'पाकिस्तान ने गिराए थे 17 बम', 1971 के युद्ध में कैसे थे हालात? मॉक ड्रिल से पहले महिला होमगार्ड ने बताया

    आतंकी हमले के बाद भारत के रुख से साफ है कि इस बार जवाब कड़ा होगा. हर तरफ युद्ध जैसी तैयारियों का माहौल है—मॉक ड्रिल से लेकर बंकरों की मरम्मत तक.

    Jyotiben Upadhyay 1971 India Pakistan War
    ज्योतिबेन उपाध्याय | Photo: ANI

    नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गहराता जा रहा है और देशवासियों की भावनाएं भी उबाल पर हैं. आतंकी हमले के बाद भारत के रुख से साफ है कि इस बार जवाब कड़ा होगा. हर तरफ युद्ध जैसी तैयारियों का माहौल है—मॉक ड्रिल से लेकर बंकरों की मरम्मत तक. लेकिन, इस माहौल में एक खबर दिल छू लेने वाली है. गुजरात के भुज से आई इस खबर ने साबित कर दिया है कि जब बात देश की हो, तो उम्र कोई मायने नहीं रखती.

    भुज की रहने वाली ज्योतिबेन उपाध्याय, जिन्होंने 1971 की भारत-पाक युद्ध में बतौर महिला होमगार्ड सेवा दी थी, एक बार फिर राष्ट्र सेवा के लिए आगे आई हैं. 70 से पार उम्र के बावजूद उनका जोश आज भी जवानों जैसा है.

    "देश को जरूरत हो, तो हम फिर तैयार हैं"

    ज्योतिबेन उपाध्याय ने उस दौर को याद करते हुए कहा कि 1971 में जब युद्ध शुरू हुआ, उन्होंने उसी समय होमगार्ड यूनिट जॉइन किया था. युद्ध के दौरान जब पूरा भुज शहर ब्लैकआउट में था, तब वे अन्य महिला होमगार्ड्स के साथ सड़कों पर निकला करती थीं. उनका काम था लोगों को डर से उबारना, उन्हें समझाना कि घबराने की जरूरत नहीं है.

    उनके मुताबिक, उस समय पाकिस्तान ने सिर्फ भुज इलाके में 17 बम गिराए थे, लेकिन हमारी महिला टुकड़ी ने मोर्चा नहीं छोड़ा. ज्योतिबेन कहती हैं, "हमने उस वक्त लोगों को साहस दिया था, अब समय है कि वही अनुभव हम नई पीढ़ी को दें."

    “डेस्क जॉब मिले तो भी करूंगी सेवा”

    ज्योतिबेन का कहना है कि मौजूदा हालात बहुत कुछ 1971 जैसे हैं. रोज़ युद्ध की अटकलें लगाई जा रही हैं और तैयारियां हो रही हैं. ऐसे में वह चाहती हैं कि उन्हें एक बार फिर देश सेवा का मौका मिले—चाहे वह फील्ड में हो या फिर किसी डेस्क पर. वह मानती हैं कि इस समय लोगों को जागरूक करने और मानसिक रूप से मजबूत बनाने की जरूरत है.

    “वर्दी पहनना था गर्व की बात”

    सालों पहले देश के लिए वर्दी पहनकर सड़कों पर निकलने का गौरव आज भी उनकी आंखों में चमकता है. वे बताती हैं, “हमें हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई थी. जब हम वर्दी में होते थे, तो खुद पर गर्व महसूस होता था.” उन्होंने देश की महिलाओं से अपील की है कि वे भी इस समय चुप न बैठें, बल्कि देश के लिए कुछ करने के लिए आगे आएं.

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