लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साइबर अपराधियों का दुस्साहस दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. हाल ही में इन शातिर जालसाजों ने यूपी पुलिस के रिटायर्ड डीआईजी राकेश शुक्ला को अपने ठगी का शिकार बना लिया. व्हाट्सएप के माध्यम से एक फर्जी कहानी रचते हुए इन ठगों ने राकेश शुक्ला से घरेलू सामान के नाम पर एक लाख 75 हजार रुपये से अधिक की राशि निकाल ली. इस घटना ने साइबर अपराध की बढ़ती समस्या को और भी उजागर कर दिया है.
कैसे हुआ ठगी का खेल?
राकेश शुक्ला, जो हजरतगंज स्थित अलीशा अपार्टमेंट में अपने परिवार के साथ रहते हैं, को व्हाट्सएप पर एक परिचित रिटायर्ड आईएएस अधिकारी बलविंदर कुमार के नाम से एक फ्रेंड रिक्वेस्ट प्राप्त हुई. इस मैसेज में लिखा था कि उनके मित्र सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट हैं और वे दिल्ली से घरेलू सामान सस्ते दामों पर मंगवा रहे हैं. संदेश, प्रोफाइल और भाषा शैली सभी कुछ ऐसा था कि यह वास्तविक प्रतीत हो रहा था.
सामान के नाम पर ठगी
इसके बाद एक और व्हाट्सएप नंबर से राकेश शुक्ला को संतोष कुमार नामक व्यक्ति का संदेश प्राप्त हुआ, जो खुद को सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट बता रहा था. उसने विभिन्न घरेलू सामान की तस्वीरें भेजीं, जिसमें फ्रिज, वॉशिंग मशीन, ओवन आदि शामिल थे. साथ ही, उसने सामान की कीमत 1,10,000 रुपये बताई और बुकिंग के लिए क्यूआर कोड भेज दिया.
ठगी के बाद का शक और रिपोर्ट
राकेश शुक्ला ने विश्वास करते हुए एक-एक करके 1,75,000 रुपये से अधिक की राशि बताए गए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी. लेकिन जब सामान की डिलीवरी नहीं हुई और संबंधित नंबर पर संपर्क नहीं हो पाया, तो राकेश को समझ में आ गया कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं. उन्होंने जल्द ही हजरतगंज थाने में जाकर पूरी घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने अज्ञात साइबर अपराधियों के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू कर दी है.
साइबर अपराधियों का नया तरीका
पुलिस के अनुसार, यह ठगी का तरीका नए साइबर अपराधियों के तरीके में से एक है. इसमें जालसाज वरिष्ठ नागरिकों और अधिकारियों को निशाना बनाते हैं और उनके जानकारों के नाम का इस्तेमाल करते हैं. इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि साइबर अपराध से बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता बहुत जरूरी है.
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