'VVPAT और EVM के बीच कोई बेमेल नहीं पाया गया', महाराष्ट्र CEO ने विपक्ष के आरोपों से किया इनकार

    मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की वैधता के बारे में विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया.

    Maharashtra CEO denies Opposition allegations on VVPAT and EVM
    महाराष्ट्र CEO ने विपक्ष के आरोपों से किया इनकार | Internet

    Maharashtra: मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की वैधता के बारे में विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) पर्चियों और उनके संबंधित ईवीएम नंबरों के बीच "कोई बेमेल" नहीं पाया गया. 

    महाराष्ट्र के सीईओ का बयान

    एक बयान में महाराष्ट्र के सीईओ ने बताया कि भारत के चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों से वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती करना अनिवार्य है. महाराष्ट्र के सीईओ ने कहा, "23 नवंबर को मतगणना प्रक्रिया के दौरान, मतगणना पर्यवेक्षक/उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों के सामने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों की वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती की गई. उसके अनुसार, महाराष्ट्र राज्य के 288 विधानसभा क्षेत्रों से 1440 वीवीपीएटी इकाइयों की पर्चियों की गिनती संबंधित नियंत्रण इकाई के आंकड़ों से की गई है." 

    महाराष्ट्र के सीईओ ने कहा, "संबंधित डीईओ से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वीवीपैट पर्ची गणना और ईवीएम नियंत्रण इकाई गणना के बीच कोई विसंगति नहीं पाई गई है." 

    आपको बता दें कि कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सहयोगियों ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में अपनी हार के बाद ईवीएम की वैधता पर सवाल उठाए हैं. 3 दिसंबर को कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान को लेकर अपनी आशंकाओं को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात की. इसके बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच करीब 47 लाख मतदाताओं के नाम सूची में जोड़े गए. उन्होंने कहा, "अगर चुनाव ठीक से नहीं कराए जाते हैं तो यह संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करता है. हमारा कहना था कि चुनाव आयोग को डेटा निकालना चाहिए और हमारे द्वारा उठाए गए मुद्दों पर तथ्य प्रदान करने चाहिए, जिसके आधार पर हम निष्कर्ष निकालेंगे."

    सिंघवी ने लगाए थे आरोप

    सिंघवी ने आगे कहा, "हमारा पहला मुद्दा महाराष्ट्र में मतदाताओं के नामों के बड़े पैमाने पर विलोपन के बारे में था. हमने कहा है कि इस प्रक्रिया के लिए निर्धारित प्रपत्रों और प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए, और हमें इस तरह के व्यापक विलोपन के आधार को समझने के लिए बूथ-वार और निर्वाचन क्षेत्र-वार विस्तृत डेटा की आवश्यकता है. यह डेटा वर्तमान में अनुपलब्ध है. यह उन आधारों का पता लगाने में मदद करेगा, जिनके कारण इतनी बड़ी संख्या में विलोपन हुआ." 

    उन्होंने कहा, "हमारा दूसरा मुद्दा मतदाता सूची में नाम जोड़ने के बारे में था. हमने पाया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच लगभग पांच महीनों में लगभग 47 लाख मतदाताओं के नाम जोड़े गए. इन नामों को जोड़ने के लिए प्रपत्र कहां हैं? किस आधार पर घर-घर जाकर सत्यापन किया गया? हमें उस कच्चे डेटा की आवश्यकता है." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 118 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदान में 25,000 या उससे अधिक वोटों की वृद्धि हुई.

    ये भी पढ़ेंः विदेश सचिव मिस्री ने जर्मन सांसदों से की मुलाकात, भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर दिया जोर

    भारत