Makar Sankranti 2025 : क्या इस बार बदली है मकर संक्रांति तारीख? जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त

    कहा जाता है कि सूर्य देव जिस दिन मकर राशि में गोचर (जाना) करते हैं, उसी तिथि पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. लेकिन इस तिथि और समय को लेकर भ्रम बना हुआ है.

    Makar Sankranti 2025 : क्या इस बार बदली है मकर संक्रांति तारीख? जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त
    मकर संक्रांति के दिन बनने वाला तिल का लड्डू और पतंग की प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- Freepik से.

    नई दिल्ली : मकर संक्रांति वैसे तो हमेशा 14 जनवरी को पड़ती है लेकिन सूर्य ग्रह की खास स्थतियों बदलने से इसकी तारीख भी बदलती है. यह 13 जनवरी को है या 14 जनवरी को, इसको लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है. 

    कहा जाता है कि सूर्य देव जिस दिन मकर राशि में गोचर (जाना) करते हैं, उसी तिथि पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. लेकिन इस बार सूर्य देव के गोचर करने की तिथि और समय को लेकर भ्रम बना हुआ है. आइ जानते हैं कि 2025 में मकर संक्रांति का त्यौहार 13 जनवरी या 14 जनवरी को कब है.

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    मकर संक्रांति नये साल का होता है प्रमुख त्यौहार

    नए साल के आरंभ में ही मकर संक्रांति आता है, इसे नए साल के प्रमुख त्यौहारों में से एक माना जाता है. धार्मिक और ज्योतिष दोनों लिहाज से ये पर्व बेहद खास होता है. वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक, जिस दिन सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं, उसी दिन मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है. इसी दिन खरमास का समापन हो जाता है, जिस वजह से शुभ कार्यों पर लगी रोक हट जाती है.

    2025 में क्या इस त्यौहार की बदली है तारीख?

    वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक, 14 जनवरी 2025 के दिन मंगलवार सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे. लिहाजा, इस बार 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा. 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक शुभ मुहूर्त है, जबकि इस दिन महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक होगा.

    भारतीय परंपरा में क्या है मकर संक्रांति का महत्व?

    धार्मिक तौर से ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता उत्तरायण यानी मकर रेखा से उत्तर दिशा की ओर जाएंगे. इसलिए इस त्यौहार को उत्तरायणी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की खास तौर से पूजा होती है. का फी लोग इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं. पूजा-पाठ के अलावा इस शुभ दिन पर नदी में स्नान और उसके बाद जरूरतमंदों दान दिया जाता है.

    इस पर्व पर क्यों है पतंग उड़ाने की परंपरा?

    पौराणिक कथाओं के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि, त्रेता युग में मकर संक्रांति के दिन भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी और यह इंद्रलोक तक पहुंची थी. इसी के बाद से मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है. इस त्यौहार के दिन घर में तिल और गुड़ के व्यंजन और खिचड़ी भी बनाने की परंपरा है. कई जगहों पर बहनों के यहां ये तिल, गुड़ के बने व्यंजन भी भेजे जाते हैं. साथ ही इस तिल का दान शुभ माना जाता है.

    ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर तिल का दान करने और खिचड़ी खाने से श्री हरि की विशेष कृपा मिलती है. साथ ही कुंडली में राहु और शनि ग्रह की स्थिति मजबूत होती है.

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