INSIDE STORY: ऑपरेशन सिंदूर पर कैसे लिया गया फैसला, किसने दबाया पाकिस्तान की तबाही का फाइनल बटन? जानिए एक-एक बात

    भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्‍तान के 9 आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमला कर पहलगाम आतंकी हमले का बदला लिया. इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik/Indian Army

    भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्‍तान के 9 आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमला कर पहलगाम आतंकी हमले का बदला लिया. इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया. हालांकि, इस फैसले का नेतृत्व भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने किया. आइए जानते हैं ऑपरेशन सिंदूर की पूरी कहानी और कैसे यह ऐतिहासिक पलटवार अंजाम तक पहुंचा.

    ऑपरेशन की शुरुआत: एनएसए अजीत डोभाल की भूमिका

    ऑपरेशन सिंदूर को लेकर शुरुआत से ही एनएसए अजीत डोभाल की भूमिका अहम रही. उन्होंने अपनी विशेष टीम के साथ मिलकर इस ऑपरेशन की कमान संभाली और इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरी योजना तैयार की. ऑपरेशन के पहले चरण में पाकिस्‍तान में चल रही आतंकवादी गतिविधियों का गहराई से अध्ययन किया गया. भारतीय इंटेलिजेंस ने उन ठिकानों की पहचान की, जहां आतंकवादियों ने अपने ठिकाने स्थापित किए थे.

    इसके बाद, इन ठिकानों पर हमले की योजना बनाई गई. डोभाल के नेतृत्व में ऑपरेशन की टीम ने इन ठिकानों पर नज़र रखी और सही समय पर हमला करने के लिए प्‍लान तैयार किया. हमले के इस पुख्‍ता प्‍लान को तैयार करने के बाद एनएसए अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस बैठक में डोभाल ने हमले के संभावित लक्ष्यों के बारे में पीएम मोदी को जानकारी दी और इसके लिए हरी झंडी देने की अपील की.

    प्रधानमंत्री मोदी से गहन चर्चा और अंतिम अनुमोदन

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद एनएसए अजीत डोभाल ने हमले के बारे में फिर से अपनी टीम के साथ विचार-विमर्श किया. पीएम मोदी से मिलने के बाद, डोभाल ने हमले के अंतिम प्‍लान को और मजबूत किया. उन्होंने इस बात को सुनिश्चित किया कि हमले में सिर्फ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया जाएगा, पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को नहीं. इसके बाद, एनएसए ने ऑपरेशन के अंतिम प्‍लान को एनटीआरओ (National Technical Research Organisation) से मंजूरी दिलवाकर उसे अंतिम रूप दिया.

    सिग्‍नल मिलने के बाद हमले का आगाज

    ऑपरेशन के लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं, और अब अंतिम मंजूरी की बारी थी. प्रधानमंत्री मोदी से हरी झंडी मिलने के बाद, एक छोटी सी टीम को हमले की योजना के बारे में सूचित किया गया और कंट्रोल रूम स्थापित किया गया, जिसकी पूरी जिम्मेदारी एनएसए अजीत डोभाल के हाथ में थी. एक बार सिग्नल मिलने के बाद, भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने के लिए उड़ान भरी.

    भारतीय सेना ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले शुरू कर दिए. इस हमले के परिणामस्वरूप आतंकियों के 9 ठिकाने नेस्तनाबूद हो गए और पाकिस्तान में अफरा-तफरी मच गई. भारत ने यह हमला पूरी सावधानी के साथ किया और किसी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को नुकसान नहीं पहुंचाया, ताकि किसी प्रकार की उकसावे की स्थिति से बचा जा सके.

    न्याय का संदेश

    ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य साफ था - पहलंगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों का बदला लेना. प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही चेतावनी दी थी कि आतंकवादियों को उनके कृत्यों का कड़ा जवाब दिया जाएगा. ऑपरेशन सिंदूर ने यह संदेश दिया कि भारत आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा और उसकी कार्रवाई शांति के रास्ते से हटकर किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ हो सकती है.

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