'जाति जनगणना नहीं, सामाजिक-आर्थिक सर्वे', रिपोर्ट को लेकर बवाल पर कर्नाटक के मंत्री ने क्या दी सफाई?

    मंत्री एमबी पाटिल ने साफ किया कि यह राज्य सरकार द्वारा किया गया "जाति सर्वेक्षण" था और जाति जनगणना करना केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है.

    'जाति जनगणना नहीं, सामाजिक-आर्थिक सर्वे', रिपोर्ट को लेकर बवाल पर कर्नाटक के मंत्री ने क्या दी सफाई?
    बेंगलुरु में जाति सर्वे रिपोर्ट को लेकर बात करते हुए कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल | Photo- ANI के वीडियो से ग्रैब्ड

    बेंगलुरु (कर्नाटक) : राज्य सरकार द्वारा जाति सर्वे की रिपोर्ट पेश न किए जाने पर मचे बवाल के बीच कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने पाया है कि लिंगायत समुदाय की कुछ उप-जातियों ने आरक्षण नीति के कारण हिंदू के तौर पर पंजीकरण कराया है.

    उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि यह राज्य सरकार द्वारा किया गया "जाति सर्वेक्षण" था और जाति जनगणना करना केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है.

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    पाटिल ने कहा- जाति जनगणना केंद्र का विशेषाधिकार

    पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, "कुछ भी गलत नहीं हुआ है. हमें नहीं पता कि जाति जनगणना (रिपोर्ट) में क्या है. सबसे पहले, यह जाति जनगणना नहीं है. यह केवल भारत सरकार द्वारा किया जा सकता है. यह केवल एक जाति सर्वेक्षण है. जहां तक ​​लिंगायत समुदाय का सवाल है, हमने पाया है कि समुदाय में कई उपजातियां हैं. आरक्षण के कारण उपजातियां हिंदू के रूप में पंजीकृत की हैं, लेकिन वे लिंगायत समुदाय का हिस्सा हैं."

    उन्होंने कहा कि लिंगायत समुदाय की उपजातियों को गिनती के लिए एक छत के नीचे लाने की जरूरत है, अन्यथा यह "अन्यायपूर्ण" होगा.

    मंत्री ने रिपोर्ट सही तरीके से न तैयार होने की बात कही

    मंत्री ने कहा कि अगर रिपोर्ट सही तरीके से तैयार की जाती, तो कोई समस्या नहीं होती. उन्होंने कहा, "अन्यथा, हम मुख्यमंत्री से इसे ठीक करने के लिए कहेंगे."

    पाटिल ने कहा, "हमें उन्हें एक छत के नीचे लाना होगा और उनकी गिनती करनी होगी, तभी सही तस्वीर सामने आएगी. यह मेरी मांग है. अन्यथा, यह अन्याय होगा. अगर लिंगायतों की संख्या (65,000) में उन्हें (हिंदू के रूप में पंजीकृत लोगों को) शामिल नहीं किया जाता है, तो यह गलत बात है. अगर रिपोर्ट सही तरीके से तैयार की गई है, तो हमें कोई समस्या नहीं है."

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    प्रियांक खरगे ने बताया इसे सामाजिक-आर्थिक सर्वे

    इस बीच, कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने भी स्पष्ट किया कि यह "जाति जनगणना" रिपोर्ट नहीं है, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट है. उन्होंने आगे कहा कि उनके लिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है क्योंकि उन्हें नहीं पता कि रिपोर्ट में क्या शामिल है.

    खरगे ने कहा, "यह जाति-जनगणना रिपोर्ट नहीं है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट है. रिपोर्ट के नतीजों के बारे में कोई नहीं जानता. इसे कैबिनेट में पेश किया जाना चाहिए, जब भी इसे पेश हो. मेरे लिए इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करना उचित नहीं है, क्योंकि मुझे नहीं पता कि इसमें क्या है. हम जल्द ही रिपोर्ट पेश करेंगे. रिपोर्ट 2 साल पहले ही तैयार हो चुकी थी. भाजपा ने इसे जारी कर दिया होता, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. हम इसे अंततः जारी करेंगे."

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