तिरुवनंतपुरम (केरल) : हाई-प्रोफाइल शेरोन राज हत्याकांड में आरोपी ग्रीष्मा को नेय्याट्टिनकारा अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने सोमवार को मृत्युदंड की सजा सुनाई है. अदालत ने उस आरोपी को मृत्युदंड दिया जिसने अपने 23 वर्षीय प्रेमी शेरोन राज को पेस्टिसाइड आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाकर जहर दिया था.
शारीरिक संबंध के बहाने जहर देकर मारा
तीसरे आरोपी ग्रीष्मा के चाचा निर्मलकुमारन नायर को 3 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है. सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा, "यौन अंतरंगता के बहाने शेरोन को बुलाने और उसके बाद अपराध करने के कृत्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आपराधिक कृत्यों के लिए सजा सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है. शेरोन द्वारा संदिग्ध जूस का वीडियो रिकॉर्ड करने जैसे साक्ष्य, जबकि ग्रीष्मा ने उसे रिकॉर्ड न करने के लिए कहा था, यह दिखाता है कि उसे संदेह था कि कुछ गड़बड़ है. शेरोन ने 11 दिनों तक बिना पानी की एक बूंद पिए अपनी जान की लड़ाई लड़ी."
अदालत ने आगे कहा कि ग्रीष्मा ने अपने प्रेमी शेरोन के साथ विश्वासघात किया, उसे भावनात्मक रूप से हेरफेर किया. अदालत ने कहा कि उसके पास शेरोन की ओर से मानसिक दबाव डालने का कोई सबूत नहीं है.
कोर्ट ने कहा शारीरिक शोषण का कोई सबूत नहीं
अदालत ने कहा, "ग्रीष्मा का बचाव कि शेरोन ने उसका शारीरिक शोषण किया था, उसके पास भी कोई सबूत नहीं है. इसके विपरीत, शेरोन ने कभी भी किसी संदेश या संवाद में उसे दोषी नहीं ठहराया. जबकि शेरोन, आरोपी के प्रति प्रतिबद्ध था, वह उसी समय अपने मंगेतर के संपर्क में थी."
"यह स्पष्ट है कि अपराध पूर्व नियोजित था और बिना किसी उकसावे के अंजाम दिया गया. ग्रीष्मा द्वारा अपने अपराध को छिपाने के लिए किए गए चालाक प्रयास असफल रहे. अपराध की गंभीरता के मद्देनजर युवावस्था के उसके तर्क पर विचार नहीं किया जा सकता. साक्ष्य बताते हैं कि शेरोन को ग्रीष्मा की हत्या की योजना के बारे में पता नहीं था."
आईपीसी की इस धारा के तहत दी गई है सजा
आरोपी ग्रीष्मा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कई आरोप हैं. उस पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 364 (हत्या करने के इरादे से अपहरण), 328 (जीवन को नुकसान पहुंचाने के इरादे से जहर देना) और 203 (गलत जानकारी देकर न्याय में बाधा डालना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. अदालत ने शनिवार को एसएस ग्रीष्मा को सजा की मात्रा पर बचाव करने और अभियोजन पक्ष की अंतिम दलीलें सुनीं, जिन्हें 17 जनवरी को अदालत ने दोषी पाया था.
अदालत ने तीसरे आरोपी, उसके चाचा निर्मलकुमारन नायर को भी आईपीसी की धारा 201 के तहत दोषी पाया. उसकी मां सिंधु को बरी कर दिया गया. मामला 14 अक्टूबर, 2022 का है, जब ग्रीष्मा ने कथित तौर पर अपने घर पर हर्बल दवा में जहर मिलाकर अपने प्रेमी शेरोन राज को जहर दे दिया था. 11 दिन बाद मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में इलाज के दौरान शेरोन की मौत हो गई थी.
शोरेन और ग्रीष्मा लंबे समय से रिलेशन में थे
शेरोन और ग्रीष्मा लंबे समय से रिलेशनशिप में थे. हालांकि, ग्रीष्मा किसी और से शादी करने की योजना बना रही थी, इसलिए उसने शेरोन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने की कोशिश की. जब शेरोन ने रिश्ता तोड़ने से इनकार कर दिया, तो कथित तौर पर इसने हत्या की.
शेरोन का मजिस्ट्रेट के सामने मरते समय दिया गया बयान, जिसमें उसने खुलासा किया कि उसने ग्रीष्मा द्वारा दी गई हर्बल दवा को बिना किसी नुकसान की आशंका के पी लिया था, यह जांच में एक अहम मोड़ था. अपराध को स्थापित करने में फॉरेंसिक साक्ष्य ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
पुलिस ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शिल्पा के नेतृत्व में एक विशेष टीम के जरिए सावधानीपूर्वक जांच के बाद 25 जनवरी, 2023 को आरोप पत्र दायर किया.
पिछले साल 15 अक्टूबर को शुरू हुआ मुकदमा इस साल 3 जनवरी को समाप्त हुआ. मामले में 95 से अधिक गवाहों की जांच की गई.
यह भी पढ़ें : RG Kar मामले में फैसला आज— पीड़िता के पिता ने कड़ी से कड़ी सजा की मांग, BJP ने क्यों बताया जल्दबाजी?