'मेरी जान को खतरा है', फिल्म 'इमरजेंसी' पर बैन को लेकर जानें क्या बोलीं कंगना रनौत, दिए बेबाक जवाब

    बॉलीवुड अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत अपनी फिल्म 'इमरजेंसी' को लेकर खूब चर्चा में हैं. इसी सिलसिले में अभिनेत्री ने अपनी फिल्म का प्रमोशन कर रही हैं. Bharat 24 के साथ आज खास बातचीत में कंगना रनौत ने बड़े खुलासे किए हैं. उन्होंने अपनी जान का खतरा बताया है.

    'मेरी जान को खतरा है', फिल्म 'इमरजेंसी' पर बैन को लेकर जानें क्या बोलीं कंगना रनौत, दिए बेबाक जवाब
    Kangana Ranaut

    नई दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत अपनी फिल्म 'इमरजेंसी' को लेकर खूब चर्चा में हैं. इसी सिलसिले में अभिनेत्री ने अपनी फिल्म का प्रमोशन कर रही हैं. Bharat 24 के साथ आज खास बातचीत में कंगना रनौत ने बड़े खुलासे किए हैं. उन्होंने अपनी जान का खतरा बताया है.

    अब हवाएं करेंगी रौशनी का फैसला, जिस दीये में जान होगी वही दीया जगमगायेगा, कैसे देखती हैं आप इसको?

    फिल्म अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा, "बस ज़िन्दगी एक संघर्ष है. मैं तो कहूंगी मैं एक वो दीया बनूं जो बारिश में भी जल रहा हो. अब देखते हैं कि आगे कितना संघर्ष है, क्योंकि इमरजेंसी अपने आप में ही एक संघर्ष रही है और आज हमें पता चला कि हमारी फिल्म पर काफी प्रतिबंध लगाए गए हैं. यह अब 6 सितंबर को रिलीज़ नहीं हो पाएगी, जबकि पूरी क्लीयरेंस सेंसर बोर्ड से मिल चुकी थी. अब हम बहुत ज्यादा डिसअप्पॉइंटेड हैं कि 6 सितंबर को यह फिल्म नहीं रिलीज होगी, अभी शायद इसे हफ्ता, 10 दिन का इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन मुझे उम्मीद है कि दोस्तों का रोमांच इसमें बना रहेगा, और वो इसे देखने जाएंगे, जब भी यह फिल्म रिलीजो होगी. 

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    फिल्म की रिलीज़ में देरी होगी कंगना?

    इस सवाल के जवाब में अभिनेत्री ने कहा कि जी हां, अभी इस फिल्म में देर होगी, हफ्ता 10 दिन की. हमें कोर्ट जाना होगा क्योंकि अब वही फैसला करेगा. अगर ये फिल्म हमने बनाई होती तो हम इसे चेंज भी कर सकते थे, लेकिन ये तो एक इतिहास है और अब हम पर एक प्रेशर है कि सिखों को न दिखाएं, ऐसा तो नहीं हो सकता. बाकी, हमने इसको किसी भी धर्म से नहीं जोड़ा है और न ही हमने किसी कम्युनिटी को टारगेट किया है. मेरे बारे में जितनी भी अफवाहें हैं, जिसकी वजह से मेरी सेफ्टी पर भी खतरा आ गया है, मुझ पर हमले भी हो रहे हैं.

    आपकी ही बात पर कहें तो जो तूफानों में पलते हैं, वही दुनिया बदलते हैं, जिस तूफानों में आप पल रही हैं, मुझे लगता है आप इसे वक़्त बदलना मानती हैं?

    बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना ने कहा कि पता नहीं. बस अब कुछ हो मेरी ज़िंदगी में संघर्ष कम हो, क्योंकि हर जगह संघर्ष है. अब इतना नजदीक आकर भी देखिये 1 सितंबर की तारीख निकल गई, कल तक ऐसा लग रहा था कि बस मंजिल तक पहुंच ही गए हैं और आज इतना बड़ा धक्का लगा, तो खैर देखते हैं अभी ज़िन्दगी में और कितना संघर्ष हैं.

    कहते हैं न कि मंजिलें हिलती हैं तो हिलने दो, कंगना का निशाना अर्जुन के तीर जैसा है, तो क्या आप इस बात को मानती हैं?

    "जी ऐसा कुछ नहीं है, मुझे अपने आप के लिए ऐसी कुछ महानता पाने की बात नहीं है, लेकिन मैं एक बहुत ही वाइब्रेंट पर्सनालिटी हूं, मैं हमेशा खुश रहना पसंद करती हूं, बहुत बातें करना पसंद है. अलग-अलग चीज़ों में मेरा इंटरेस्ट भी है, बहुत वाइड रेंज ऑफ़ इंटरेस्ट है, बहुत फर्टाइल माइंड है, बहुत ज्यादा क्रिएटिव है, रिलीजियस भी हूं, बहुत ज्यादा देशभक्ति का जुनून भी है तो लोगों को लगता है की ये (मैं) अलग कैरेक्टर है, ये बहुत अलग है."

    जैसा की आपके मॉम-डैड आपको डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन आपको लगता है डॉक्टर तो नहीं लेकिन आप लोगों का सही इलाज़ कर पा रही हैं?

    खैर, अभी तो मेरा ही इलाज़ कर दिया है इन्होंने (सेंसर बोर्ड वालों ने), देखो मैं कहती हूं कि मौत से बदतर भी कई दुःख होते हैं. उन्होंने भी जख्म पर नमक ही छिड़का है, यह मेरे जैसे कलाकार के लिए अपना ये प्रोडक्ट (फिल्म), एक संतान की तरह होता है, उसके लिए बहुत सी इन्वेस्टमेंट भी होती हैं और बहुत बड़ी बात जो है, काफी चीज़ें स्टेक पर हैं, तो तीर तो उन्होंने भी निशाने पर ही लगाया है. देखते हैं मेरी फिल्म बच पाती है या नहीं.

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    आपको मैं आयरन लेडी मानता हूं, आपके लिए बहुत सारे वीडियो बनते हैं, आप डरती नहीं हैं, लेकिन ऐसे में आपका स्टेट ऑफ़ माइंड क्या होता है?

    अभिनेत्री ने कहा, बहुत ज्यादा वायलेटेड फील होता है, हम एक कलाकार हैं, हमें एक स्टेटस सिंबल माना जाता है, तो हमें जो हैं, चाहे क्लब ओपनिंग हो, रेस्टोरेंट ओपनिंग, उसमें बुलाया जाता है और हमें ऐसे बर्ताव करना होता है कि आप यहां एन्जॉय कर रहे हैं. वहां पर हाई प्रोफाइल लोग आते हैं. एन्जॉय करते हैं, तो वो जनता के लिए एक बड़ी बात होती है. इसको अपीयरेंस कहते हैं. तो इस दौरान लोग कोई फिल्मों के शूट्स को, जैसे कि लौंजरी शूट्स हों या किसी और कैरेक्टर के शूट्स, उनका इस्तेमाल करके मेरे चरित्र पर हमला बोलते हैं, तो मुझे लगता है कि लोग अपने सही दिमाग में हैं भी, या कही छोड़ आये हैं.

    एक लाइन है कि भगवान सर देख कर, सरदारी रखता है, आप इससे कितना वाकिफ हैं कि भगवान सर देख कर सरदारी रखता हैं?

    हर एक का अपना-अपना जीवन है. हर एक के अपने-अपने करम हैं. खैर, हमें कभी अपने दुःख बड़े लग सकते हैं, जैसे कि मुझे अभी लग रहे हैं कि मेरी फिल्म रोक दी गई है. इंसान को इस तरह से पब्लिक हुमिलिएशन और उसमें सबसे बड़ी बात है कि कोई ये नहीं कह रहा कि आपने कुछ गलत दिखाया है. बस ये कह रहा है कि आपने क्यों दिखाया है, ये नहीं कह रहे कि गलत दिखाया है, अगर आप गलत होते तो उन्हें बताना चाहिए कि ये इसमें क्या गलत है.

    तो ये जो बातें है, सोच कर हैरानी होती है. आज सोशल मीडिया के दौर मे जिस तरह की बातें हो रही हैं, तो मुझे लगता है कि मेरे दुःख बड़े हैं तो ऐसा नहीं हैं. हर एक इंसान के अपने स्ट्रगल होते हैं. कोई दुःख छोटा या बड़ा नहीं होता है और सबके भाग्य में जो लिखा है, वही होना है. बाकी भगवान पर मैं तो बहुत विश्वास करती हूं. जैसा कि आपने अभी कहा कि भगवन जो रिस्पांसिबिलिटी देगा, फिर हमें भी वो उसी लायक बनाएगा की हम भी वो करें. 

    कंगना, आपको लगता है Gen-X (सोशल मीडिया के दौर की जेनरेशन) जो है या जिनमें इतिहास की जानकारी कम है, लेकिन जब हम दिखाने की कोशिश करते हैं तो कई बार हाथ पीछे कर लेते हैं, पर जब हम सच्चाई के साथ आगे आते हैं तो वो डर किस बात का है जो लोगों में पैदा होता है?

    देखिए, जो आज मेरे साथ हो रहा है, ये देखकर लोग डर तो जायेंगे ही. आज तक कोई फिल्म नहीं बनी या बनी भी है तो बहुत छोटे किरदार में दिखाई गई है, तो आज जो कांग्रेस और बाकी पार्टियों ने गुटबाज़ी करके इसको एक मुद्दा बना दिया है. रिलीजन से भी जोड़ रहे हैं, किसानों से भी जोड़ रहे हैं और न जाने, किस-किस चीज़ से अभी इसे जोड़ा जा सकता है. मुझे पागल बोल रहे हैं. तो ये जिस तरह का माहौल है, इसमें आपको क्या लगता है, लोग डरेंगे नहीं? 

    कंगना, इस मेहनत के पीछे भी कई लोग आपके साथ जुड़े हुए हैं. एक बात आपने साबित कर दी है की इंदिरा गांधी का हक़ सिर्फ गांधी परिवार से नहीं हैं, हमारे पास भी है और हम इस तरह की कहानी दिखा सकते हैं, तो क्या स्क्रीनिंग का इनविटेशन जाएगा, क्योंकि ये सब जो हो रहा है वो बिना देखे हो रहा है?

    पता नहीं भगवान उनको बुद्धि दे. आपके इस शो के माध्यम से भी मैं कहना चाहूंगी कि लोग आएं, फिल्म देखें और अगर उन्हे कुछ ऑब्जेक्शन लगता है तो फिर इसके बारे में बताएं कि क्या ओब्जेक्शनबल है.

    एक गुलज़ार साहब की भी फिल्म आई थी आंधी, उस पर भी बैन लगा दिया गया था, क्यों सच्चाई से पीछा छुड़ाते हैं लोग?

    जैसा आपने कहा, मिर्ची तभी लगती है जब सच्चाई दिखाई जाती है और आंधी एक बहुत बेहतरीन फिल्म थी. ये भी एक बहुत बेहतरीन फिल्म है. फिल्म को  एक फिल्म की तरह देखना चाहिए और जो मुझे लगता है कि ये कि जो हमारा इतिहास है, उससे हमें सीखना चाहिए. उस टाइम पर भी पॉलिटिक्स हुई थी और पॉलिटिक्स करके ही ये सब कारनामे हुए हैं. वो पॉलिटिक्स किसने की थी? उससे आज इन्हें शर्मिंदगी क्यों हैं? खैर, हमारा तो यही कहना है की हम तो पैदा भी नई हुए थे तब, हमें जो मिल रहा है और हम आपको पूरे सबूत दे रहे हैं कि कहां, क्या मिल रहा है और कहा से हमारा रिफरेन्स है?

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