जैसलमेर (राजस्थान) : भारत ने राजस्थान के जैसलमेर में पोखरण फायरिंग रेंज में स्वदेशी रूप से विकसित VSHORADS मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है.
डीआरडीओ ने राजस्थान के पोखरण रेंज में विकास परीक्षणों के हिस्से के तौर पर बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के तीन परीक्षण किए गए.
यह भी पढे़ं : हरियाणा में दोपहर 1 बजे तक 36.69% मतदान- मेवात में सबसे ज्यादा 42.64%, पंचकूला में कम टर्नआउट
राजनाथ सिंह ने कहा- यह रक्षा बलों की तकनीकी ताकत बढ़ाएगी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षणों में शामिल डीआरडीओ, भारतीय सेना और उद्योग को बधाई दी और कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह नई मिसाइल हवाई खतरों के खिलाफ सशस्त्र बलों को और अधिक तकनीकी ताकत बढ़ाएगी.
रक्षा मंत्री के कार्यालय ने शनिवार को पोस्ट किया, "डीआरडीओ इंडिया ने पोखरण से चौथी पीढ़ी की तकनीकी रूप से उन्नत लघु हथियार प्रणाली VSHORADS के तीन उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किए हैं. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सफल विकास में शामिल DRDO, भारतीय सेना और उद्योग को बधाई दी है."
मिसाइलों का पिछले कुछ वर्षों से विकास किया जा रहा है और उम्मीद है कि ये कम दूरी पर दुश्मन के विमानों, ड्रोन और अन्य हवाई लक्ष्यों से निपटने के लिए बलों की अहम जरूरतों को पूरा करेंगी. सेना अपनी आवश्यकताओं के लिए रूसी इग्ला मिसाइलों पर निर्भर है, लेकिन पिछले एक दशक से अधिक समय से अपनी सूची को आधुनिक बनाने की आवश्यकता महसूस कर रही है.
प्रोजेक्ट में दो निजी कंपनियां साझीदार, इंडो-पैसिफिक मुद्दे पर बात की
VSHORADS परियोजना में विकास सह उत्पादन भागीदार दो निजी कंपनियां हैं. इससे पहले शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (IPRD) 2024 को संबोधित करते हुए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत का समर्थन व्यक्त किया और इंडो-पैसिफिक में देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की मांग की.
उन्होंने कहा, "भारत ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की लगातार वकालत की है और क्षेत्रीय संवाद, स्थिरता और सामूहिक विकास को बढ़ावा देने में आसियान की केंद्रीयता पर जोर देते हुए इंडो-पैसिफिक में देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की मांग की है."
राजनाथ सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्गों की सुरक्षा पर दिया जोर
राजनाथ सिंह ने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त अभ्यास और सूचना-साझाकरण पहल सहित क्षेत्रीय भागीदारों के साथ जुड़ाव का उद्देश्य सामूहिक समुद्री सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना है. उन्होंने रेखांकित किया कि भारतीय सशस्त्र बल, विशेष रूप से नौसेना, क्षेत्र के देशों के साथ सहयोगात्मक प्रयासों में सबसे आगे रहे हैं और अपनी क्षमता और योग्यता के निर्माण की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं.
सिंह ने आगे कहा, "जबकि भारत का समुद्री सहयोग का प्रयास जारी है, इसके हित किसी अन्य देश के साथ संघर्ष में नहीं हैं. साथ ही, किसी अन्य देश के हितों का अन्य देशों के हितों के साथ टकराव नहीं होना चाहिए. यही वह भावना है, जिसके साथ हमें मिलकर काम करना चाहिए."
इंडो-पैसिफिक के लिए भारत के नजरिए पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, "इंडो-पैसिफिक के लिए भारत का नजरिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के विचार पर आधारित है क्योंकि हम ऐसी साझेदारी को बढ़ावा देने में विश्वास करते हैं जो सतत विकास, आर्थिक विकास और आपसी सुरक्षा को प्राथमिकता देती है."
रक्षामंत्री ने कहा कि भारत का अपने भागीदारों के साथ जुड़ाव इस समझ से तय होता है कि सच्ची प्रगति केवल सामूहिक कार्रवाई और तालमेल के माध्यम से ही हासिल की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के कारण, भारत को इस क्षेत्र में एक "विश्वसनीय और पसंदीदा सुरक्षा भागीदार और पहला उत्तरदाता" माना जाता है.
यह भी पढे़ं : छत्तीसगढ़ में बड़ा ऑपरेशन- 31 नक्सलियों को मारा, भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद