ईरान में इन दिनों हालात बेहद तनावपूर्ण हैं. एक तरफ इजराइल और अमेरिका के साथ टकराव अपने चरम पर है, तो दूसरी तरफ देश के अंदर कथित "जासूसों" के खिलाफ कार्रवाई खौफनाक मोड़ ले चुकी है. बीते कुछ हफ्तों में ईरान में हर दिन औसतन पांच लोगों को फांसी दी गई है, और इनमें ज्यादातर पर आरोप है – मोसाद के लिए जासूसी का. इस हफ्ते ही, बुधवार को ईरान ने तीन और लोगों को फांसी पर चढ़ा दिया. सरकारी एजेंसियों का दावा है कि ये लोग इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए काम कर रहे थे और देश के अंदर हत्या की साजिशें रच रहे थे.
ट्रंप की सीज़फायर घोषणा के अगले ही दिन फांसी
गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही ईरान और इजराइल के बीच हमले रोकने का एलान किया, उसके ठीक अगले दिन ईरान में तीन लोगों को फांसी दे दी गई. इससे साफ है कि भले ही कूटनीतिक बयानबाज़ी शांति की ओर इशारा कर रही हो, लेकिन ईरान के भीतर हालात अभी भी उबाल पर हैं. तेहरान से आई रिपोर्टों के मुताबिक, अब तक 300 से ज्यादा लोगों को जासूसी के आरोप में सजा दी जा चुकी है, जिनमें से अधिकांश को मौत की सजा सुनाई गई है.
किस जुर्म में दी जा रही है मौत?
ईरान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी मिजान के अनुसार, हालिया फांसी पाए लोगों पर आरोप था कि उन्होंने इजराइल के लिए संवेदनशील उपकरणों की तस्करी की, जो हत्या जैसे गंभीर अपराधों में इस्तेमाल किए जाने थे.
सिर्फ यही नहीं – सोमवार को एक और बड़ा मामला सामने आया, जब राजनीतिक कैदी मोहम्मदअमीन शायस्तेह को मौत की सजा दी गई. उस पर आरोप था कि उसने इस्लामिक मूल्यों का अपमान किया और दुश्मन देशों से संपर्क साधा. रिपोर्टों के मुताबिक, उसने कथित तौर पर मोसाद से जुड़े एक साइबर नेटवर्क का संचालन किया था, जिसे उसने पूछताछ के दौरान कबूल भी किया.
2024 में अब तक 900 से ज़्यादा फांसी
मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि साल 2024 में अब तक ईरान में 900 से ज़्यादा फांसी दी जा चुकी हैं, जिनमें बड़ी संख्या उन लोगों की है, जिन्हें विदेशी एजेंसियों के संपर्क में होने या देशद्रोह जैसे आरोपों में दोषी ठहराया गया.
विशेष रूप से 13 जून के बाद से स्थिति और अधिक गंभीर हो गई है, जब इजराइल ने ईरान के कुछ अहम ठिकानों पर हमला किया था. इसके बाद ईरान की सुरक्षा एजेंसियों ने मोसाद से जुड़े होने के संदेह में सैकड़ों लोगों की धरपकड़ तेज कर दी. हाल ही में क़ुम प्रांत से 22 और लोगों को हिरासत में लिया गया है.
अंतरराष्ट्रीय चिंता और मानवाधिकारों की अनदेखी
ईरान की इन कार्रवाइयों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चिंता जताई जा रही है. कई मानवाधिकार संगठनों ने दावा किया है कि फांसी दिए गए कई लोगों को निष्पक्ष मुकदमे का मौका नहीं मिला, और पूछताछ के दौरान कथित रूप से अत्यधिक दबाव व टॉर्चर का सहारा लिया गया.
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