विदेश सचिव मिस्री ने जर्मन सांसदों से की मुलाकात, भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर दिया जोर

    विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दिल्ली में जर्मन संसद के सदस्यों के साथ बैठक की और भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया.

    Foreign Secy Misri meets German MPs India-Germany Strategic Partnership
    विदेश सचिव मिस्री ने जर्मन सांसदों से की मुलाकात | Photo: X

    नई दिल्लीः विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में जर्मन संसद के सदस्यों के साथ बैठक की और भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया. 

    बैठक के दौरान उन्होंने जर्मन सांसदों - एंड्रियास श्वार्ज, इंगो गेडेचेंस, गेसिन लोट्ज, सेबेस्टियन शेफर के साथ आपसी महत्व के वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. 

    विदेश मंत्रालय ने एक्स पर किया पोस्ट

    एक्स पर एक पोस्ट में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आज नई दिल्ली में जर्मन संसद के सदस्यों एंड्रियास श्वार्ज, इंगो गेडेचेंस, गेसिन लोट्ज, सेबेस्टियन शेफर से मुलाकात की. अपनी बातचीत में उन्होंने भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया और आपसी महत्व के समकालीन वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की." 

    अक्टूबर में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज भारत के दौरे पर आए थे. 2021 में चांसलर बनने के बाद से यह स्कोल्ज की तीसरी भारत यात्रा थी. पिछले साल उन्होंने दो बार भारत का दौरा किया. अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में भारत और जर्मनी के बीच बढ़ते सहयोग पर प्रकाश डाला और इसे उनके गहरे आपसी विश्वास का प्रतीक बताया. 

    भारत को दक्षिण एशिया में "शांति और स्थिरता का आधार" बताया

    पीएम मोदी से मुलाकात के बाद जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने भारत को दक्षिण एशिया में "शांति और स्थिरता का आधार" बताया. साथ ही कहा कि बर्लिन क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर नई दिल्ली के रुख का समर्थन करता है. 

    आपको बता दें कि जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. यह लगातार भारत के शीर्ष दस वैश्विक साझेदारों में से एक रहा है और वित्त वर्ष 2020-21 में सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था (अक्टूबर 2021 तक वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 10वां). 2021-22 (अक्टूबर 2021 तक) के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 13.83 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2020-21 की इसी अवधि की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक है. इस अवधि के दौरान 5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के साथ भारतीय निर्यात में लगभग 27 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई और 8.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के साथ भारतीय आयात में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

    ये भी पढ़ेंः चीन ने ताइवान में बढ़ाई मिलिट्री एक्टिविटी, क्या युद्ध होना तय है?

    भारत