिर्फ मंचों पर दिखाने की एक पुस्तक नहीं, बल्कि पूर्ण श्रद्धा से आत्मसात कर सार्वजनिक जीवन में अपना सर्वोच्च योगदान देने की कुंजी है. आइए! इस संविधान दिवस पर एक सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लें.
#75YearsOfConstitution"
हरदीप पुरी ने संविधान को मजबूत करने वाले काम गिनाए
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने 'संविधान दिवस' की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित करने से इसके आदर्शों के साथ सार्वजनिक जुड़ाव गहरा हुआ है और पंचतीर्थ जैसी पहल डॉ. बी.आर. अंबेडकर की विरासत का सम्मान करने वाली है.
सोशल मीडिया पर पुरी ने पोस्ट किया, "#75YearsOfConstitution के ऐतिहासिक अवसर पर साथी नागरिकों को बधाई! 26 नवंबर 1949 को हमने अपना संविधान अपनाया था जो दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है जो हमारी विशद सांस्कृतिक, भाषाई, भौगोलिक और धार्मिक विविधता को एक साथ जोड़कर एक अभूतपूर्व विकास पथ पर एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाता है. पिछले एक दशक में, संविधान के सिद्धांतों ने पीएम @narendramodi जी के नेतृत्व में परिवर्तनकारी शासन का मार्गदर्शन किया है इस दिन को #संविधानदिवस के रूप में घोषित करने से इसके आदर्शों के साथ जनता की भागीदारी बढ़ी है, जबकि पंचतीर्थ जैसी पहल डॉ. बीआर अंबेडकर जी की चिरस्थायी विरासत का सम्मान करती है."
नितिन गडकरी ने संविधान के भारत के लोकतंत्र की आत्मा बताया
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संविधान दिवस और राष्ट्रीय कानून दिवस पर भारतीय संविधान और बाबासाहेब अंबेडकर के प्रति सम्मान जताया. उन्होंने संविधान को भारत के लोकतंत्र की आत्मा बताया और एक प्रगतिशील संविधान बनाने के लिए अंबेडकर और अन्य देशभक्तों की प्रशंसा की.
गडकरी ने X पर पोस्ट किया, "भारतीय संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा है. संविधान दिवस के अवसर पर देश को प्रगतिशील संविधान देने वाले बाबासाहेब आंबेडकर जी और सभी देशभक्तों को नमन. सभी को भारतीय संविधान दिवस तथा राष्ट्रीय कानून दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं."
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने संविधान को जीवंत दस्तावेज बताया
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने भी भारत में संविधान दिवस के महत्व को एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने संविधान को एक जीवंत दस्तावेज के रूप में उजागर किया. जो भारत की आत्मा और इतिहास को दिखाता है, न्याय, समानता, समावेशिता और लोकतंत्र को बढ़ावा देता है. वह संविधान को आकार देने में डॉ. अंबेडकर, पंडित नेहरू और अन्य दूरदर्शी लोगों के योगदान को स्वीकार करते हैं.
उन्होंने लिखा, "भारत आज 75वें संविधान दिवस का जश्न मनाते हुए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, एक ऐसा दिन जब डॉ. अंबेडकर के क्रांतिकारी पाठ को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था. भारत का संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, यह भारत की आत्मा और सहस्राब्दियों का इतिहास है. एक जीवंत दस्तावेज जो 140 करोड़ भारतीयों को उम्मीद देता है, संविधान वह है जो भारत में न्याय, समानता, समावेशिता और लोकतंत्र के आदर्शों को जीवित रखता है. आइए हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि संविधान जो पंडित नेहरू, डॉ. अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, केएम मुंशी, सरोजिनी नायडू, मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, राजकुमारी अमृत कौर की दूरदर्शिता और प्रयासों के कारण जीवंत हुआ और जिसमें विभिन्न रूपों में गांधीवादी सिद्धांत हैं, सार्वजनिक जीवन में लोगों के लिए एकमात्र मार्गदर्शक शक्ति है. संविधान का जन्म औपनिवेशिक उत्पीड़न से खुद को मुक्त करने, खुद को अपना भाग्य बनाने और एक ऐसे राष्ट्र में रहने की स्वतंत्रता देने के तीव्र संघर्ष से हुआ था, जहां अस्पृश्यता, जाति और धार्मिक भेदभाव, लिंग और अन्य आधारों पर असमानता जैसी बुराइयों को खारिज किया गया था. इसने हमें एक जीवंत देश बनाया, जिसने हमेशा विचारों की विविधता का स्वागत और सम्मान किया है. ऐसे समय में जब संविधान को नष्ट करने वाले लोग इसके प्रति निष्ठाहीन प्रतिबद्धता दिखा रहे हैं, इसकी रक्षा करना और इसके सच्चे मूल्यों के लिए लड़ना हमारा कर्तव्य और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है."