लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लखनऊ का गोमतीनगर रेलवे स्टेशन अब राज्य का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन बन चुका है. इस नई व्यवस्था के तहत स्टेशन की सभी सेवाएं अब निजी कंपनियों को सौंप दी जाएंगी. हालांकि ट्रेन संचालन, सुरक्षा और टिकट बिक्री की जिम्मेदारी अभी भी भारतीय रेलवे के पास रहेगी, बाकी सारी सुविधाएं अब प्राइवेट हाथों में होंगी. इस पहल को भारतीय रेलवे का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो यात्रियों को बेहतर और वर्ल्ड क्लास सुविधाएं देने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
गोमतीनगर स्टेशन: एक व्यस्त केंद्र
गोमतीनगर स्टेशन, जो लखनऊ का एक प्रमुख यात्री केंद्र है, अब निजीकरण की ओर बढ़ चुका है. यह स्टेशन छह प्लेटफॉर्म के साथ अत्यधिक व्यस्त है, जहां से रोजाना 76 ट्रेनें गुजरती हैं. इन ट्रेनों में गोरखपुर, छपरा, और बरौनी जैसे बड़े शहरों को जोड़ने वाली ट्रेनें भी शामिल हैं. इस स्टेशन की भीड़-भाड़ और यात्रियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए, इसे प्राइवेट स्टेशन में बदलने का निर्णय लिया गया है.
रेलवे स्टेशन को प्राइवेट करने का उद्देश्य
रेलवे के इस कदम का उद्देश्य स्टेशन पर वर्ल्ड क्लास सुविधाएं प्रदान करना है. यहां पर सफाई, रखरखाव, खानपान, पार्किंग, और अन्य यात्री सुविधाओं का जिम्मा अब प्राइवेट कंपनियों को सौंपा जाएगा. रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (RLDA) को इस प्रक्रिया का जिम्मा सौंपा गया है, जो इन प्राइवेट कंपनियों को संचालन के लिए आमंत्रित करेगा. तीन साल में विस्तार के साथ इन्हें नौ साल के लिए लाइसेंस दिए जाएंगे.
सेवा की लागत में वृद्धि का खतरा
गोमतीनगर स्टेशन का निजीकरण यात्रियों के लिए नई सुविधाओं का मार्ग प्रशस्त करेगा, लेकिन कुछ लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि प्राइवेट कंपनियों द्वारा सेवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे यात्रियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है. इस कदम के तहत रेलवे ने यह सुनिश्चित किया है कि यात्रियों को उच्च गुणवत्ता की सुविधाएं प्राप्त हों, और इसका असर न केवल स्टेशन की कार्यकुशलता पर पड़े, बल्कि यात्री अनुभव में भी सुधार हो.
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