जुलाई 2025 की शुरुआत के साथ ही पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की घूमती अध्यक्षता संभाल ली है. हालांकि यह एक नियमित प्रक्रिया है, लेकिन जिस अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में यह हुआ है. वह इसे सिर्फ एक प्रतीकात्मक जिम्मेदारी न मानकर गहरी राजनयिक और राजनीतिक नजरों से देखने को मजबूर करता है. पाकिस्तान को यह जिम्मेदारी उस समय मिली है जब वैश्विक मंच पर आतंकवाद, युद्ध और भूराजनीतिक तनाव चरम पर हैं. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के एक हिस्से में यह चिंता उभर रही है कि क्या पाकिस्तान इस भूमिका में निष्पक्ष और जिम्मेदार व्यवहार करेगा?
UNSC में पाकिस्तान की वापसी, लेकिन क्यों है यह खास?
जून 2024 में हुए चुनाव में पाकिस्तान को 193 में से 182 देशों का समर्थन मिला, जिसके बाद वह 2025-2026 के लिए गैर-स्थायी सदस्य बना. यह पाकिस्तान का आठवां कार्यकाल है, और 2013 के बाद पहली बार उसे परिषद की अध्यक्षता मिली है. UNSC की अध्यक्षता एक मासिक रोटेशन सिस्टम पर आधारित होती है और यह परिषद के 15 सदस्य देशों में अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार बांटी जाती है. इस पद से किसी भी देश को वीटो पावर नहीं मिलती, लेकिन एजेंडा सेट करने और बैठकों की अध्यक्षता जैसे कई महत्वपूर्ण डिप्लोमैटिक औजार ज़रूर मिलते हैं.
भारत क्यों है चिंतित?
UNSC की मौजूदा सदस्यता सूची में भारत शामिल नहीं है, जबकि पाकिस्तान अध्यक्ष बना है. इस स्थिति में भारत की चिंता वाजिब है कि कहीं कश्मीर या आतंकवाद से जुड़े मसले परिषद में एकतरफा ढंग से न उठाए जाएं. पाकिस्तान के पास अब मौका है कि वह किसी बैठक के एजेंडा को प्रभावित कर सके, चर्चा के विषय तय कर सके या वैश्विक मंच से राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करे चाहे वह भारत के खिलाफ हों या क्षेत्रीय समीकरणों को बदलने की कोशिश. भारत की ओर से इस स्थिति से निपटने के लिए कूटनीतिक रणनीति तैयार की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत अब संयुक्त राष्ट्र मंच पर आतंकवाद और विकास जैसे विषयों को और मजबूती से पेश करेगा.
क्या UNSC अध्यक्षता पाकिस्तान के लिए कोई उपलब्धि है?
तकनीकी रूप से देखें तो सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता प्रोटोकॉल आधारित भूमिका है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह एक ग्लोबल स्टेज पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का अवसर होता है. पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में पेश करने के लिए उपयोग कर सकता है.
हालांकि पाकिस्तान की छवि एक ऐसे देश की बनी हुई है जो कई आतंकी संगठनों को समर्थन देने के आरोपों से घिरा रहा है. ऐसे में उसकी अध्यक्षता को लेकर वैश्विक हलकों में संदेह बना रहना स्वाभाविक है.
UNSC: कामकाज और सदस्यता प्रक्रिया पर एक नजर
UNSC संयुक्त राष्ट्र की सबसे प्रभावशाली संस्था मानी जाती है, जिसका मुख्य कार्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है. इसमें 5 स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन) और 10 गैर-स्थायी सदस्य होते हैं, जिन्हें दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है. भारत 8 बार इस परिषद का हिस्सा रह चुका है, और 2021-22 में इसका अंतिम कार्यकाल था. इस बार एशिया की सीट पर पाकिस्तान ने जापान की जगह ली है. 2025 में पाकिस्तान के अलावा अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पनामा, कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया भी गैर-स्थायी सदस्य हैं.
पाकिस्तान का बयान और उसकी प्राथमिकताएं
UN में पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने अध्यक्षता संभालते हुए कहा कि उनका देश शांति और कूटनीति के पक्ष में है और सभी सदस्य देशों के साथ मिलकर सहयोग और समाधान की दिशा में काम करेगा. उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी ऐसे समय में मिली है जब दुनिया को कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और ऐसे में पाकिस्तान की भूमिका और रवैये की परीक्षा होगी.
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