वक्‍फ पर JPC में बड़ी जीत, रंग लाई मेहनत, अब मिलेगा मुसलमानों को न्‍याय: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

    मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से मंजूरी मिलने को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए इसे समाज के हर वर्ग के उत्थान और समानता की दिशा में एक मील का पत्थर करार दिया.

    Muslim Rashtriya Manch Said- Big victory in JPC on Waqf hard work has paid off now Muslims will get justice
    मुस्लिम राष्ट्रीय मंच/Photo- MRM

    नई दिल्ली: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से मंजूरी मिलने को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए इसे समाज के हर वर्ग के उत्थान और समानता की दिशा में एक मील का पत्थर करार दिया. 

    मंच के राष्ट्रीय संयोजक और मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने कहा, "यह विधेयक समाज की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ वंचित और कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण का एक प्रभावी माध्यम बनेगा. वक्फ संपत्तियों का अब केवल धार्मिक गतिविधियों तक सीमित न रहकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में भी उपयोग किया जाएगा." 

    शाहिद सईद ने बताया कि यह कामयाबी मंच की मेहनत, संघर्ष और जागरूकता अभियानों का परिणाम है, जिसमें देशभर में 1000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित कर जनता को विधेयक की प्रासंगिकता समझाई गई. इसके अलावा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के विभिन्न संगठनों के 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने जेपीसी के समक्ष पेश हो कर अपनी दलीलों को प्राथमिकता से रखा. साथ ही मंच के देश भर में फैले कार्यकर्ताओं ने लाखों की तादाद में जेपीसी को पत्र और मेल के द्वारा समर्थन और सुझाव रखे. इन सभी को जेपीसी ने पूरी गंभीरता के साथ लिया. इस दौरान जेपीसी में विपक्षी नेताओं की तीव्र आलोचना भी मंच के सदस्यों को सुननी पड़ी लेकिन मंच के नुमाइंदों ने सहजता, सरलता, साक्ष्यों, तर्क और पूरी शिद्दत के साथ अपने सुझाव रखे. 

    विधेयक के लाभ: शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में क्रांति

    महिला विंग की प्रमुख और राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शालिनी अली ने इसे वंचित वर्गों और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम बताया. उन्होंने कहा, "यह विधेयक पारदर्शिता और जिम्मेदारी को सुनिश्चित कर समाज में समानता और समृद्धि लाएगा. हमने समाज के हर वर्ग को जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाए और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया."

    डॉ. शालिनी ने कहा, "वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन पूरे समाज के लिए लाभकारी होगा. डिजिटल रिकॉर्ड, नियमित ऑडिट, और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की सिफारिशें इस विधेयक में शामिल की गई हैं. यह विधेयक शिक्षा और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा." 

    डॉ. अख्तर ने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड और टाटा ट्रस्ट जैसे मॉडलों का उदाहरण देते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग एक बड़े सामाजिक परिवर्तन का जरिया बन सकता है.

    जेपीसी की सराहना और मंच की जीत

    जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के नेतृत्व में विधेयक में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार उन्मूलन, और अतिक्रमण रोकने के लिए 14 संशोधनों को मंजूरी मिली. राष्ट्रीय संयोजक शाहिद अख्तर ने इसे 'सड़क से संसद तक की यात्रा' बताया और कहा, "यह विधेयक समाज को एकजुट करने का माध्यम बनेगा. मंच ने 'वक्फ बिल 2024: रिस्पेक्ट टू इस्लाम एंड गिफ्ट फॉर मुस्लिम' नामक पुस्तक का विमोचन कर विधेयक के महत्व को रेखांकित किया. इस किताब का विमोचन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू, जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल, बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, संघ के संपर्क प्रमुख राम लाल, ऑल इंडिया इमाम संगठनों के चीफ इमाम उमेर इलियासी समेत कई गण्यमान्य व्यक्तियों ने किया था. किरण रिजिजू और जगदंबिका पाल ने इस पुस्तक को वक्फ पर इनसाइक्लोपीडिया और समय की जरूरत बताया था.

    भविष्य की दिशा

    डॉ. शाहिद अख्तर ने वक्फ संशोधन विधेयक को समाज में समानता और विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने इसे केवल एक कानून नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत करार दिया, जो वक्फ संपत्तियों के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देगा. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से जुड़े अन्य संगठनों ने इसे समाज के सभी वर्गों के लिए उम्मीद और समृद्धि का प्रतीक बताया. मंच ने जोर देकर कहा कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों का डिजिटलाइजेशन और पारदर्शी प्रबंधन सुनिश्चित होगा, जिससे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोका जा सकेगा.

    शाहिद सईद ने वक्फ संपत्तियों के बेहतर उपयोग के लिए शिक्षा केंद्र, अस्पताल, कौशल विकास संस्थान और रोजगार केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया. उन्होंने वक्फ बोर्डों में तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट कराने और संपत्तियों के सार्वजनिक उपयोग पर बल दिया. उनका मानना है कि यह कानून न केवल मुस्लिम समुदाय, बल्कि पूरे देश के विकास और समृद्धि के लिए लाभकारी होगा, और इसे समर्थन देना हर नागरिक की जिम्मेदारी है, जो भारत को एक समतामूलक और प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में देखता है.

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