बांग्लादेश में जो कुछ हुआ वो सीख है, हिंदुओं को एकजुट रहने की जरूरत : RSS प्रमुख मोहन भागवत

    पड़ोसी देश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक गुस्से में आकर अत्याचार करने की कट्टरपंथी प्रकृति बनी रहेगी - न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में रहेंगे.

    बांग्लादेश में जो कुछ हुआ वो सीख है, हिंदुओं को एकजुट रहने की जरूरत : RSS प्रमुख मोहन भागवत
    नागपुर में विजयदशमी पर संघ के मुख्यालय पर संबोधन के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

    नागपुर (महाराष्ट्र) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए हिंदुओं के बीच एकता का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि पहली बार हिंदू एकजुट हुए और खुद की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे.

    पड़ोसी देश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक गुस्से में आकर अत्याचार करने की कट्टरपंथी प्रकृति बनी रहेगी - न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में रहेंगे.

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    बाग्लादेश में जो हुआ वह भारत के हिंदुओं के लिए भी एक सीख है : भागवत

    आज यहां आयोजित वार्षिक विजयादशमी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह भारत के हिंदुओं के लिए भी एक सीख है.

    "हमारे पड़ोसी बांग्लादेश में क्या हुआ? इसके कुछ तात्कालिक कारण हो सकते हैं और जो लोग चिंतित हैं, वे इस पर चर्चा करेंगे. लेकिन मूल मुद्दा हिंदुओं के खिलाफ बार-बार होने वाले अत्याचार हैं."

    "पहली बार, हिंदू खुद को बचाने के लिए एकजुट हुए, लेकिन जब तक यह कट्टरपंथी हिंसा जारी रहेगी, तब तक न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में हैं. उन्हें पूरी दुनिया के हिंदुओं से समर्थन की जरूरत है और भारत की सरकार को इसमें कदम उठाना चाहिए."

    भागवत ने इस बात पर भी जोर दिया कि "अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रित कर रहे हैं. हम जहां भी हैं, हमें एकजुट और सशक्त होने की जरूरत है और कमजोरी कोई विकल्प नहीं है."

    आरएसएस प्रमुख ने भारत को खतरे के रूप में देखने पर चेताया

    आरएसएस प्रमुख ने बांग्लादेश में बढ़ते उस नैरेटिव के खिलाफ भी चेतावनी दी, जिसमें भारत को एक खतरे के रूप में देखा जाता है. उन्होंने जिक्र किया कि बांग्लादेश में ऐसी चर्चा चल रही है कि उन्हें पाकिस्तान का साथ देना चाहिए क्योंकि उसके पास परमाणु शक्ति है. उन्हें भारत से खतरा है. उन्होंने कहा कि जिस देश को इसके निर्माण में पूरा समर्थन मिला, वह अब भारत के खिलाफ इस तरह के नैरेटिव को बढ़ावा दे रहा है.

    भागवत ने कहा, "हम सभी जानते हैं कि कौन से देश इस तरह की चर्चा और नैरेटिव को बढ़ावा दे रहे हैं, हमें उनका नाम लेने की जरूरत नहीं है. उनकी इच्छा भारत में भी ऐसी स्थितियां पैदा करने की है.

    "भारत को रोकने के लिए ऐसे उद्योग चलाए जा रहे हैं."

    भागवत ने डीप स्टेट, वोकिज्म और कल्चरल मार्क्सिस्ट खतरे का जिक्र किया

    आरएसएस प्रमुख ने सांस्कृतिक परंपराओं के लिए "डीप स्टेट", "वोकिज्म" और "कल्चरल मार्क्सिस्ट" से उत्पन्न खतरों पर जोर देते हुए कहा कि मूल्यों और परंपराओं का विनाश इस समूह की कार्यप्रणाली का एक हिस्सा है. "इन दिनों 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' जैसे शब्द चर्चा में हैं. वास्तव में, वे सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं. मूल्यों, परंपराओं और जो कुछ भी पुण्य और शुभ माना जाता है उसका पूर्ण विनाश इस समूह की कार्यप्रणाली का एक हिस्सा है. इस कार्यप्रणाली का पहला कदम समाज की मन को आकार देने वाली प्रणालियों और संस्थानों को अपने प्रभाव में लाना है - उदाहरण के लिए, शिक्षा प्रणाली और शैक्षणिक संस्थान, मीडिया, बौद्धिक प्रवचन आदि, और उनके माध्यम से समाज के विचारों, मूल्यों और विश्वास को नष्ट करना है."

    एक पहचान के समूह को अलग होने को प्रेरित किया जा रहा : मोहन भागवत 

    भागवत ने कहा. "एक साथ रहने वाले समाज में, एक पहचान-आधारित समूह को उसकी वास्तविक या कृत्रिम रूप से बनाई गई विशेषता, मांग, आवश्यकता या समस्या के आधार पर अलग होने के लिए उकसाया जाता है. आरएसएस नेता ने कहा, "उनके अंदर पीड़ित होने की भावना पैदा की जाती है. असंतोष को हवा देकर उस तत्व को बाकी समाज से अलग कर दिया जाता है और व्यवस्था के खिलाफ आक्रामक बना दिया जाता है. समाज में खामियां ढूंढ़कर सीधे टकराव पैदा किए जाते हैं. व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और नफरत को बढ़ाकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना आसान हो जाता है."

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