भारत-पाकिस्तान हमलों के बीच 'रक्षाकवच' बनेगा DMRC, जानें क्या है प्लान?

    India Pakistan Tensions: पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रहे ड्रोन और मिसाइल हमलों के खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त करने की योजना बनाई है.

    India Pakistan Tensions metro stations will become bunkers in national capital
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    India Pakistan Tensions: पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रहे ड्रोन और मिसाइल हमलों के खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त करने की योजना बनाई है. तेजी से बदलते हालातों के मद्देनज़र दिल्ली के 11 जिलों में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन सिस्टम को लगाने की तैयारी शुरू हो गई है. प्रत्येक जिले में कम से कम 10 सायरन लगाए जाएंगे, ताकि किसी भी आपात स्थिति में लोगों को समय रहते सतर्क किया जा सके.

    इसके अलावा प्रशासन भूमिगत मेट्रो स्टेशनों को अस्थायी बंकर के रूप में उपयोग करने की संभावना पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है. भले ही दिल्ली मेट्रो के स्टेशन मूल रूप से बम शेल्टर के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इनकी संरचना और गहराई इन्हें आपात स्थिति में शरण स्थल के रूप में कारगर बना सकती है.

    कितने स्टेशन हो सकते हैं इस्तेमाल?

    दिल्ली में कुल 71 भूमिगत मेट्रो स्टेशन हैं, जिनकी औसत गहराई 15 मीटर के आसपास है. इनमें हौज खास स्टेशन सबसे गहरा (29 मीटर) और चावड़ी बाजार स्टेशन (25 मीटर) इसके बाद आता है. 106 किलोमीटर से ज्यादा मेट्रो नेटवर्क अंडरग्राउंड है, जो दिल्ली की जनता को किसी भी संभावित हमले की स्थिति में राहत देने का माध्यम बन सकता है.

    अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों से मिली प्रेरणा

    इस तरह की व्यवस्था कोई नई नहीं है. लंदन, मॉस्को, कीव और बर्लिन जैसे शहरों ने युद्ध या संकट के समय में मेट्रो स्टेशनों को बंकर में बदलकर लाखों जानें बचाई हैं. कीव में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान लोग अपने बच्चों, पालतू जानवरों और जरूरी सामानों के साथ कई रातें मेट्रो स्टेशनों में गुजारते रहे. वहीं, मॉस्को के कुछ मेट्रो स्टेशन तो परमाणु बंकर के रूप में ही डिज़ाइन किए गए थे.

    भारत के लिए क्यों ज़रूरी?

    भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव और सीमावर्ती इलाकों में हालिया हमलों को देखते हुए यह कदम पूरी तरह से सतर्कता और सुरक्षा के दृष्टिकोण से उठाया जा रहा है. मेट्रो स्टेशन न केवल भौगोलिक रूप से शहर भर में फैले हुए हैं, बल्कि इनमें एक साथ बड़ी संख्या में लोगों को आश्रय देने की भी क्षमता है.

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