ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव पर आया चीन का पहला बयान, जानें किसके पक्ष में बोला ड्रैगन?

    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में चल रही ईरान-इजरायल जंग अब वैश्विक चिंता का विषय बन चुकी है. अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों के बाद अब चीन भी इस मुद्दे पर खुलकर सामने आ गया है.

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    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में चल रही ईरान-इजरायल जंग अब वैश्विक चिंता का विषय बन चुकी है. अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों के बाद अब चीन भी इस मुद्दे पर खुलकर सामने आ गया है. लंबे समय से चुप रहने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पहली बार इस युद्ध पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा कि किसी भी देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के उल्लंघन को चीन कभी स्वीकार नहीं करेगा.

    अस्ताना में शी जिनपिंग का बड़ा बयान

    चीनी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, शी जिनपिंग ने यह बयान कजाकिस्तान के अस्ताना में उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव से मुलाकात के दौरान दिया. शी जिनपिंग फिलहाल चीन-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अस्ताना में हैं. उन्होंने कहा, "मध्य पूर्व में अचानक से भड़की हिंसा और सैन्य टकराव, खासकर इजरायल की ईरान पर कार्रवाई, चीन के लिए गंभीर चिंता का विषय है. हम ऐसे किसी भी कदम का विरोध करते हैं जो किसी देश की संप्रभुता, सुरक्षा या क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाए. सैन्य समाधान से कभी स्थायी शांति नहीं मिलती."

    चीन का रुख: तेहरान के समर्थन की झलक

    शी जिनपिंग का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इजरायल के हमलों से ईरान बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. कई देशों ने इस युद्ध में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. चीन का यह रुख कूटनीतिक रूप से ईरान के समर्थन में माना जा रहा है, हालांकि बयान में भाषा काफी संतुलित रखी गई है. गौर करने वाली बात यह है कि चीन लंबे समय से ईरान का बड़ा रणनीतिक और आर्थिक साझेदार रहा है. चाहे तेल की आपूर्ति हो या बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), ईरान चीन के लिए बेहद अहम है.


    'तनाव कम करें, हम मदद को तैयार'

    शी जिनपिंग ने अपने बयान में सभी पक्षों से संयम बरतने और युद्ध की आग बुझाने की अपील की. उन्होंने कहा कि "चीन इस तनाव को कम करने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है." यह साफ संकेत है कि चीन अब खुद को इस संकट में 'शांति मध्यस्थ' के रूप में पेश करना चाहता है. इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि मध्य पूर्व में स्थिरता चीन के वैश्विक व्यापार और BRI परियोजनाओं के लिए बेहद जरूरी है.

    क्यों अहम है चीन का यह बयान?

    ईरान के साथ करीबी चीन पहले ही ईरान के साथ बड़े तेल और इंफ्रास्ट्रक्चर समझौते कर चुका है. क्षेत्रीय संतुलन चीन नहीं चाहता कि अमेरिका-इजरायल मिलकर इस पूरे क्षेत्र में सैन्य वर्चस्व स्थापित करें. वैश्विक छवि शांति स्थापित करने में भागीदारी से चीन खुद को जिम्मेदार महाशक्ति के रूप में दिखाना चाहता है.

    अब आगे क्या?

    चीन के इस बयान से साफ हो गया है कि बीजिंग इस जंग में ईरान के प्रति झुकाव रखता है लेकिन वह सीधे टकराव से बचते हुए मध्यस्थ की भूमिका में उतरने की कोशिश कर रहा है. अब देखना यह है कि क्या चीन अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके इस संघर्ष को रोक पाने में सफल होता है या यह जंग और भड़कती है.

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