Vat Savitri Vrat: 6 जून को ‘सावित्री व्रत’, पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन वट वृक्ष को बांधती हैं लाल कलावे

    इस बार वट सावित्री व्रत 6 जून को होगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रहती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं.

    Vat Savitri Pooja/ Social Media
    Vat Savitri Pooja/ Social Media

    Vat Savitri Pooja

    नई दिल्ली: इस बार ‘वट सावित्री पूजा’ (Vat Savitri Pooja) 6 जून को मनाया जाएगा. हिंदू परंपराओं के अनुसार इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है. ये पूरा खासतौर पर सुहागिन महिलाओं द्वारा की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा व्रत रखने और विधी पूर्व वट वृक्ष की पूजा करने से पति की आयु दिर्घायु होती है और घर में सुख शांति बनी रहती है. 

    वट सावित्री पूजा के दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति लंबी आयु के लिए व्रत रहती हैं. व्रत रखने से घर, परिवार में सुख शांति बनी रहती है और दंपतियों के जीवन में वैवाहिक खुशियां आती हैं. कई लोगों का मानना है कि ये व्रत उतना ही ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जितना करवा चौथ का व्रत माना जाता है. 

    ज्येष्ठ माह के अमावस्या के दिन करते हैं पूजा 

    बता दें सनातन धर्म के अनुसार वट सावित्री पूजा प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के अमावस्या के दिन आता है. पौराणिक कथाओं एवं ऋषि मुनियों द्वारा बताया गया है कि इस दिन शनिदेव की उत्पत्ति हुई थी. यही कारण है कि इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है. 

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    ऐसी है ‘सावित्री व्रत’ की पूजा विधि 

    अगर वट सावित्री पूजा के पूजन विधि की बात करें तो इस खास दिन सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं. इसके बाद घर के मंदिर में दिया जलाया जाता है और नजदीकी वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रखी जाती है. इसके बाद मूर्ति और वृक्ष को जल अर्पित किया जाता है. तद्पश्चात लाल कलावा से वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करते हैं और वृक्ष पर इसको बांधते हैं. व्रत कथा सुनी जाती है. 

    बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है

    शास्त्रों की माने तो बरगद के वृक्ष के तनों में भगवान विष्णु का वास होता है. जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव वास करते हैं. वृक्षों में कई सारी शाखाएं नीचे की तरफ होती हैं, जिनको देवी सावित्री का रूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से भगवान की कृपा होती है. संतान की प्राप्ती के लिए भी इस वृक्ष की पूजा काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है.

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